कलम दो , एक मेरी एक राजीव जी की ....
मिन्नी एक है , उसके ख्वाब एक,
उसकी हँसी एक, उसकी बातूनी बातें एक,
उसकी सरलता एक, उसकी दृढ़ता एक ...
हिंदी में कहो या अंग्रेजी में ... मिन्नी बदलती थोड़े है !
नहीं बदलती उसकी अदा , नहीं बदलती उसकी गहराई ...
भाषा अलग , भाव एक ! मेरी मिन्नी हिंदी बोलती है, राजीव जी की मिन्नी अंग्रेजी .......
हाँ इस मिन्नी को रेखांकित किया है मैंने ,
... इस गोलम्बर से उस गोलम्बर तक दौड़ लगाते हुए मिन्नी कैसी लगती है ,
कहिये तो --------------------------------------
रश्मि प्रभा
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!! मिन्नी !!
मैं वही मिन्नी हूँ
जो लड़ती थी
जो लड़ती है ...
पर जानते हो वह क्यूँ लड़ती है
अनर्गल प्रलाप करती है
सारी समझदारी बिल्कुल अचानक
ताक पे रख देती है
और अपने ही हाथों
अपने सपनों की पिटारी को लॉक कर देती है
तुम्हें तो लगता है
'मिन्नी झक्की है
कोई बात नहीं समझती
बस लड़ती है
एक सिरे से दूसरे सिरे तक
अपनी ही बातों से अलग-थलग हो जाती है !'
समझते तो तुम नहीं
मिन्नी तो बहुत सीधीसादी है
बड़े छोटे हैं उसके सपने
जैसे किसी नन्हें बच्चे को नहला धुलाकर
काला टीका लगाकर पालने में बिठा देते हैं
बिल्कुल वैसे ही ...
वैसे ही खिले-खिले
वैसे ही मासूम
और मासूम बच्चे को एक ऊँगली की ज़रूरत होती है
एक प्यार भरे स्पर्श की ज़रूरत होती है
वरना
वो गिर जायेगा
घुटने छिल जायेंगे
सर पे गुमड निकल आएगा
और लगातार रोने की आवाज़ आएगी
ऊंऊंऊंऊंऊं आँआँआँआँआँआँ
समय बीत जाने के बाद
बच्चा थक के सो जाता है
उसकी शरारतें रूक जाती हैं
पर मिन्नी के ख्वाब आज भी जिंदा हैं
सपने खोये नहीं हैं
मिश्रीवाली झोपड़ी
लुकाछुपी वाले खम्भे
और फ्रिलवाली फ्रॉक............
उसकी ऊँगली पकड़ लेने में हर्ज़ क्या है
मुठ्ठी में लेमनचूस भर देने में हर्ज़ क्या है
क्यूँ खामखाह समझदारों की भीड़ में उसे गुम कर देना चाहते हो........
मिन्नी खो गई
तो फिर कुछ शेष नहीं रहेगा !
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आदरणीय रश्मिप्रभा जी(दीदी) की रचना"मिन्नी" को जब पहली बार मैंने पढ़ा तो मुझे लगा कि काश! मैं इनकी इस कविता का अंगरेजी में अनुवाद कर पाता. दीदी का लेखन मुझे हमेशा प्रेरित करता रहा है.मेरा यह प्रयास उनको सादर समर्पित है.
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I AM LIKE THAT ONLY. (minni)
The girl next door
Who used to fight,
Fight and play
Everyday
And
Still fights.
But
Do you know why?
Why I shout
Meaninglessly,
Why I stopped listening
To anyone,
And put my dreams
Aside.
You think I am cynic,
Who doesn’t try
To understand anything
Just keeps fighting ,
Fighting and fighting.
End to end.
And gets separated
Into twin self.
It's you
Who don’t
Understand me,
My "self" yet.
I am very simple,
Very straight.
Have simple dreams
Like a nascent babe
Who has been prepared
And made to sit
On the cradle
Or.on the floor
And looks like a flower
Freshly bloomed
Full of beauty,
Full of innocence .
I need a finger to tread
Upon the road of life.
With the touch of love.
Otherwise
I may lose control
And fall
And get my knees hurt,
Or may have a bump
On my head.
And'll cry bitterly in pain.
I’ll sleep after getting tired.
My mischief will also retire.
My dreams are still alive
And have not been lost
In the bushes of busy life.
And the corners of my house
Is still full of sweet memories
Of where I stayed and played
The game of hide and seek.
Wearing star studed frock.
It’s not otherwise
To leave the finger
And move,
Both hands filled
With dreamy chocose.
I need not get mixed up
With world so mature .
If my innocence is lost
Nothing’ll stay fresh,
Fragrant and fine.
‘Cause I dearly love
My loneliness.
Yes,very dearly.
Don’t wish a friend.
If you blame me,blame.
My “yes” goes with it.
I can’t be like you.
I am Columbus in life,
In search of the Island of love
Where
Everywhere
There is aroma of love।
Essence of feeling
Around.
What did you say?
Life is first to live than to love.
I do know what love is.
What Krishna meant to Radha,
And to Meera
Love is source
Of my energy
To survive
All odds in life
That only I know.
See the power of love.
I feel hungry
When loved ones are near
And we are together,
And hungerless
When they are away.
I still love and respect time.
I maintain it too..
If I fail to reach in time.
Both Time & Me
Will lose
Our credibility together,
For ever.
See!
I am just like that,
Surprisingly unique
For, the world I live
Has lovely dreams.
राजीव कुमार
http://ghonsla.blogspot.com/
दीदी, आपकी रचना तो बेहद खूबसूरत और मासूम सा है ही पर अंग्रेजी अनुवाद उसको एक नया आयाम दे दिया है ...
ReplyDeleteकविता और उसका अनुवाद दोनों ही बहुत सुन्दर
ReplyDeleteमिन्नी का अंग्रेजी अनुवाद भी बहुत सुंदर है और मिन्नी कि हिंदी प्रति तो है ही सुंदर. इस प्रयास के लिए आप बधाई के पत्र हैं.
ReplyDeleteये कविता मुझे भी बहुत पसंद है ...
ReplyDeleteएक मिन्नी की नहीं,
बहुत सारी मिन्नियों की कहानी है ये ...
इसका अंग्रेजी अनुवाद भी अच्छा लगा ...
संग्रहणीय !
रश्मि जी मिन्नी तो बस मिन्नी ही लगती है| हमीं में से किसी की छोटी सी प्यारी दुलारी सी बिटिया|
ReplyDeleteबहुत सुन्दर दोनों रचनाएं.. राजीव जी का अनुवाद उच्च कोटि का है..
ReplyDelete"मीनी" लाजवाब और राजीवजी का प्रयास कितना सफल हुआ है...... दोनों को बधाई
ReplyDeleteबदली बन गरज-चमक कर
ReplyDeleteप्रेम बगिया पर आ
बरसने लगता है
तुमको
सोचने के बाद
जाने क्यों!
कविताजी, बहुत ही उम्दा कविता है... मन खुश हो गया... आपकी सर्जकता को साधुवाद
bhn ji mkkhn ki trh dil ko chune vaala lekhn he bhut bhut mubark ho. akhtar khan akela kota rajsthan
ReplyDeleteaapki yah kavita achhi lagi..khaaskar kala teeka lagakar paalne me bithane wali image pasand aayi.. mithaas hai is kavita me...english kavitaon ke craft kee samjh nahi hai mujhe isliye kuch kahunga naheen..par haan bhav barkaraar rakhe gaye hain... :)
ReplyDeleteप्रकाश पर्व की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (22/11/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
Bahut khoobsoorat aur auchitya poorn bhi. DO Bhashaaon me yah post aur bhi bahuaayami bn gayii hai....
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी और मासूम सी कविता और अनुवाद भी.
ReplyDeletedi ki is rachna ko is mukaam par pahuchane ke liye aapko sadhubad
ReplyDeleteaur di ki to bat hi kya he
mubarak di aapko bhi
आदरणीय दीदी,सादर प्रणाम.
ReplyDeleteसर्वप्रथम मेरे अनुवाद को मान देने के लिए आभार. मुझे बहुत बेसब्री से इस दिन का इन्तजार था. जब कविता और अनुवाद पढ़कर देखा तो दोनों में आप ही नजर आयीं. सादर.
बहुत ही सुन्दर शब्द, जाने कितने मासूम भावों को समेटे हुये अनुपम अभिव्यक्ति ....और इसका अनुवाद भी कहीं कमतर नहीं ...।
ReplyDeleteसुन्दर रचना और सटीक अनुवाद!!!
ReplyDeleteआभार!
कविता और अनुवाद दोनों ही अद्भुत. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
मिन्नी....... ! क्या कहूं .......कलियों का धीरे से आँखें खोलना ...........तितली की मुक्त उड़ान.......नदी का स्वछंद प्रवाह........दो मुल्कों की सीमा का मज़ाक उडाती एक सहज चेतना .....जिसकी तलाश में पागल है पूरी दुनिया ...मगर तलाश नहीं पा रही ......हमने अपने आप को कितना जटिल बना लिया है ? मिन्नी की भी तो यही शिकायत है न रश्मि जी ! ......और हाँ, भाई राजीव जी ! ज़ो रचना में डूब जाए....रचनाकार के साथ तादात्म्य बना ले बेहतर अनुवाद वही कर सकता है ......और यह खूबी है आपके अन्दर.....मैं यदा-कदा आपकी रचनाएँ पढ़ता रहता हूँ........कविता के एसेंस को परोसने के लिए साधुवाद.
ReplyDeletebahut pyari lagi Minni Hindi men bhee aur angreji men bhee.
ReplyDeleteमिन्नी ...एक यादगार कविता.
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