tag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post6000406943630359496..comments2023-12-02T15:15:35.792+05:30Comments on वटवृक्ष: झूठी बिल्ली और भ्रष्टाचाररवीन्द्र प्रभातhttp://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-2043817726786585662011-03-22T13:25:18.469+05:302011-03-22T13:25:18.469+05:30बेहद प्रभावशाली अवलोकन्……………सोचने को विवश करता है।...बेहद प्रभावशाली अवलोकन्……………सोचने को विवश करता है।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-61797940305412545402011-03-22T12:17:29.874+05:302011-03-22T12:17:29.874+05:30भ्रष्टाचार में हम भी बराबर के सहयोगी हैं ...
सिर्फ...भ्रष्टाचार में हम भी बराबर के सहयोगी हैं ...<br />सिर्फ प्रवचन सुनने से ही भला होता तो , जिस तरह से प्रवचन कर्ताओं की बाढ़ आयी हुई है , रामराज्य तो आ ही जाना था अब तक ..<br />अच्छी प्रस्तुति !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-37491309877049833742011-03-22T11:55:46.591+05:302011-03-22T11:55:46.591+05:30शानदार प्रस्तुति!!
माननीय शोभना चौरे जी से क्षमाय...शानदार प्रस्तुति!!<br /><br />माननीय शोभना चौरे जी से क्षमायाचना सहित कहानी आगे बढा्ते है…<br /><br />सभा भी हुई। झूला बनाने का निर्णय लिया गया। सभी जानवरों को झूले का ठेका लेने अपार रुचि थी। सोच रहे थे कि यदि यह झूला बनाने का ठेका मिल जाय तो ऐसा झूला बनाउं कि रोज झूलूं तब भी न टूटे। अन्तत: सभी ने मिल कर ठेका लिया। और मजबूत झूला बना दिया। अब जंगल में जब भी निर्णय की जरूरत पडती है, कोई भी जानवर आनंद से झूला झूलकर कुंए से बाहर चला आता है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-53302831525391857642011-03-22T11:53:45.348+05:302011-03-22T11:53:45.348+05:30बेहतरीन प्रस्तुति के लिये आभार ।बेहतरीन प्रस्तुति के लिये आभार ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.com