कुछ कर गुजरने की बातें करते हैं,
सूरज को मुट्ठी में भरकर प्रकाश को
अपनी धरोहर बना लेने की कसमें लेते हैं
बिल्कुल हमारी तरह ...
रश्मि प्रभा
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() नीलम पुरी.
शिक्षा- स्नातक
रूचि - घर संभालना और समय मिलने पर अपने उद्वेग को शांत करने
के लिए कागज़ पे कलम को घसीटना .
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!! तुम और तुम्हारी मेरी बातें !!
कुछ मेरी अनकही,
कुछ अपनी कही हुए बातें,
सब उकेर दो कागजों पर,
कुछ सपने लिखना ,
कुछ लम्हें लिखना,
जिन्हें अक्सर जीती हूँ मैं तुम्हारे लिए ,
कुछ रातें,
कुछ बीते हुए, अहसास भी लिख देना,
जीना चाहती हूँ मैं फिर से वही अहसास,
फिर से सजा लुंगी अपनी आँखों में,
भर लूंगी उन्हें मोतियों की तरह,
लेकिन तुम्हें आज एक वादा करना होगा,
इन मोतियों को गिरने नहीं दोगे कभी,
किसी और के काँधे पर,
खा लो कसम...
समेट लोगे मुझे,
मेरे खवाबों को सजा लोगे अपनी पलकों पर
मेरे लिए तोड़ लाओगे वो चाँद,
जो रोज़ मुझे और मेरी मोहब्बत को निहारा करता है,
अक्सर तुम्हारी खिड़की से,
इस बार छिपा दूंगी में उसे किसी कोने में,
नहीं चाहिए तुम्हारे होते हुए मुझे चाँद और चांदनी.
और फिर बस मैं और तुम, और हमारी रात,
तुम और तुम्हारी बात.
बस तुम और तुम्हारी, मेरी बात।
() नीलम पुरी
इस बार छिपा दूंगी में उसे किसी कोने में,
ReplyDeleteनहीं चाहिए तुम्हारे होते हुए मुझे चाँद और चांदनी.
और फिर बस मैं और तुम, और हमारी रात,
तुम और तुम्हारी बात.
बस तुम और तुम्हारी, मेरी बात।
बहुत खूबसूरत....बहुत अच्छा लगा पढ़कर
नीलम! हर प्यार मे डूबा दिल शायद यही चाहता है और किसी चाँद या चांदनी की भी जरूरत उसे नही पडती या गवारा नही.
ReplyDeleteअच्छा लिखती हो,मन के भावों पर क्लिष्ट शब्दों की लिपा पोती नही,ये अनगढ़ता ही तुम्हारी कविता की विशेषता है.
वैसे पोस्ट करने से पहले अपनी कविता को एक दो बार पढ़ कर एडिट करके ही पोस्ट किया करो.
@रश्मिजी
नीलम की कविता के प्रारंभिक पंक्तियों मे कुछ व्याकरण सम्बन्धी त्रुटियाँ रह गई है.आप सही कर दीजिए प्लीज़.
how beautifully composed,
ReplyDeletecongrate
दूंगी में उसे किसी कोने में,
ReplyDeleteनहीं चाहिए तुम्हारे होते हुए मुझे चाँद और चांदनी.
और फिर बस मैं और तुम, और हमारी रात,
तुम और तुम्हारी बात.
kitni pyari rachna likhte ho aap!!
sach me aapke pyar darshane ka andaj ek dum alag hota hai,
ekdum dil ke taar jo jorta hua.....
bahut bakhubhi se aap apne baato ko rakh pate ho..)!!
इस बार छिपा दूंगी में उसे किसी कोने में,
ReplyDeleteनहीं चाहिए तुम्हारे होते हुए मुझे चाँद और चांदनी.
और फिर बस मैं और तुम, और हमारी रात,
तुम और तुम्हारी बात.
बस तुम और तुम्हारी, मेरी बात।
neelam jee
namaskar !
ek samrpan bhav kuch chhue kuch an chhue pahlu . jo tum se shuru ho kar tum tak khatam ho jjate hai .
sadhuwad
saadar
बस हर दिल की यही तो चाहत होती है ……………………बहुत हीखूबसूरती से भावों को प्रस्तुत किया है।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत भाव्पूर्ण कविता है...
ReplyDeleteएहसासों से सजी बेहद भावपूर्ण रचना ..एक एक पंक्ति दिल की तह तक जाती है.
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति |बधाई
ReplyDeleteआशा
बहुत खूबसूरती से लिखे हैं एहसास
ReplyDeletebhawpurn ehsaas ....!
ReplyDeleteइस बार छिपा दूंगी में उसे किसी कोने में,
ReplyDeleteनहीं चाहिए तुम्हारे होते हुए मुझे चाँद और चांदनी.
और फिर बस मैं और तुम, और हमारी रात,
तुम और तुम्हारी बात.
बस तुम और तुम्हारी, मेरी बात।
बहुत ही सुन्दर शब्द, भावमय प्रस्तुति ।
जो रोज़ मुझे और मेरी मोहब्बत को निहारा करता है,
ReplyDeleteअक्सर तुम्हारी खिड़की से,
बहुत खूब अच्छा लिखती हैं नीलम जी । उन्हें बधाई।
vah bahut achchhi kavita
ReplyDeleteभावमय प्रस्तुति ।
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा पढ़कर....!
ReplyDeleteभावपूर्ण अभिव्यक्ति....
ReplyDeletebahut sunder..ahsaas bas ahsaas
ReplyDeleteवीणाजी और सुनीलजी ने जो कहा है उसके नीचे दस्तख़त करता हूँ, क्यूंकि पूरी कविता, अभिव्यक्ति, सरल और भावपूर्ण शब्द और जो जी रही हैं उसी को बरकरार रखने की हिम्मत ! सलाम !
ReplyDeletekya bat hai .hat off Neelu
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