कुछ हाइकु अवधी भाषा में : रवीन्द्र प्रभात कुछ हाइकु अवधी भाषा में : रवीन्द्र प्रभात

(एक) आंख क पानी राजनीति म जात मरि जात है। (दो) का कहै यार ओरहन सुनके दुखै कपार। (तीन) फुटै करम देस मा बोवै धान रोबैं किसान। ...

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3:20 PM

हाइगा कार्यशाला में रचनाकारों ने बिखेरे प्रकृति के रंग हाइगा कार्यशाला में रचनाकारों ने बिखेरे प्रकृति के रंग

भारत ऋतुओं का देश है, जहां प्रकृति का वैविध्यपूर्ण सौंदर्य बिखरा पड़ा है। यही कारण है, कि फूलों का देश जापान को छोड़कर आने की दु: खद ...

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9:24 AM

मजदूर दिवस पर मजदूर को समर्पित  हाइगा मजदूर दिवस पर मजदूर को समर्पित हाइगा

"हाइकु-गंगा" व्हाट्स एप ग्रुप द्वारा 'श्रमिक दिवस' पर आयोजित विशेष हाइगा कार्यशाला से लिये गये कतिपय  हाइगा - - ...

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12:47 PM

डॉ. मिथिलेश दीक्षित के हाइकु : बेटियां डॉ. मिथिलेश दीक्षित के हाइकु : बेटियां

यादों का गाँव रुनझुन पायल कोमल पाँव ! * क्यों  री तितली तेरी रंगीन फ्राक किसने सिली? * सूरज राजा नानी को ठण्ड लगे जल्दी से ...

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1:54 PM

न्यूजीलैंड में सराही गयी कुसुम वर्मा की मिश्रित कला प्रदर्शिनी और नृत्य न्यूजीलैंड में सराही गयी कुसुम वर्मा की मिश्रित कला प्रदर्शिनी और नृत्य

ऑकलैंड (न्यूजीलैंड) । विगत 23 दिसंबर 2016 से 01 जनवरी 2017 के बीच न्यूजीलैंड के ऑकलैंड, हेमिल्टन, रोटोरूआ आदि शहरों में आयोजित सातवें ...

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11:58 AM

सरस्विता पुरस्कार सरस्विता पुरस्कार

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10:24 PM

ब्लॉगोत्सव-२०१४, राजनीति का गुण्‍डा : अविनाश वाचस्‍पति ब्लॉगोत्सव-२०१४, राजनीति का गुण्‍डा : अविनाश वाचस्‍पति

‘गु ण्‍डा’ जयशंकर प्रसाद की कहानी का किरदार किताब से बाहर निकलकर राजनीति में अपनी घनघोर उपस्थिति दर्ज करवा चुका है। अभी सप्‍ताह भर भी नह...

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3:00 PM

ब्लॉगोत्सव-२०१४,  ‘मैं कौन हूँ’ का आवरण और स्त्री एवं स्त्री-सशक्तिकरण ब्लॉगोत्सव-२०१४, ‘मैं कौन हूँ’ का आवरण और स्त्री एवं स्त्री-सशक्तिकरण

भा रतीय दर्शन के मूल में एक प्रश्न उभरता है कि मैं कौन हूँ? दर्शन की अपनी अवधारणा, अस्तित्व को तलाशने और पहचानने का सूत्र। ‘मैं कौन हू...

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1:00 PM

ब्लॉगोत्सव-२०१४, चौबीसवाँ दिन, सुशांत सुप्रिय की कहानी: एक गुम-सी चोट ब्लॉगोत्सव-२०१४, चौबीसवाँ दिन, सुशांत सुप्रिय की कहानी: एक गुम-सी चोट

                                                      कैसा समय है यह                               जब बौने लोग डाल रहे हैं              ...

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11:56 AM

ब्लॉगोत्सव-२०१४, तेईसवाँ दिन, डॉ अ कीर्तिवर्धन की कविता ब्लॉगोत्सव-२०१४, तेईसवाँ दिन, डॉ अ कीर्तिवर्धन की कविता

कविता  मिलता हूँ रोज खुद से, तभी मैं जान पाता हूँ, गैरों के गम में खुद को, परेशान पाता हूँ। गद्दार इंसानियत के, जो खुद की खातिर ज...

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12:00 PM
 
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