बिटिया क्या है?
कमज़ोर नहीं है नारी
जाने है दुनिया सारी
माँ तेरी कृपा है हर उस घर में
जहाँ जन्म ले नारी
रश्मि प्रभा
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!! मन की धड़कन !!
मन की खुशबू या फिर हमारा नवीन रूप
मुझे तो लगता है कि बेटियां चिन्ता का विषय है हीं नहीं।
वे तो हमारे मन की सारी ही चिन्ताओं को हम से दूर कर देती हैं।
जब बेटी पहली बार गोद में आयी थी तब लगा था कि यह कैसा अहसास है?
जैसे-जैसे वह बड़ी होती गयी,
मुझे अपने बचपन में लेती गयी और मेरा बचपन साकार हो गया।
जब बहु घर में आयी तब ऐसा लगा कि अरे यह तो अपना यौवन ही लौटकर आ गया है।
तुम ही मेरा रूप हो
तुम ही शेष गीत हो
मन की शेष प्रीत हो।
तुम में ही गुथी हूँ मैं
तुम ही आकार शेष
मैं तो जैसे हारती
तुम ही नेक जीत हो।
पुष्प में पराग जैसे
गंध का संसार तुम
मैं तो पात पीत बनी
तुम ही शेष चिह्न हो।
अब तो शेष रंग गंध
बंसियों सी गूंज तुम
मैं तो रीती धड़कनें
तुम ही नेह रीत हो।
अब हवा संग घुल रही
घुल के भी समा रही
मैं तो जाता प्राण हूँ
तुम ही तो शरीर हो।
अब तो केवल शब्द हैं
पुस्तिका बनोगी तुम
मैं तो पृष्ठ-पृष्ठ हूँ
तुम ही मेरी जिल्द हो।
अजित गुप्ता
http://ajit09.blogspot.com/
सबको मुबारक बेटियां।
ReplyDeleteइसमें कोई दो राय नहीं है कि बेटियां घर की रौनक होती है ... और बेटों से कम नहीं होती है ... फिर हमारी समाज व्यवस्था इतनी कमज़ोर है कि बेटियों को हमेशा कमतर आंका जाता रहा है ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
बहुत सुंदर वर्णन किया है , बेटियों में अपने को आत्मसात करके. बेटियाँ वह नियामत हैं ये वही जानता है जिसको ऐसी नियामत मिलती है. मेरी तो दो आँखें हैं मेरी बेटियाँ. सबसे यही गुजारिश है की बेटियों को प्यार और सम्मान दो. वे ही इस सृष्टि का आधार हैं.
ReplyDeleteबेटियाँ हमारे मन की खुशबू और हमारा ही दूसरा रूप ...
ReplyDeleteबेटियों की मां होना ...
एक बेहद खूबसूरत एहसास ..!
खूबसूरत एहसास लिए कविता ..!
बेटियों सी प्यारी रचना.
ReplyDeleteमैं तो पृष्ठ-पृष्ठ हूँ
ReplyDeleteतुम ही मेरी जिल्द हो।
वाह! कितनी खूबसूरत बात कह दी।
मैं तो जाता प्राण हूँ
ReplyDeleteतुम ही तो शरीर हो।
अब तो केवल शब्द हैं
पुस्तिका बनोगी तुम
मैं तो पृष्ठ-पृष्ठ हूँ
तुम ही मेरी जिल्द हो।
..बहुत सुन्दर प्यारी रचना
अति उत्तम भाव लिए कविता |बहुत बहुत बधाई |
ReplyDeleteआशा
रश्मि जी, आपकी चंद पंक्तियां...और अजित गुप्ता जी की ये कविता भाव विभोर कर गई...
ReplyDeleteइसी सिलसिले में अपना एक शेर हाज़िर है-
बादलों के पार मैं इक और ही दुनिया में था
थामकर उंगली चली नन्ही परी जब साथ में.
अब तो केवल शब्द हैं
ReplyDeleteपुस्तिका बनोगी तुम
मैं तो पृष्ठ-पृष्ठ हूँ
तुम ही मेरी जिल्द हो।
कविता में बेटियों के प्रति स्नेह, दुलार, ममता...सभी भाव सजीव हो उठे हैं...एक उत्तम रचना।
मैं तो पृष्ठ-पृष्ठ हूँ
ReplyDeleteतुम ही मेरी जिल्द हो।
अतिसुन्दर भावाव्यक्ति , बधाई
sahi kaha hai apne ek dam...
ReplyDeleteबेटियों पर कविता... बिल्कुल बेटियों जैसी खूबसूरत है...
ReplyDeletebahut hi sarthak soch,
ReplyDeleteaur bahu ko beti ke roop me dekhna
ati sundar khayaal,
sundar kavita ke liye sadhubad
बिटिया का काम है पूरे परिवार को एकता के सूत्र में पिरो कर रखना..चाहे माँ, बहिन , पत्नी के रूप में या किसी अन्य रूप में..
ReplyDeleteबहुत ही बढियाँ कविता..सरल शब्दों में दिल की गहराई तक उतरती कविता..