tag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post8919540588170187666..comments2023-12-02T15:15:35.792+05:30Comments on वटवृक्ष: कैसे कर लेते हो?रवीन्द्र प्रभातhttp://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-16452610329373079922011-05-07T17:08:32.524+05:302011-05-07T17:08:32.524+05:30बहुत उम्दा/ भावपूर्ण.बहुत उम्दा/ भावपूर्ण.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-64401075041414267202011-05-04T10:27:39.128+05:302011-05-04T10:27:39.128+05:30जब तक मुझे एहसास नहीं करा देते
कि
जो गलती तुमने कर...जब तक मुझे एहसास नहीं करा देते<br />कि<br />जो गलती तुमने करी<br />उसका कारण भी मैं ही हूँ .<br /><br />उफ़........ ये दर्प ही तो झंझटों की जड़ है.................www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-58883705699515959642011-05-03T22:56:41.682+05:302011-05-03T22:56:41.682+05:30अपनी-तुम्हारी गलतियों का
बोझ ढो-ढो कर............
...अपनी-तुम्हारी गलतियों का<br />बोझ ढो-ढो कर............<br />थक गयी हूँ .<br />अपनी भूल की पीड़ा ,<br />तुम्हारी गलती का दंश ,<br />दोनों,अकेले झेलती हूँ .<br />कभी तुम्हारा फूला हुआ मुंह ,<br />कभी तुम्हारा रूखा व्यवहार ,<br />तो कभी तुम्हारा अबोला सहकर.<br /><br />एक सच्चाई का बड़ी ही सहजता और सरलता से चित्रण किया है आप ने ,,बड़ी ही सार्थक और एहसास दिलाने वाली रचना है अगर हम समझना चाहें तो ,,,,बधाई स्वीकार करें <br />रश्मि जी आप ने तो ४ लाइनों में सारी पीड़ा का अनुभव करा दिया ,,,आप को भी मुबारक होइस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-15316673487663315172011-05-03T22:52:21.618+05:302011-05-03T22:52:21.618+05:30माहौल को गमगीन तुम बनाते हो
नाराज़ भी तुम ...........माहौल को गमगीन तुम बनाते हो<br />नाराज़ भी तुम .......... कैसे ?<br /><br />wahhhhhh<br /><br />अपनी-तुम्हारी गलतियों का<br />बोझ ढो-ढो कर............<br />थक गयी हूँ .<br />अपनी भूल की पीड़ा ,<br />तुम्हारी गलती का दंश ,<br />दोनों,अकेले झेलती हूँ <br /><br />ye ekdam satya bat kahi nidhi ji aapne...man na vicharohttps://www.blogger.com/profile/01043064459405093604noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-19399465129971007242011-05-03T22:10:48.905+05:302011-05-03T22:10:48.905+05:30sach hai bina kisi ki peeda ko pahchane peeda dena...sach hai bina kisi ki peeda ko pahchane peeda dena kaise kar jate ho...sunder rachna...kavita vermahttps://www.blogger.com/profile/18281947916771992527noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-32617097369066642752011-05-03T21:37:02.685+05:302011-05-03T21:37:02.685+05:30निधि जी ..मन की पीड़ा को शब्दों का रूप दिया है आप...निधि जी ..मन की पीड़ा को शब्दों का रूप दिया है आपने <br />मेरे हिसाब से ये हर नारी के मन की पीड़ा है ....आपने शब्दों में लिख दिया <br />पर हम जैसी कुछ बोल भी नहीं सकती...बहुत खूब और सच लिखा है आपनेAnju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-17408759626001374992011-05-03T19:36:09.673+05:302011-05-03T19:36:09.673+05:30bahut acchi rachna..bahut acchi rachna..नीलांशhttps://www.blogger.com/profile/06348811803233978822noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-46171518694113429522011-05-03T17:13:02.920+05:302011-05-03T17:13:02.920+05:30behtarin Rachna... !behtarin Rachna... !ρяєєтiihttps://www.blogger.com/profile/04220875453268097896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-39071009487672707792011-05-03T15:20:34.079+05:302011-05-03T15:20:34.079+05:30bahut khoob...bahut khoob...PRIYANKA RATHOREhttps://www.blogger.com/profile/05173622889571039240noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-1366089414994407302011-05-03T15:08:36.697+05:302011-05-03T15:08:36.697+05:30म यह कैसे कर पाते हो कि ..
जब तुमसे गलती हो जाती ह...म यह कैसे कर पाते हो कि ..<br />जब तुमसे गलती हो जाती है<br />तब इतनी ढिठाई से .....<br />तर्क पे तर्क करते रहते हो<br />बिना शर्मसार हुए .<br />तुम तब तक यह सब करते हो<br />जब तक मुझे एहसास नहीं करा देते<br />कि<br />जो गलती तुमने करी<br />उसका कारण भी मैं ही हूँ .<br />जबकि ,मुझसे कभी कोई भूल हो जाती है<br />तो , कई दिन तक मुझे<br />अपराध बोध सालता रहता है .<br />मैं,<br />अपनी-तुम्हारी गलतियों का<br />बोझ ढो-ढो कर............<br />थक गयी हूँ .<br /><br />waaaaah !<br />द्वंदों का इतना सूक्ष्म विश्लेषण तो कोई मनोविज्ञान का महारथी ही कर सकता है ... और फिर उसका इतना सुन्दर चित्रण केवल आप ही कर सकते हैं निधि जी ...वाकई ..एक कसक सी हुई कविता पढ़कर ..लगा की एक बार अपने तरफ भी देखूं कहीं ...मेरे आसपास भी तो ऐसा हा कुछ घटित नही हो रहा है<br />आपका पुनः आभार निधि जी!<br />और रश्मि दी.. वटवृक्ष का यह स्तर आप हमेशा बनाये रखियेगा ...आपको प्रणाम !आनंदhttps://www.blogger.com/profile/06563691497895539693noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-71900927101239926812011-05-03T14:29:38.792+05:302011-05-03T14:29:38.792+05:30bhawpurn rachna......bhawpurn rachna......मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-51975261002178272352011-05-03T14:10:50.723+05:302011-05-03T14:10:50.723+05:30जब एहसास शब्दों के पंख ले लेते हैं तो दिल भी उस सं...जब एहसास शब्दों के पंख ले लेते हैं तो दिल भी उस संग उड़ने लगता है |<br />मसुमियता से पूछा गया एक सवाल |<br />बहुत भावपूर्ण रचना |Minakshi Panthttps://www.blogger.com/profile/07088702730002373736noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-53305496560868977232011-05-03T13:55:54.856+05:302011-05-03T13:55:54.856+05:30यही हैरानी हमें भी होती है लोग ऐसा कैसे कर लेते है...यही हैरानी हमें भी होती है लोग ऐसा कैसे कर लेते हैं ...<br />भावपूर्ण शब्दों में पीड़ा छलक आयी ...!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-82093022648260625522011-05-03T13:41:48.358+05:302011-05-03T13:41:48.358+05:30बहुत ही मासूम से सवाल .......प्रभावी अंदाज़ ...बहुत ही मासूम से सवाल .......प्रभावी अंदाज़ ...निवेदिता श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/17624652603897289696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-81007340272084651402011-05-03T13:41:22.829+05:302011-05-03T13:41:22.829+05:30सुन्दर भावपूर्ण रचना.सुन्दर भावपूर्ण रचना.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-31247547819799420822011-05-03T13:36:10.160+05:302011-05-03T13:36:10.160+05:30निधि जी, धन्यबाद. कितने दिलों की कहानी आपकी रचना &...निधि जी, धन्यबाद. कितने दिलों की कहानी आपकी रचना ''कैसे कर लेते हो'' ने कह डाली...आपके भावों से पूर्णतया सहमत हूँ व उनकी कद्र करती हूँ...Shanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-61348612797114489622011-05-03T12:40:32.967+05:302011-05-03T12:40:32.967+05:30बहुत भावपूर्ण सशक्त रचना...बहुत भावपूर्ण सशक्त रचना...Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-79229826703149435442011-05-03T12:31:58.416+05:302011-05-03T12:31:58.416+05:30भावमय शब्द.... बेहतरीन एवं सशक्त रचना !भावमय शब्द.... बेहतरीन एवं सशक्त रचना !अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-54393048804665327512011-05-03T12:28:58.436+05:302011-05-03T12:28:58.436+05:30तुम यह कैसे कर पाते हो कि ..
जब तुमसे गलती हो जाती...तुम यह कैसे कर पाते हो कि ..<br />जब तुमसे गलती हो जाती है<br />तब इतनी ढिठाई से .....<br />तर्क पे तर्क करते रहते हो<br />बिना शर्मसार हुए .<br />तुम तब तक यह सब करते हो<br />जब तक मुझे एहसास नहीं करा देते<br />कि<br />जो गलती तुमने करी<br />उसका कारण भी मैं ही हूँ .<br />जबकि ,मुझसे कभी कोई भूल हो जाती है<br />तो , कई दिन तक मुझे<br />अपराध बोध सालता रहता है .<br /><br /><br /><br />कितनी सच्ची कविता ....सच कुछ लोग नजाने कैसे कर लेते है ये सब.... गलती है तो आप दोषी नही है तो भी आप दोषी या यूँ कहे की आप ही दोषी है और कोई नही आप को जीना है इसी अपराधबोध में ........http://anusamvedna.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/05081586436310937190noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-12439128922309883652011-05-03T12:21:31.645+05:302011-05-03T12:21:31.645+05:30अनुभव जब शब्द बनते हैं तो रचना दिल को छुं जाती है ...अनुभव जब शब्द बनते हैं तो रचना दिल को छुं जाती है ... बहुत सुन्दर !Indranil Bhattacharjee ........."सैल"https://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-52565142362712633272011-05-03T12:12:58.265+05:302011-05-03T12:12:58.265+05:30तुम यह कैसे कर पाते हो कि ..
जब तुमसे गलती हो जाती...तुम यह कैसे कर पाते हो कि ..<br />जब तुमसे गलती हो जाती है<br />तब इतनी ढिठाई से .....<br />तर्क पे तर्क करते रहते हो<br />बिना शर्मसार हुए .<br />तुम तब तक यह सब करते हो<br />जब तक मुझे एहसास नहीं करा देते<br />कि<br />जो गलती तुमने करी<br />उसका कारण भी मैं ही हूँ .<br /><br />सच्चाई कहती सुन्दर रचना ....संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-75006013321447359422011-05-03T11:54:30.646+05:302011-05-03T11:54:30.646+05:30bhut khbsarti se dil ke bhaavo ko abhivakti ki hai...bhut khbsarti se dil ke bhaavo ko abhivakti ki hai apne... jo bhaav hote to har kisi dil me hai per unhe shabd nhi mil pate hai... vo muskil kaam apne kar dikhaya hai...विभूति"https://www.blogger.com/profile/11649118618261078185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-3295773747275146062011-05-03T11:22:53.202+05:302011-05-03T11:22:53.202+05:30चित भी तुम्हारी पट भी तुम्हारी
हर बाज़ी अपने हाथ कै...चित भी तुम्हारी पट भी तुम्हारी<br />हर बाज़ी अपने हाथ कैसे कर लेते हो<br />माहौल को गमगीन तुम बनाते हो<br />नाराज़ भी तुम .......... कैसे ?<br />.........................<br /><br />जबकि ,मुझसे कभी कोई भूल हो जाती है<br />तो , कई दिन तक मुझे<br />अपराध बोध सालता रहता है .<br />मैं,<br />अपनी-तुम्हारी गलतियों का<br />बोझ ढो-ढो कर............<br />थक गयी हूँ .<br /><br />भावमय करते शब्द हैं इस अभिव्यक्ति के ... इस बेहतरीन एवं सशक्त रचना के लिये आभार ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.com