(एक)
आंख क पानी
राजनीति म जात
मरि जात है।
(दो)
का कहै यार
ओरहन सुनके
दुखै कपार।
(तीन)
फुटै करम
देस मा बोवै धान
रोबैं किसान।
(चार)
ए सरकार
कैसे कौर घोटाई
मंहगाई म।
(पांच)
चतुरी चच्चा
खेते- खेते कमाए
अंबानी खाए।
(छ:)
सभै बीस हैं
केहू ना ओनइस
निपोरै खीस।
(सात)
खुबै लुटाए
जे आवै लूटै खाए
लोकतंत्र म।
(आठ)
लोहा उनकै
हमरी खाली धार
हम मज़ूर।
(नौ)
हम मजूर
नाही हैं मजबूर
भुखै जरूर।
(दस)
केतना पानी
मालुम हौ औकात
ए घोघो रानी।
वाहः सुंदर लेखन
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