भूख
मंगला भिखारी दर्द
से करहा रहे कालू कुत्ते के पाँव को सहलाता
हुआ बोलो '' बेचारे भूखे को रोटी की बजाय लट्ठ खिला
दिया , जानवरों की तो कोई कद्र ही नहीं करता !''
'' जब से आटे के भाव बदे है , लोगो ने रोटिया देनी कम कर दी है कहते है की अब रोटिया गिन कर बनाते है , हमारी भी दो चार रोटिया गिन ले तो पहाड़ थोड़े ही टूट पडेगा उन पे , बेचारे कालू को जोर से लगी है !'' उसकी पत्नी रुकमा बोली !
''कालू भूख में भूल गया था की ये उस सेठ के
बंगले के सामने खड़ा कूकने लगा जहा चौकीदार लट्ठ लिए खडा रहता है !'' मंगला बोल !
'' इसमें इस का क्या दोष . जब सेठ के नौकर
सेठ के पालतू कुत्ते को बिस्किट खिला रहा था तो इस के मुझ में भी पानी आ गया होगा . सोचा होगा की जब इसे बिस्किट खिला रहा है तो मुझ भी खिलाएगा , मैं भी तो कुता हूँ !'' रुकमा ने उतर दिया !
'' दोनों कुतों की किस्मत में भी फर्क है,.... गरमा गर्म बन रही घरो में रोटियों की महक
से मेरी भूख भी भड़क रही है !''
'' मेरे कटोरे में सूखी रोटी है !''
'' पगली ! मुह में दांत होते तो ये भी खा
लेता !''
'' मैं कही से मांग कर लाती हूँ !''
रुकमा चल देती है , मगला दर्द से करहा रहे कालू कुत्ते को
पुचकारने लगता है . रोटियों की महक
मगला के मुह में रह रह पानी भर रही थी ! कुछ समय बाद रुकमा लंगडाती हुई आई !
''क्या हुआ '' चौकता हुआ मंगला बोला !
'' थोड़ी दूरी पे नया घर बना है इस उपलक्ष्य में वहा खाने का कार्यक्रम चल रहा था, खान की महक बहुत अच्छी आ रही थी शायद पकवान भी थे ,महक से लग रहा था मैं मन ही मन खुश हो रही थी की आज हमे मिठाई भी खाने को मिलेगी , मैं ये खयाली पुलाव लिए उस घर के दरवाज़े के पास जा कर खड़ी हो गयी तभी उस घर की कोई महिला सदस्या आई उसे देख मैं बोली - ;; माई ! कुछ खाने को दो ना मेरे पति भूखे है !''
''बाह्मण भोजन से पहले किसी को कुछ नहीं
मिलेगा और हां , भिखारियों को तो पूरा खाने का कार्यक्रम
सलटने के बाद ही!'' वो झिदकती सी बोली !
'' आप लोग ही तो कहते है की मेहमान भगवान् का रूप होता है , थोड़ा खाना दे दो ना , मेरे पति को बहुत जोरो की भूख लगी है !''
-'' भिखारी हो कर जुबान लड़ाती है मेरे से '' ये कह तैश में आ कर उसमे मुझे अपनी लात से धक्का दे दिया , गिरने से मेरे थोड़े घुटने छिल गए , दर्द हो रहा है !''
'' वाह रे ,सभ्य समाज !ख़ाने में धक्का खैर , ये तो हमारे जीवन का एक हिस्सा सा बन गया है फिर हम लोगो
की और कालू की किस्मत में अंतर है भी कितना ?!'' मंगला आक्रोश में बोला !
'' सिर्फ इतना ही की हम कहे तो इंसान जाते
है और ये जानवर के !'' रुकमा अपनी चोट पे फूंक मारती बोली !
'' अरे , सुनो !खुशबू से लग रहा है की कही परांठे
भी कही बन रहे है , है ना !'' मंगला मुस्कुराता हुआ अपनी घ्राण शक्ति
से सूंघता सा बोला !
'' लगता तो है , चलो हम उस कचरे की ढेरी क पास चल कर बैठे
तो तुम्हारे लिए ठीक रहेगा !'' रुकमा सूखी रोटी को कटोरे में देखती हुई बोली !
नई कास्टयूम
सभागार में मौजूद भीड़ में बेहद उत्सुकता थी। भीड़ मे चर्चा का
विषय था चर्चित फैशन डिजाइनर की आज नई फीमेल कास्टयूम
का प्रर्दशन होना। हाई सोसायटी वाली महिलाए अपने बदन दिखाऊ भड़कीले कपड़े पहने ज्यादा उत्साहित थी। कुछ समय पश्चात् डिजाइनर अपनी नई कास्टयूम
डिजाईन पहने महिला मॉडल के साथ कैटवॉक करते मंच पे आ गया। पूरा सभागार भौचक्का रह गया तालियाँ आघी अधूरी बज कर रह गई। कैमरों की फ्लैशें एक बार थम सी
गई। सभागार में कानाफूसियां गूंजने लगी। ये क्या नई कास्टयूम है, ऐसी क्या हमारी सोसायटी में पहनते है, क्या बुद्धि सठिया गई। पब पार्टियों में
क्या ये कास्टयूम पहन कर जाएगे हम लोग। वे महिलाएं आपस मे बड़बड़ाती हुर्ह सभागार से बाहर निकलने लगी। पारम्परिक कॉस्ट्यूम चुन्नी से माथा
ढंका सलवार सूट पहने नजरें नीची किए मॉडल के साथ डिजाईनर अभिवादन मुद्रा में खड़ा था।
चुनाव
गृहमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में एक कुख्यात अपराधी गुट और पुलिस
दल के बीच जबरदस्त गोलीबारी हुई। इस गोली बारी मे
गुट के कुछ साथियों के साथ सरगना व कुछ पुलिस वाले भी मारे गए। टी.वी. पे खबर देख गृहमन्त्री बेहद व्यथित हो गए खाना बीच में छोड़ दिया।
‘‘क्या हुआ अचानक
आपको, जो निवाला भी छोड़ दिया। राज्य मे आज से पहले भी ऐसी कई बार घटना हुई
है, जिसे कभी आपने इतने मन से नही लिया।'' पत्नी बोली।
‘‘ऐसी घटना भी तो मेरे
साथ पहली बार हुई है।'
‘‘मैं समझी नहीं।''
‘‘जो सरगना मरा है, उसी के दम पे तो मैं चुनाव जीतता आया
हूँ।'' गृहमन्त्री जी हाथ धोते बोले।
यथार्थ
'' माँ कितना अच्छा होता कि हम भी धनी होते
तो हमारे भी यूही नौकर-चाकर होते ऐशोआराम होता ''
'' सब किस्मत कि बात
है, चल फटा फट बर्तन साफ़ कर, और भी काम अभी करना पड़ा है! ''
माँ-बेटी बर्तन मांझते हुए बातें रही थी !
'' माँ ! इस घर की
सेठानी थुलथुली कितनी है, और बहुओं को देखो हर समय बनी-ठनी घूमती रहती हैं, पतला रहने के लिए कसरतें करती है .. भला घर का काम-काज, रसोई का काम, बर्तन-भांडे आदि माँझे तो कसरत करने
कीज़रूरत ही नहीं पड़े, है ना माँ ?
''बात तो ठीक है.., बस हमे भूखो मरना पड़ेगा !"
ब्रेकिंग न्यूज़
लेह में बादल फटने से ज़बर्दस्त तबाही , हर तरफ तबाही का मंजर , इस प्राकर्तिक हादसे में कितना नुकसान हुआ , फिलहाल कहना मुश्किल है ! मगर हर और दिल देहला देने वाले मंज़र है , कही मिट्टी में लाशें दबी पड़ी है , कही टूटे घर , बड़ी बड़ी गाड़ियाँ जल समाधि ले चुकी है
यानी हर और खौफ ही खौफ ! लोग खौफज़दा है ! यहाँ किसी भी तरह से समपर्क का साधन कट चुका है , ना लाइट है और ना ही पीने का पानी लोगो के पास ! प्रशासन और फौज अपनी
पूरी तत्परता से अपने राहत कार्यों को अंजाम दे रहे है . किसी ने भी अचानक आये आपदा के बारे में सोचा ही नहीं होगा मगर कुदरत किसी को
भी नहीं बख्शता और जो प्राकर्तिक आपदाए आती है उसका ज़िम्मेदार भी तो इंसान
ही है जिस का परिणाम भुगतना तो पडेगा ही ! यहाँ हम जो दृश्य दिखा रहे है
वो ……।
एक चैनल का
रिपोर्टर हर दृश्य इस तबाही का दिखाता हुआ अपनी रपट कहा रहा था !
कश्मीर में एक घर बड़ी उत्सुकता से टी वी पर ये सब देख रहा था ! सभी के चेहरे शांत ,परिवार की कुछ सदस्यों की नम आँखे थी तो कोई अपनी इबादत कर रहा था ! घर में एक दम ख़ामोशी पसरी पड़ी थी मगर टी वी ये मंजर देख वे सिहर उठे !
'' हमे अभी अभी एक सूचना मिली है जिसमे मरने
वालो में कुछ की शिनाख्त हुई है जिन के नाम हम टी वी स्क्रीन पे दिखा रहे है …… !'' रिपोर्टर बोला !
'' खुदा खैर करे हमारे जान पहचान वाला कोई ना हो इसमें !'' उस परिवार की एक महिला बुदबुदायी
रिपोर्टर की ये
बात सुन। ,पूरा परिवार अपना खौफज़दा चेहरा लिए अपनी नज़रों को टी वी पे दोबारा गाड ली , मृतको का नाम सुनने के लिए की कही इस हादसे में अपना कोई ना
हो , नमाज़ पड़ती महिला बरबस रुक गयी सभी सदस्य एक दूसरे का मुँह ताकने लगे ! सभी टकटकी लगाये बैठ गए । घर में एक दम सन्नाटा , सभी की धड़कने बढ़ने लगी , साँसे मानो थम सी गयी उनकी। सभी के होठ
बुदबुदाने लगे अपनी इबादत में की कोई उनके लिए कोई अपशगुनी न्यूज़ ना हो !तभी रिपोर्टर बोला - पहले एक छोटा सा ब्रेक। .! ये सुन मानो सभी
की साँसे जम सी गयी !
() सुनील गज्जाणी
सुथारों कि बड़ी गुवाड़ , बीकानेर 334005
मेल आई डी - sgajjani@gmail.com
मोबाइल - 09950215557