tag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post1763152567630330857..comments2023-12-02T15:15:35.792+05:30Comments on वटवृक्ष: हमारी विरासतरवीन्द्र प्रभातhttp://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-43078381396815259112011-05-18T20:45:41.679+05:302011-05-18T20:45:41.679+05:30Kisee aur ke dastawej koee koeee hee padhta hai ad...Kisee aur ke dastawej koee koeee hee padhta hai adhiktar log thokar Khakar hee seekhte hain par humara kam hai agah karna. Bahut sunder prastuti.<br />Chapne kel iye bahut badhaee,Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-85578057265309378982011-05-17T16:06:48.314+05:302011-05-17T16:06:48.314+05:30अच्छा चिंतन ......अच्छा चिंतन ......निवेदिता श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/17624652603897289696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-53579655610226049702011-05-16T23:43:02.330+05:302011-05-16T23:43:02.330+05:30वटवृक्ष के नीचे पहली बार आया...इसकी छाँव में आकर.....वटवृक्ष के नीचे पहली बार आया...इसकी छाँव में आकर...बड़ी ठंडक मिली...कृपादृष्टि ऐसे ही बनाये रखियेगा...Vaanbhatthttps://www.blogger.com/profile/12696036905764868427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-74039953191412731492011-05-16T22:10:41.559+05:302011-05-16T22:10:41.559+05:30bhut hi gahre vicharo se paripur rachna... bhut hi...bhut hi gahre vicharo se paripur rachna... bhut hi acchi...विभूति"https://www.blogger.com/profile/11649118618261078185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-65947565471266666112011-05-16T20:12:08.048+05:302011-05-16T20:12:08.048+05:30हर शब्द जैसे एक रिश्ता सा बुन रहा है, वर्तमान,भूतक...हर शब्द जैसे एक रिश्ता सा बुन रहा है, वर्तमान,भूतकाल और भविष्य के बीच,वाह सार्थक प्रयास!ktheLeo (कुश शर्मा)https://www.blogger.com/profile/03513135076786476974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-61900152914561201462011-05-16T16:31:08.179+05:302011-05-16T16:31:08.179+05:30खैर हम अपना काम करते हैं
जिंदगी गलतियों के दस्तावे...खैर हम अपना काम करते हैं<br />जिंदगी गलतियों के दस्तावेजों को<br />कलम देते हैं<br />पढना, न पढना अगली नस्लों के हिस्से है<br /><br /><br />हमने भी कहाँ टटोले थे <br />पिछले दस्तावेज़.<br />नहीं तो जिंदगी<br />कितनी आसां होती?..................<br /><br />बहुत खूब........लिखा है आपने <br /><br />अगर जिन्दगी इतनी ही आसान होती तो किसी को कुछ समझाने की जरुरत ही ना होती <br />पुरानी पीढ़ी ...और नयी पीढ़ी का अंतर हमेशा से बना है और बना रहेगा <br />नयी पीढ़ी किसी भी युग की हो वो नयी सोच के साथ ही आगे आएगीAnju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-19267153449454110832011-05-16T14:59:38.532+05:302011-05-16T14:59:38.532+05:30हमने भी कहाँ टटोले थे
पिछले दस्तावेज़.
नहीं तो जिं...हमने भी कहाँ टटोले थे<br />पिछले दस्तावेज़.<br />नहीं तो जिंदगी<br />कितनी आसां होती?<br /><br />सच कहा है...बहुत बेहतरीन...वीना श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09586067958061417939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-81092735593386896992011-05-16T14:28:04.114+05:302011-05-16T14:28:04.114+05:30"बाँटो अपने तजुर्बे
हर किसी से
कि
ये ही ..."बाँटो अपने तजुर्बे <br /><br />हर किसी से <br /><br />कि<br /><br />ये ही एक विरासत है <br /><br />जिसे <br /><br />हम सहेज सकते हैं <br /><br />आने वाली नस्लों <br /><br />के लिए <br /><br />कोई लीक दे सकते हैं "<br /><br />...........................अनुभूत सच्चाई की खूबसूरत प्रस्तुतिसुरेन्द्र सिंह " झंझट "https://www.blogger.com/profile/04294556208251978105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-85233307256969807152011-05-16T12:59:33.949+05:302011-05-16T12:59:33.949+05:30"जिंदगी के दस्तावेज़
रख दो सम्हाल के
कि
आने..."जिंदगी के दस्तावेज़ <br />रख दो सम्हाल के <br />कि<br />आने वाली जिंदगियाँ <br />आसान हो जाये."<br />वाकई आनेवाली पीढ़ियों की जिंदगियां आसान हो जाएँगी यदि वे उन दस्तावेजों को समय पर खोलकर देख लें और उनका अनुशरण करें.बहुत ही प्रेरणादायी और मार्गदर्शी रचना.Rajivhttps://www.blogger.com/profile/05867052446850053694noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-73776134331265434892011-05-16T12:48:38.708+05:302011-05-16T12:48:38.708+05:30हमने भी कहाँ टटोले थे
पिछले दस्तावेज़.
नहीं तो जिं...हमने भी कहाँ टटोले थे<br />पिछले दस्तावेज़.<br />नहीं तो जिंदगी<br />कितनी आसां होती?<br /><br />सारा सार इन्ही पंक्तियों मे समाहित है।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-19773329164441626832011-05-16T12:20:59.334+05:302011-05-16T12:20:59.334+05:30बहुत सुन्दर सशक्त प्रस्तुति .......सच है कि पिछले ...बहुत सुन्दर सशक्त प्रस्तुति .......सच है कि पिछले दस्तावेज़ खन्गालों तो ज़िंदगी आसान हो सकती है.पर कोई किसी की सुनता है....कई लोग दूसरे का गिरना सुन कर संभल जाते है...कई लोग दूसरे का गिरना देख कर सँभालते हैं.......कुछ खुद ठोकर खा कर जान लेते हैं राह को......कुछ ऐसे भी होते हैं जो ठोकर खा कर गिरते हैं फिर भी नहीं सीखते ..........उनका क्या किया जाए ........Nidhihttps://www.blogger.com/profile/07970567336477182703noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-26030334973189019062011-05-16T12:20:47.382+05:302011-05-16T12:20:47.382+05:30हमने भी कहाँ टटोले थे
पिछले दस्तावेज़.
नहीं तो जिं...हमने भी कहाँ टटोले थे<br />पिछले दस्तावेज़.<br />नहीं तो जिंदगी<br />कितनी आसां होती?<br /><br />सही है ..ज़िंदगी के इतिहास को कोई नहीं पढता ...अच्छी प्रस्तुतिसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-63024904268448649602011-05-16T12:16:37.195+05:302011-05-16T12:16:37.195+05:30अनुभवों की विरासत!!
मानवता की कीमती धरोहर!!
जिंदग...अनुभवों की विरासत!!<br />मानवता की कीमती धरोहर!!<br /><br />जिंदगी गलतियाँ करने का,<br />भला कब वक्त देती है.<br />उतर जाये जो पटरी से,<br />तो काफी वक्त लेती है.<br /><br />पूर्वजों की त्रृटियां, नवपीढी के लिए बिना ठोकर खाए खजाना।<br /><br />अनुकरणीय चिंतन, प्रस्तुति के लिये आभार!!सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-13945806135737434172011-05-16T11:40:02.366+05:302011-05-16T11:40:02.366+05:30हमने भी कहाँ टटोले थे
पिछले दस्तावेज़.
नहीं तो जिं...हमने भी कहाँ टटोले थे<br />पिछले दस्तावेज़.<br />नहीं तो जिंदगी<br />कितनी आसां होती?<br /><br />बेहतरीन रचना ... असली बात अंतिम पंक्तियों में कही गई है ...Indranil Bhattacharjee ........."सैल"https://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-9112135287090603812011-05-16T11:27:47.843+05:302011-05-16T11:27:47.843+05:30कहाँ से निकलता है सूरज
....... अनुभव से ही दरवाज़े ...कहाँ से निकलता है सूरज<br />....... अनुभव से ही दरवाज़े खुलते हैं ॥<br />वाह! बहुत खूब लिखा है आपने! अत्यंत सुन्दर रचना!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-45818906203744451482011-05-16T11:25:10.594+05:302011-05-16T11:25:10.594+05:30बेहतरीन प्रस्तुतिबेहतरीन प्रस्तुतिअरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-69320730598842884222011-05-16T11:15:42.805+05:302011-05-16T11:15:42.805+05:30कहाँ है विचलन
कहाँ से निकलता है सूरज
....... अनुभव...कहाँ है विचलन<br />कहाँ से निकलता है सूरज<br />....... अनुभव से ही दरवाज़े खुलते हैं .<br /><br />अक्षरश: सत्य<br /><br />....................<br /><br />हमने भी कहाँ टटोले थे<br />पिछले दस्तावेज़.<br />नहीं तो जिंदगी<br />कितनी आसां होती?<br /><br />बहुत ही अच्छा लिखा है ... इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिये आभार ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.com