परख लूं ...
मेरे घरौंदे से तेरे नाम की खुशबू आती है
बंद कमरों से तेरे नाम की सदा आती है
मैं अनसुना करूँ तो कैसे ?
इस बेचैन रूह को क्या परखना ...
रश्मि प्रभा
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परख लूं ...
फासले आ गये,
मुहब्बत में कैसे,
जरूर
इक-दूसरे से
तुमने कुछ
छिपाया होगा …!!
भाग रही थी अपने आप से,
छुपा रही थी वह
खुद को
सवालों से
जिनका जवाब उसे पता था
पर वह बताकर
अपमान नहीं करना चाहती थी
अपने विश्वास का …!!
आंखे आंसुओं से सजल
हो उठती थीं जब
कोई कहता था
परख लूं तेरी प्रीत को …!!
() सीमा सिंघल
बहुत ही साधारण सा परिचय है मेरा ..........
सीमा सिंघल जन्म स्थान रीवा (मध्य प्रदेश) में, राजनीति शास्त्र से एम.ए. की शिक्षा प्राप्त की है। वर्तमान में एक निजी सस्थान में निजसचिव के पद पर कार्यरत हूं ........कविताएं लिखने का शौक तो था ही अब ब्लाग जगत से भी परिचय हो चुका है और आपके सामने आने का अवसर भी यही माध्यम बना ‘सदा’ के नाम पर मेरा ब्लाग है ।
मेरे ब्लाग का पता है ..........
http://sadalikhna.blogspot.com/
सुन्दर रचना प्रस्तुति....आभार
ReplyDeletebahut achcha likhin hain aap.
ReplyDeleteबहुत भावमयी प्रस्तुति ...
ReplyDeleteप्रीत को हमेशा ही परीक्षा से गुज़रना पड़ता है ... पर क्या ऐसा कुछ है जो प्रीत को परख सके ?
ReplyDeleteसुन्दर कृति ..
रश्मि जी ,वाह इतने कम शब्दों में सब कुछ कह दिया आप ने
ReplyDeleteसीमा जी ,की कविता भी बहुत नाज़ुक और सच्चे भावों को बड़े सधे हुए तरीक़े से अभिव्यक्त कर रही है
बहुत ख़ूब!
आंखे आंसुओं से सजल
ReplyDeleteहो उठती थीं जब
कोई कहता था
परख लूं तेरी प्रीत को …!!
आह! अब इससे बडा कहर और क्या होगा प्रीत पर?
दिल मे उतर गयीं ये पक्तियां।
बहुत भावमयी प्रस्तुति
ReplyDeleteसुन्दर रचना प्रस्तुति....आभार
ReplyDeletebahut sundar!
ReplyDeleteकोई कहता था
ReplyDeleteपरख लूं तेरी प्रीत को …!!
parakhana mat parakhane se
koi apna nahi rahata .
badi sunder gazal hai kabhi mauka mile to sun ne ki koshish kariye ga .
बहुत ही प्यारी रचनाएँ... खुद को परखू कैसे जब हममें कुछ भी तेरा-मेरा नहीं...
ReplyDeleteदिल की कलम से कागज़ पर उतरते आप के शब्द ...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना है ....
बहुत ही सुन्दर रचना.
ReplyDeleteकोई कहता परख लूं प्रीत को ...
ReplyDeleteमुशिकल दौर होता है ये ...
अच्छी कविता !
रश्मि दी, का बहुत-बहुत आभार मुझे यहां तक लाने का, आप सभी की शुक्रगुजार हूं इस रचना को पसन्द करने के लिए ...।
ReplyDelete"आंखे आंसुओं से सजल
ReplyDeleteहो उठती थीं जब
कोई कहता था
परख लूं तेरी प्रीत को …!!"
man se kahi gai baatein.bhwook karti rachana.
रचना सच में बेहद खूबसूरत है
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