tag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post8029628269579976138..comments2023-12-02T15:15:35.792+05:30Comments on वटवृक्ष: जब तुमसे प्रेम हुआ है .......रवीन्द्र प्रभातhttp://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-69942778423924790182011-05-12T12:29:37.364+05:302011-05-12T12:29:37.364+05:30किन्तु छंद न सधता
अक्षर- अक्षर बिखरा
थकी तुलिका बन...किन्तु छंद न सधता<br />अक्षर- अक्षर बिखरा<br />थकी तुलिका बनी<br />आड़ी तिरछी रेखाएँ ---- दिल में उतर गईं..मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-84758714542946909602011-05-12T09:52:30.056+05:302011-05-12T09:52:30.056+05:30भावों की पाटी पर प्रियतम
चित्र तुम्हारा रंगती हूँ
...भावों की पाटी पर प्रियतम<br />चित्र तुम्हारा रंगती हूँ<br />किन्तु छंद न सधता<br />अक्षर- अक्षर बिखरा<br />थकी तुलिका बनी<br />आड़ी तिरछी रेखाएँ<br />अक्स तुम्हारा नहीं ढला है<br /><br />प्रेम की सुन्दर अभिव्यक्तिसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-13539810219689750652011-05-12T08:28:12.275+05:302011-05-12T08:28:12.275+05:30kya kahe sab to kah diya apne bhut khubsurat...kya kahe sab to kah diya apne bhut khubsurat...विभूति"https://www.blogger.com/profile/11649118618261078185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-43425944767394719672011-05-11T15:20:44.693+05:302011-05-11T15:20:44.693+05:30रश्मि जी,
इस रचना को वटवृक्ष में
शामिल करने के लिए...रश्मि जी,<br />इस रचना को वटवृक्ष में<br />शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद !<br />यह रचना भले ही एक प्रेमपत्र जैसे लगती है ,<br />पर सिर्फ प्रेमपत्र ही नहीं है यह उस अलौकिक, निराकार<br />को शब्दों में व्यक्त करने का प्रयास जो की शब्दोंमे,भावोंमे,<br />चित्रकारी में अभिवक्त नहीं होता अभिवेक्त करने के प्रयास में<br />अक्षर -अक्षर बिखर जाते है तुलिका थक जाती है !<br />तब भी निराकार रूप हमारे पकड़ में नहीं आता सिर्फ<br />उसे हम प्रेम के द्वारा महसूस मात्र कर सकते है !<br />मानवीय प्रेम पर खरी उतरती यह रचना अलौकिक प्रेम<br />पर भी खरी उतरती है ऐसा मेरा अपना मानना है !<br />और मेरी सभी रचनाओंमे मुझे यह रचना बहुत प्यारी लगती है !<br />वटवृक्ष की छाँव में इसका और भी मान बढ़ा है !<br />बहुत बहुत धन्यवाद !Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-63795319448426260942011-05-11T15:12:17.176+05:302011-05-11T15:12:17.176+05:30भावों का सुन्दर समन्वय्।
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत ...भावों का सुन्दर समन्वय्।<br /><br />आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी<br /> प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है<br />कल (12-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट<br /> देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर<br />अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।<br /><br />http://charchamanch.blogspot.com/vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-2504263341218849702011-05-11T15:09:27.190+05:302011-05-11T15:09:27.190+05:30सुमन जी,मीरा को भी निश्छल प्रेम की ही सजा मिली थी....सुमन जी,मीरा को भी निश्छल प्रेम की ही सजा मिली थी.प्रेम<br />अपराध होता नहीं है,बना दिया जाता है.जब किसी से प्रेम होता है तो दुनियां पीछे रह जाती है,सामने बस प्यार रह जाता है.Rajivhttps://www.blogger.com/profile/05867052446850053694noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-53200125785060300122011-05-11T14:00:01.043+05:302011-05-11T14:00:01.043+05:30किन्तु छंद न सधता
अक्षर- अक्षर बिखरा
थकी तुलिका बन...किन्तु छंद न सधता<br />अक्षर- अक्षर बिखरा<br />थकी तुलिका बनी<br />आड़ी तिरछी रेखाएँ<br />अक्स तुम्हारा नहीं ढला है<br />जब से मुझको प्रेम हुआ है !<br /><br />बहुत ही सुन्दर प्रेम कविता ! सुमन जी को बधाई !Indranil Bhattacharjee ........."सैल"https://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-59882911150477057012011-05-11T13:43:14.156+05:302011-05-11T13:43:14.156+05:30प्यार एक इबादत है
ज़रूरी नहीं कि इबादत करने पर
खुद...प्यार एक इबादत है<br />ज़रूरी नहीं कि इबादत करने पर<br />खुदा आँखें खोल ही दे......aur aaj ki kavita dono hi behad prasanshneey.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-72834436810305893262011-05-11T13:43:13.524+05:302011-05-11T13:43:13.524+05:30प्रिय के विछोह में आकुल विरहिणी की व्याकुल मनोद...प्रिय के विछोह में आकुल विरहिणी की व्याकुल मनोदशा का भावपूर्ण चित्रण ....सुरेन्द्र सिंह " झंझट "https://www.blogger.com/profile/04294556208251978105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-82522587338565030602011-05-11T13:14:45.110+05:302011-05-11T13:14:45.110+05:30प्रेम एक अभिव्यक्ति है इस दिल कि
जो छिपाने से छिप...प्रेम एक अभिव्यक्ति है इस दिल कि <br />जो छिपाने से छिप नहीं सकती <br />कहते है आँखे आएना है इस दिल का <br />जो सब बयां कर देती है .................<br /><br />जब नाम तेरा प्यार से लिखती हैं उंगलियाँ ,<br />मेरी तरफ ज़माने की उठती हैं उंगलियाAnju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-10521602880805432662011-05-11T13:09:24.964+05:302011-05-11T13:09:24.964+05:30किन्तु छंद न सधता
अक्षर अक्षर बिखरा ..
अवसाद और घन...किन्तु छंद न सधता<br />अक्षर अक्षर बिखरा ..<br />अवसाद और घनी उदासियों में भी प्रेम छिपता नहीं है !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-70675805384274291982011-05-11T12:47:31.922+05:302011-05-11T12:47:31.922+05:30गर इबादत सच्ची हो तो नामुमकिन है कि आँख न खुले और ...गर इबादत सच्ची हो तो नामुमकिन है कि आँख न खुले और हक़ीक़त न दिखाई दे ।<br /><br />सुंदर रचना ।DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-57785038701449125362011-05-11T12:15:44.529+05:302011-05-11T12:15:44.529+05:30भावों की पाटी पर प्रियतम
चित्र तुम्हारा रंगती हूँ
...भावों की पाटी पर प्रियतम<br />चित्र तुम्हारा रंगती हूँ<br />किन्तु छंद न सधता<br />अक्षर- अक्षर बिखरा<br />थकी तुलिका बनी<br />आड़ी तिरछी रेखाएँ<br />अक्स तुम्हारा नहीं ढला है<br />जब से मुझको प्रेम हुआ है !<br />निराश प्रेम की भावमय अभिव्यक्ति। सुमन जी को शुभकामनायें।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-56713371705183240112011-05-11T11:34:38.477+05:302011-05-11T11:34:38.477+05:30प्यार एक इबादत है
ज़रूरी नहीं कि इबादत करने पर
खुद...प्यार एक इबादत है<br />ज़रूरी नहीं कि इबादत करने पर<br />खुदा आँखें खोल ही दे !<br />..............<br /><br />किन्तु छंद न सधता<br />अक्षर- अक्षर बिखरा<br />थकी तुलिका बनी<br />आड़ी तिरछी रेखाएँ<br />अक्स तुम्हारा नहीं ढला है<br />जब से मुझको प्रेम हुआ है !<br /><br />इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिये आभार ...सुमन जी को बधाई ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.com