tag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post5930852173907241953..comments2023-12-02T15:15:35.792+05:30Comments on वटवृक्ष: शेष २४ घंटे और आप !रवीन्द्र प्रभातhttp://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-90845675186581615962012-02-09T10:10:09.896+05:302012-02-09T10:10:09.896+05:30खुशनुमा फूलों पे बैठी तितलियाँ सी यह -
या किसी वटव...खुशनुमा फूलों पे बैठी तितलियाँ सी यह -<br />या किसी वटवृक्ष का रूपान्तर है ज़िंदगी !<br />so beautiful!<br /><br />कहते हैं, मौत सामने खड़ी हो, मौत का हर क्षण एहसास जिंदा रहे तो जीने का सलीका आ जाता है....! आपकी यह प्रस्तुति भिन्न भिन्न लोगों के भांति भांति विचारों के माध्यम से ज़िंदगी को ही जीवन का आइना दिखा गयी!<br />२४ घंटे तो बहुत होते हैं... वास्तव में एक पल की नोटिस भी कहाँ मिलती है... जो जाता है अचानक ही जाता है!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-88249013730536003442011-11-29T21:46:51.723+05:302011-11-29T21:46:51.723+05:30क्या बात है जी यहाँ एक लम्हा जीने को तरसते है वाहन...क्या बात है जी यहाँ एक लम्हा जीने को तरसते है वाहन आपके पास २४ घंटे हैं -----मुझे कभी एसी सुविधा मिले की २४ घंटे पहले पता चल जाये जाने का कार्यक्रम तो बस गोविन्द को सुमिरून यही एक काम है जो हम टालते चले जाते हैंDr. Rajrani Sharmahttps://www.blogger.com/profile/16260807586444192043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-81087365644089882362010-10-28T22:28:35.400+05:302010-10-28T22:28:35.400+05:30SO MANY THNX RASHMI FOR GIVING ME CHANCE TO PEN DO...SO MANY THNX RASHMI FOR GIVING ME CHANCE TO PEN DOWN MY THOUGHTSAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/10711074114205495463noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-28668073764269009002010-10-28T22:28:34.800+05:302010-10-28T22:28:34.800+05:30SO MANY THNX RASHMI FOR GIVING ME CHANCE TO PEN DO...SO MANY THNX RASHMI FOR GIVING ME CHANCE TO PEN DOWN MY THOUGHTSAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/10711074114205495463noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-40614490069314810232010-09-30T05:59:05.049+05:302010-09-30T05:59:05.049+05:30२४ घंटे ?
अरे कहाँ,
सांस के बस एक लम्हे का सफ़र ...२४ घंटे ?<br /><br />अरे कहाँ, <br />सांस के बस एक लम्हे का सफ़र है ज़िन्दगीSuman Sinhahttps://www.blogger.com/profile/05417887549882830927noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-58315843735755963612010-09-25T13:53:31.689+05:302010-09-25T13:53:31.689+05:30thnx for sharing...
wohi hai zindagi lekin jigar y...thnx for sharing...<br />wohi hai zindagi lekin jigar yeh haal hai apnaa...<br />ki aisee zindagi se zindagi kam hoti jaati hai..<br />zindagi ka har pal har lamhaa aise jeeta hun jaise woh aakhri pal ho..aur aakhri 24ghante bhi aise hi jiyoongaa...<br />maut se kya darnaa use to aana hai ..<br />yahi sach hai use hi nibhaana hai ...Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-81046928515281170782010-09-24T22:31:06.436+05:302010-09-24T22:31:06.436+05:30thnx rashmi...... kuch emotions jo mai kah nhi a...thnx rashmi...... kuch emotions jo mai kah nhi aaj tak apno se woh yaha kah gyi ... only 24 hours...... bass tab se main game bhi chorr diya .....:)))) .. mujhe vishwas nhi ho raha hai k mai vatvriksh par hu ..... . naman aap sabko jinhone bhi ham sabko parhaनीलिमा शर्मा Neelima Sharma https://www.blogger.com/profile/15015116506093296186noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-89816912886663854572010-09-23T18:06:07.880+05:302010-09-23T18:06:07.880+05:30२४ घंटे शेष बचे जीवन के ,
सदा रहेंगे इस जीवन के सा...२४ घंटे शेष बचे जीवन के ,<br />सदा रहेंगे इस जीवन के साँझ-सवेरे...S R Bhartihttps://www.blogger.com/profile/16535000568157262183noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-69542413861040856962010-09-21T08:51:47.242+05:302010-09-21T08:51:47.242+05:30.
जीत मन की, हार का विषयांतर है ज़िंदगी...Great li....<br />जीत मन की, हार का विषयांतर है ज़िंदगी...Great line.<br /><br />Every single moment is precious. <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-39430327807883936922010-09-21T08:50:55.524+05:302010-09-21T08:50:55.524+05:30मुझे अगर ज्ञात हो गया कि मेरे पास अब सिर्फ २४ घंटे...मुझे अगर ज्ञात हो गया कि मेरे पास अब सिर्फ २४ घंटे बचे हैं,तो में भगवान से यही प्रार्थना करूँगा, धन्यबाद करूँगा, कि हे भगवान, जितनी नेमत तुमने मेरे को बख्शी , उससे कही ज्यादा तू उन दीन दुखिओं को बख्शना ; और <br /> अपनी लिखी ये २ पंक्तियाँ कहना चाहूँगा....<br />"क्यूँ होता हे परेशां अपने से ऊपर वाले को देखकर, <br />जरा एक नजर अपने नीचे भी तो डाल"Khare Ahttps://www.blogger.com/profile/08834832296834095341noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-44482873586277739342010-09-20T23:52:02.030+05:302010-09-20T23:52:02.030+05:30यदि यह ज्ञात हो गया कि जीवन में २४ घंटे ही शेष हैं...यदि यह ज्ञात हो गया कि जीवन में २४ घंटे ही शेष हैं, तो प्रयास करूंगी कि कोई रूठा न रह जाए, अपने बच्चों को कुछ समझाना चाहूंगी ताकि मेरे जाने के बाद उन्हें जीवन को समझने में कठिनाई न हो....ईश्वर को धन्यवाद दूँगी कि उसने मुझे यह ज्ञात कराया जिससे मैं अपने छूटे हुए कुछ कामों को पूरा कर सकी...एक आश्वासन में अपनों को बाँध पाई....कि मैं फिर आऊँगी . <br /> <br /> <br /> <br />२४ घंटे शेष बचे जीवन के मेरे,<br />अब न होंगे इस जीवन के साँझ-सवेरे...<br /> <br />ऐसे में कुछ छूट न जाए <br />मेरे अपने रूठ न जाए...<br /> <br />बच्चों को कुछ समझाऊँगी <br />कहूँगी प्रिय से "फिर आऊँगी"<br /> <br />एक दूजे का ध्यान धरें सब,<br />अच्छा तो, चलती हूँ मैं अब.<br /><br /><br />उपर्युक्त सभी विचार सुन्दर लगे....ज्योत्स्ना पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/14491409510866077940noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-63231102086925042462010-09-20T23:06:01.358+05:302010-09-20T23:06:01.358+05:30बहुत अच्छा लगा सबके विचार पढकर ..मैं तो अपने परिवा...बहुत अच्छा लगा सबके विचार पढकर ..मैं तो अपने परिवार और दोस्तों के साथ मस्ती करके गुजार देती २४ घंटे :)shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-27988965906122979892010-09-20T20:58:55.408+05:302010-09-20T20:58:55.408+05:30जीवन के अंतिम २४ घंटे, शायद कभी कोई जान नहीं पाता ...जीवन के अंतिम २४ घंटे, शायद कभी कोई जान नहीं पाता कि वो कौन सा दिन होगा| पर मेरे पास सिर्फ २४ घंटे रहे तो मैं घर के सभी से अंतिम विदाई लेकर सिर्फ अपने साथ बीताना पसंद करुँगी| जो भी कामना अपूर्ण होगी जितना मुमकिन हो पूरा कर लूँगी और अंतिम पल में भी ख़ुद के साथ रहकर देखना चाहूंगी कि कैसे धीमे धीमे मौत करीब आती है...और मुझे कैसा लगता है...<br />सभी के २४ घंटे पढ़कर मैं भी २४ घंटे का आख़िरी पल लिख गई| बहुत अच्छा लगा सबको पढ़कर और ऐसी कल्पना करके|डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-47774381175149470792010-09-20T20:33:08.962+05:302010-09-20T20:33:08.962+05:3024 घंटे ?
वाकई, जीवन की क्षणभगूरता, सोचने के दृष्...24 घंटे ?<br /><br />वाकई, जीवन की क्षणभगूरता, सोचने के दृष्टीकोण को ही बदल देती है।<br /><br />सार्थक प्रस्तूति!! आभारसुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-91333877083092682392010-09-20T19:53:55.960+05:302010-09-20T19:53:55.960+05:30शेष २४ घंटे और इतना गंभीर बहस, इतने अच्छे-अच्छे वि...शेष २४ घंटे और इतना गंभीर बहस, इतने अच्छे-अच्छे विचार .....मुझे भरोसा ही नहीं हो रहा है, कि मैं किसी ब्लॉग पर हूँ ......सार्थक और सराहनीय परिचर्चा के लिए बहुत-बहुत बधाईयाँ ! रविन्द्र प्रभात जी और सरस्वती जी के विचार बहुत सुन्दर है ! रश्मि जी को एक उत्कृष्ट परिचर्चा आयोजित करने हेतु आभार !गीतेशhttps://www.blogger.com/profile/14766567920202691433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-62947608835354461482010-09-20T19:49:54.997+05:302010-09-20T19:49:54.997+05:30सबके विचार पढ़े ...अच्छे लगेसबके विचार पढ़े ...अच्छे लगेपूर्णिमाhttps://www.blogger.com/profile/15739774997781645780noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-36408744112086835742010-09-20T19:48:30.158+05:302010-09-20T19:48:30.158+05:30मैं तो मौत के नाम से ही सिहर उठाती हूँ , जबकि यही ...मैं तो मौत के नाम से ही सिहर उठाती हूँ , जबकि यही सत्य है ! मुझे कोई भी यह बता दे कि आपके पास अब केवल २४ घंटे है तो मैं इतना घबडा जाऊंगी कि बच्चों को चुमते हुए ही कट जायेंगे ये पल .....काश यह मालूम ही न हो कभी तो अच्छा है !<br />मौत से वेपरबाह मरना ज्यादा सुखद हो सकता है, किन्तु चंद लम्हों में बांधकर जीना काफी मुश्किल होगा !malahttps://www.blogger.com/profile/09493715792470271562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-8289185269375151412010-09-20T18:36:28.579+05:302010-09-20T18:36:28.579+05:30२४ घंटे को कौन बाँध सका है? कीं बार लगता है की इन...२४ घंटे को कौन बाँध सका है? कीं बार लगता है की इन २४ घंटों में मैं यह कर लूं, वो कर लूं, मगर होता कुछ नहीं |<br />जब अपनों ने ही मुझे तोड़ दिया और मैं उन भरोसे पे जीता था की सबकुछ सोच-समाज से बाहर था... <br />अब कुछ भी तो हाथ में नहीं है | <br />मैं उनको समझूं या वो मुझे... यही बात थी और घर की दहलीज पार कर गया | समय बहुत कम था, क्या कुछ करना था हमें प्यार के लिएँ ...! मरते थे एक दूसरे पर | मगर ये वही लोग है जो हमेशा बहाना करते थे कि हमारे पास समय ही कहाँ? वो लोग इन दिनों बेकार हो गए और धरते रहे ध्यान हमारे बारे में...<br />२४ घंटा पूरा भी नहीं हुआ और बेटियों ने आवाज़ लगाई हमें.... मिलने सुकून मिलेगा यही छोटी सी सोच थी | जब लौटा तो उसी गहरी घाटियों में उलझ गया... !<br />समय बीतने लगा... मगर मेरा समय गुज़रता नहीं, थम गया है समय और ज़िंदगी.... उसी चौराहे पर खडा हूँ जहां से कहीं भी जा सकता था | आज उसी चौराहा दीवार बनाकर खडा है और मैं कैद हूँ अपनी ही गलियों में... ये २४ घंटे ने मेरी ज़िंदगी के पन्नों को पीला कर दिया, उधर से दीमक उभर आई है... जनता हूँ कि अब समय नहीं है... मैं इंतजार करता था पहले उसका और अब...<br />उस दीमक का, जो निश्चित कर बैठी है मेरे अंत को....Pankaj Trivedihttps://www.blogger.com/profile/17669667206713826191noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-49299782250760183472010-09-20T16:21:24.857+05:302010-09-20T16:21:24.857+05:30बहुत बढिया रश्मिजी सुन्दर प्रयास है। अगर मुझ से को...बहुत बढिया रश्मिजी सुन्दर प्रयास है। अगर मुझ से कोई पूछे तो कहुँगी कि बस मुझे केवल सब के लिये दुयायें करने दो। बधाइ और शुभकामनायें।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-88764066933863750342010-09-20T16:00:11.937+05:302010-09-20T16:00:11.937+05:30किसके होश नहीं उड़ जाएँ अगर उसे पता चले कि उसके पास...किसके होश नहीं उड़ जाएँ अगर उसे पता चले कि उसके पास सिर्फ चौबीस घंटे बचे हैं ...<br />यही जवाब सूझा ....<br />उस समय ब्लॉगिंग कहाँ सूझती ...<br />वैसे इन चौबीस घंटों में मैंने क्या किया ...आप सुनेगी तो हँसेंगी ...:):)<br /><br />सबके विचार पढ़े ...अच्छे लगे , जीवन को अनिश्चितता के साथ जीना ही ठीक है ...!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-79863307486956033532010-09-20T14:17:44.712+05:302010-09-20T14:17:44.712+05:30जिंदगी केवल इसकी अनिश्चितता की वजह से ही जी पाते ह...जिंदगी केवल इसकी अनिश्चितता की वजह से ही जी पाते हैं....अगर यह पता चले की हमारे पास जीने के लिए केवल २४ घंटे हैं तो शायद हम म्रत्यु की चिंता में एक पल भी शांति से न जी पायें.....पोस्ट बहुत सुन्दर है और सोचने को विवश कर देती है......Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-41609270690075486322010-09-20T12:53:06.256+05:302010-09-20T12:53:06.256+05:30बहुत अच्छी लगी यह पोस्ट ..सबके विचार जाने २४ घंटे ...बहुत अच्छी लगी यह पोस्ट ..सबके विचार जाने २४ घंटे ...कितने महत्त्वपूर्ण हो उठे हैं ...<br />मैं तो सोच भी नहीं पा रही की मैं क्या करती?<br />शायद इन २४ घंटों में थोड़ा वक्त ब्लोगिंग को ज़रूर देती हा हा हा ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-33172964040695188992010-09-20T12:15:03.242+05:302010-09-20T12:15:03.242+05:30एक बेहद सोचनीय विषय चुना है।
मगर ये तो हर किसी की...एक बेहद सोचनीय विषय चुना है।<br /><br />मगर ये तो हर किसी की ज़िन्दगी की हकीकत है । सभी के पास सिर्फ़ 7 दिन होते हैं और उनमे से भी 24 घंटे का कौन सा पल आखिरी है पता नही होता और हम जीते जाते हैं अपने अहम के साथ । यदि हर पल को आखिरी समझ कर जियें तो ज़िन्दगी मे कभी सोचना ही न पडे और फिर 24 घंटे मिलें या नही या कहो फिर चाहे मौत कभी भी आ जाये……………बेशक ये एक ऐसा प्रश्न है जिससे हर कोई बचना चाहता है चाहे हकीकत सभी को पता है।<br /><br />आज की आपकी पोस्ट बेहद उम्दा और सोचने को मजबूर करने वाली है।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.com