tag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post6396603668731089394..comments2023-12-02T15:15:35.792+05:30Comments on वटवृक्ष: अजनबी ...रवीन्द्र प्रभातhttp://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comBlogger43125tag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-6677133498768120502011-04-22T14:58:22.045+05:302011-04-22T14:58:22.045+05:30Good work Mr. radhe radhe satak bihari. please jus...Good work Mr. radhe radhe satak bihari. please just see the bellow link :-<br />Is blog par :-<br /><br />http://purviya.blogspot.com/2011/01/blog-post_29.html<br /><br />is blog post ki rachna:-<br /><br />http://maakamal.blogspot.com/2010/11/blog-post.htmlAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/10025452242156629268noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-54390651712000882572011-04-16T12:19:08.424+05:302011-04-16T12:19:08.424+05:30शेखर सुमन जैसे चोरों की निंदा और लानत मलामत करने क...शेखर सुमन जैसे चोरों की निंदा और लानत मलामत करने के लिये आप सभी टिप्पणिकारों का हार्दिक धन्यवाद। आप सभी के द्वारा किये गये इस प्रयास से इन चोरों का हौसला परास्त होगा।<br /><br />रश्मि जी का भी हार्दिक धन्यवाद जो उन्होने इस पोस्ट को टिप्पणियों सहित यहां रख छोडा है जिससे इन चोरों को सबक मिलता रहेगा।<br /><br />अंत में उन रचनाकारों एक सुझाव देना चाहता हूं जो कि अपनी रचना को स्केन करके समझ लेते हैं कि वो इन चोरों से सुरक्षित होगये।<br /><br />स्केन कभी भी गूगल सर्च में नही आता और शेखर सुमन जैसे तकनीक के जानकार चोर सबसे पहले यही देखते हैं कि यह रचना गूगल सर्च में नही आ रही है तो बेखटके उसको चुराकर अपने आपको साहित्य शिरोमणि समझते हैं। अत: स्केन करके डालने वाले अपनी रचनाओं का ध्यान रखा करें। अगर जरूरत लगे तो मुझसे संपर्क कर सकते हैं।<br /><br />सभी मित्रों को आश्वस्त करता हुं कि मुझसे जितना बन पडेगा इन चोरो की पोल समय समय पर आपके सामने लाता रहुंगा, अभी अनेकों बाकी हैं, यह तो एक नमूना आप लोगों के सामने पेश किया है आगे आगे देखिये और कौन कौन RRSB के निशाने पर आता है।<br /><br />सभी टिप्पणीकारों का हार्दिक आभार।Radhe Radhe Satak Biharihttps://www.blogger.com/profile/15040698552720503490noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-89538479949429284432011-04-16T12:02:44.109+05:302011-04-16T12:02:44.109+05:30This comment has been removed by the author.Radhe Radhe Satak Biharihttps://www.blogger.com/profile/15040698552720503490noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-2560190397598374842011-04-13T00:09:41.451+05:302011-04-13T00:09:41.451+05:30जो सच था वो मैंने हुबहू बता दिया है, सबसे सहृदय मा...<b>जो सच था वो मैंने हुबहू बता दिया है, सबसे सहृदय माफ़ी भी मांग ली है....बाकी विश्वास करना, नहीं करना आपके ऊपर है...<br /> <br />बंटी महाशय.<br />ये शब्द आपके मुंह से अच्छे नहीं लग रहे.... </b>Shekhar Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02651758973102120332noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-92055999650482617082011-04-12T16:09:30.845+05:302011-04-12T16:09:30.845+05:30RRSB ने कमाल का काम किया है। इनका कोई ब्लॉग नहीं म...RRSB ने कमाल का काम किया है। इनका कोई ब्लॉग नहीं मिला। यह अच्छा है कि वे ब्लॉग की गंदगी साफ कर रहे हैं।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-91889369999101827442011-04-12T15:58:45.307+05:302011-04-12T15:58:45.307+05:30यह शर्मनाक है। इसकी निंदा की जानी चाहिए। रश्मि जी,...यह शर्मनाक है। इसकी निंदा की जानी चाहिए। रश्मि जी, आप इस पोस्ट को ऐसे ही रहने दें..ताकि सभी ब्लॉगर निंदा कर सकें। साहित्यिक चोर में एक अच्छी बात होती है कि निंदा पा कर शर्मिंदा होता है। मित्र की कविता छापते वक्त भी इसका जिक्र किया जाना चाहिए था। यहाँ छपने के बाद भी आभार नहीं लेना चाहिए था। गलती पर गलती क्षम्य नहीं है।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-91949976533160180802011-04-12T11:28:21.061+05:302011-04-12T11:28:21.061+05:30एक मित्र ने ये कविता मुझे ये कहते हुए दी की ये उसन...<b>एक मित्र ने ये कविता मुझे ये कहते हुए दी की ये उसने लिखी है और उसका कोई ब्लॉग नहीं है इसलिए अपने ब्लॉग पर मैं अपने नाम से ही पोस्ट कर दूं</b><br /><br />जनाब ये भी तो अच्छी बात नहीं है कि आप अपने मित्र कि कविता अपने नाम से प्रकाशित करें .... क्या कविता के साथ उन महानुभाव, जिन्हें आपने मित्र कहा है, का नाम नहीं होना चाहिए.<br /><br />या काही ऐसा तो नहीं कि पकड़े गए तो अपने काल्पनिक मित्र पर इल्जाम डाल दोबंटी "द मास्टर स्ट्रोक"https://www.blogger.com/profile/07522008663837709458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-1534287366647240042011-04-12T00:24:22.083+05:302011-04-12T00:24:22.083+05:30गूगल सर्च पर कविता न होने की दलील का क्या अर्थ है?...गूगल सर्च पर कविता न होने की दलील का क्या अर्थ है? ये तो चैक्प्वाईंट हुआ फ़िर कि कहीं से कुछ मिले तो उसे गूगल सर्च पर डाला जाये और फ़िर रिज़ल्ट न आने पर उसे अपना नाम दे दिया जाये।<br />और ये पोस्ट रिमूव करने से क्या होगा? गलती की है तो सीधे से स्वीकार करनी चाहिये। बाकी जो करेगा सो भरेगा।<br />मि. rrsb ने वाकई दूर की कौड़ी खोजी है। धन्यवाद के पात्र हैं।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-91140227633978813142011-04-11T23:00:14.960+05:302011-04-11T23:00:14.960+05:30मेरे ब्लॉग पर Radhe Radhe Satak Bihari जी ने अपनी ...मेरे ब्लॉग पर Radhe Radhe Satak Bihari जी ने अपनी टिप्पणी द्वारा इस प्रसंग से अवगत कराया है कि -<br /><br />‘‘एक चोरी के मामले की सूचना :- दीप्ति नवाल जैसी उम्दा अदाकारा और रचनाकार की अनेको कविताएं कुछ बेहया और बेशर्म लोगों ने खुले आम चोरी की हैं। इनमे एक महाकवि चोर शिरोमणी हैं शेखर सुमन । दीप्ति नवाल की यह कविता यहां उनके ब्लाग पर देखिये और इसी कविता को महाकवि चोर शिरोमणी शेखर सुमन ने अपनी बताते हुये वटवृक्ष ब्लाग पर हुबहू छपवाया है और बेशर्मी की हद देखिये कि वहीं पर चोर शिरोमणी शेखर सुमन ने टिप्पणी करके पाठकों और वटवृक्ष ब्लाग मालिकों का आभार माना है. इसी कविता के साथ कवि के रूप में उनका परिचय भी छपा है. इस तरह दूसरों की रचनाओं को उठाकर अपने नाम से छपवाना क्या मानसिक दिवालिये पन और दूसरों को बेवकूफ़ समझने के अलावा क्या है? सजग पाठक जानता है कि किसकी क्या औकात है और रचना कहां से मारी गई है? क्या इस महा चोर कवि की लानत मलामत ब्लाग जगत करेगा? या यूं ही वाहवाही करके और चोरीयां करवाने के लिये उत्साहित करेगा? ’’<br /><br /><br />यह सचमुच दुखद और शर्मनाक प्रसंग है। <br />ऐसे कृत्यों की निन्दा की ही जानी चाहिए।<br />राधे राधे जी की जागरूकता प्रशंसनीय है।Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-9743827621576510392011-04-11T20:37:21.859+05:302011-04-11T20:37:21.859+05:30@ रश्मि जी
आपसे निवेदन है कि इस पोस्ट को और इस पर...@ रश्मि जी<br /><br />आपसे निवेदन है कि इस पोस्ट को और इस पर आई टिप्पणियों को जस का तस रहने दिजिये जिससे यह सबक रहेगा। और कई लोग आपके पास आयेंगे इसे हटवाने के लिये। <br /><br />आशा करता हूं कि आप इन चोरों को और प्रोत्साहित करने की बजाये हतोत्साहित करने की दिशा में काम करेंगी और यह पोस्ट यूं ही रहने दी जायेगी।Radhe Radhe Satak Biharihttps://www.blogger.com/profile/15040698552720503490noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-39230384967739159502011-04-11T20:35:00.317+05:302011-04-11T20:35:00.317+05:30@ शेखर सुमन
अभी भी चोरी और सीना जोरी वाली स्टाइल ...@ शेखर सुमन<br /><br />अभी भी चोरी और सीना जोरी वाली स्टाइल है तुम्हारी? तुम्हारा यह कहना कि आपको यह कविता गूगल सर्च में कहीं नही मिलेगी। <br /><br />क्यों नही मिलेगी? वो इसलिये कि तुम्हारे जैसे चोर उठाईगिरों से बचने के लिये दीप्ति नवाल जी ने अपनी कवितायें वहां स्केन करके इमेज स्वरूप डाल रखी हैं। और इमेज कभी भी सर्च में नही आती।<br /><br />लगता है तुम्हें पछतावा नही है बल्कि अपनी मासूमियत दिखा रहे हो? इसी पोस्ट की टिप्पणी में कितनी शान से तुमने आभार प्रकट किया है? उस समय भी शर्म नही आयी थी तो अब क्या आयेगी?<br /><br />तुम जैसे लोगों को तो शर्म से डूब मरना चाहिये एक बूंद पानी में डूबकर।<br /><br />तुम्हारा ब्लाग और उसकी लेखन शैली से ही पता लग जाता है कि तुम्हारे लेखन की औकात क्या है? तुम्हारे नाम से यह कविता ऐसी लग रही थी जैसे भिखारी के हाथ में असली हीरे की कीमती अंगूठी हो। और इसी वजह से सारी जांच पडताल के बाद मैने यह लिंक दिये थे।<br /><br />अगर जरा भी शर्म हया बाकी हो तो इस बात का सहारा मत लो कि दोस्त ने दी थी बल्कि खुले आम कहो कि खुद तुमने चुराई थी।Radhe Radhe Satak Biharihttps://www.blogger.com/profile/15040698552720503490noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-46799319078739292452011-04-11T14:59:49.547+05:302011-04-11T14:59:49.547+05:30जब शेखर के किसी दोस्त ने ये कविता दी थी तो शेखर इस...जब शेखर के किसी दोस्त ने ये कविता दी थी तो शेखर इस कविता को अपना क्यों बता रहा था?<br />यह चोरकतई है.कानपुर ब्लोगर्स असोसिएसनhttps://www.blogger.com/profile/04062998860340210366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-15545280127672440902011-04-11T14:44:38.408+05:302011-04-11T14:44:38.408+05:30this is very wrong and thio post should be removed...this is very wrong and thio post should be removed now that it has been proved that the poem dipti navalsरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-49476532028769035962011-04-11T14:35:04.814+05:302011-04-11T14:35:04.814+05:30क्या इनकी बाकी कविताओं की भी जांच होनी चाहिये ?
बा...क्या इनकी बाकी कविताओं की भी जांच होनी चाहिये ?<br />बाकी माफ़ी मांग कर आपने बड़े दिल का परिचय दिया है <br />धन्यवादDarshan Lal Bawejahttps://www.blogger.com/profile/10949400799195504029noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-25792208770229173442011-04-11T12:46:53.532+05:302011-04-11T12:46:53.532+05:30अब सब कुछ साफ़ हो ही चुका है और शेखर जी ने माफी भी ...अब सब कुछ साफ़ हो ही चुका है और शेखर जी ने माफी भी मांग ली है तो अनजाने में हुई इस भूल को भुला देना चाहिएDr. Yogendra Palhttps://www.blogger.com/profile/15028175080069734310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-891529231310759812011-04-11T12:07:51.263+05:302011-04-11T12:07:51.263+05:30पिछले दो दिनों से सफ़र पर था, अभी जब दिल्ली पहुंचा...पिछले दो दिनों से सफ़र पर था, अभी जब दिल्ली पहुंचा हूँ तो एक विवाद का पता चला... ये जो विवाद उठ खड़ा हुआ है इसकी बहुत लम्बी कहानी है, जब मैं अपने कॉलेज में था तो मेरे एक मित्र ने ये कविता मुझे ये कहते हुए दी की ये उसने लिखी है और उसका कोई ब्लॉग नहीं है इसलिए अपने ब्लॉग पर मैं अपने नाम से ही पोस्ट कर दूं... मुझसे बस यही गलती हो गयी की मैंने बिना किसी विशेष खोज-पड़ताल के ये कविता अपने ब्लॉग पर पोस्ट कर दी... गूगल सर्च पर आप अभी भी देख सकते हैं ये कविता आपको कहीं नहीं मिलेगी... फिर उसके बाद आदरणीय रश्मि जी ने ये रचना वटवृक्ष के लिए मंगा ली.... हालाँकि मुझे कुछ महीनो के बाद इसकी मौलिकता पर शक हुआ तो मैंने एक टिपण्णी में माफीनामे के साथ ये कविता अपने ब्लॉग से हटा ली थी, लेकिन यहाँ का ध्यान नहीं रहा...<br /> मैं पूरे ह्रदय से आदरणीय दीप्ती नवल जी, आदरणीय रश्मि जी, आदरणीय रविन्द्र प्रभात जी, वटवृक्ष और समस्त ब्लॉग जगत से माफ़ी मांगता हूँ.. और आपको ये विश्वास दिलाता हूँ कि मैंने ये कोई जानबूझ कर नहीं किया.. जो लोग मेरा ब्लॉग पढ़ते हैं वो शायद इस बात को समझ लेंगे... मेरी कोई भी व्यक्तिगत मंशा नहीं थी....Shekhar Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02651758973102120332noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-55895236261537807342011-04-11T09:14:12.190+05:302011-04-11T09:14:12.190+05:30अगर यह सच है तो दुष्कृत है निंदनीय है।अगर यह सच है तो दुष्कृत है निंदनीय है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-32763887400069955992011-04-11T08:53:38.343+05:302011-04-11T08:53:38.343+05:30Ye nindniy kaary hai ... Ye rachna Deepti JI ke bl...Ye nindniy kaary hai ... Ye rachna Deepti JI ke blog par hai par uske prakashan ki tithi nahi hai. Aise kaamon ki bhatsarna honi chaahiye aur sach bhi saamne aana chaahiye.दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-62845784110729727882011-04-11T08:32:21.717+05:302011-04-11T08:32:21.717+05:30must be condemned...must be condemned...amit kumar srivastavahttps://www.blogger.com/profile/10782338665454125720noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-9063528969812562842011-04-10T23:39:08.853+05:302011-04-10T23:39:08.853+05:30सच्चाई सामने आ ही जाती है। लेकिन दीप्ति जी वाले ब...सच्चाई सामने आ ही जाती है। लेकिन दीप्ति जी वाले ब्लॉग पेज से यह क्लियर नहीं हो पा रहा कि वहाँ यह रचना कब छपी है, या फ़िर मैं ही नहीं मालूम कर पा रहा।<br />किसी दूसरे की रचना को खुद की बताकर छापना और वाहवाही लूटना शर्मनाक है।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-33887712336885102922011-04-10T23:10:49.743+05:302011-04-10T23:10:49.743+05:30निंदनीय...मैं खुद भुक्तभोगी इस तरह की चोरी कानिंदनीय...मैं खुद भुक्तभोगी इस तरह की चोरी काराजीव तनेजाhttps://www.blogger.com/profile/00683488495609747573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-18263202969486924212011-04-10T22:41:35.990+05:302011-04-10T22:41:35.990+05:30बहुत अफ़सोस जनक ....बहुत अफ़सोस जनक ....संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-44126889834365775922011-04-10T22:26:31.735+05:302011-04-10T22:26:31.735+05:30कृपया आप सभी मेरे ब्लॉग पर आये या आज का हिंदुस्तान...कृपया आप सभी मेरे ब्लॉग पर आये या आज का हिंदुस्तान उठा कर शब्द कॉलम पढें। दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा। मुझे लगता है इस चोर ने सोचा होगा की दीप्ति नवल जी के पास समय ही कहाँ है जो चोर को पकड़े। ऎसे इंसान को हटा देना चाहिये। बहुत ही गलत कार्य है यह।<br /><br />http://mereerachana.blogspot.com/2011/04/blog-post.html<br />यहाँ जरूर पढ़े...सुनीता शानूhttps://www.blogger.com/profile/11804088581552763781noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-65312536865649678372011-04-10T22:23:43.910+05:302011-04-10T22:23:43.910+05:30रश्मि जी,
मेल मेरे पास भी आई है जिसमें दीप्ति नवल ...रश्मि जी,<br /><a href="http://www.deeptinaval.com/lamha-gulzars_chalo_dur_tak.html" rel="nofollow">मेल मेरे पास भी आई है जिसमें दीप्ति नवल जी की मौलिक पोस्ट का ऑनलाइन लिंक भी है। दीप्ति नवल जी की मूल कविता यहाँ है:<br />http://www.deeptinaval.com/lamha-gulzars_chalo_dur_tak.html<br /></a><br /><br />लिंक पर जाने से साफ ज़ाहिर है कि यह कविता दीप्ति नवल की ही है।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-16936815128656352872011-04-10T22:22:51.978+05:302011-04-10T22:22:51.978+05:30This comment has been removed by the author.सुनीता शानूhttps://www.blogger.com/profile/11804088581552763781noreply@blogger.com