कितनी अजीब बात है!
नारी की जीत,उसकी पूरी मनोदशा-
पुरुष की फाइल में बंद होती है!
वह घर-बाहर का संतुलन बनाये रखती है....और जिस रोज़ वह इस दायरे से मुक्त होती है , एक खामोश प्रश्न बन जाती है !
या फिर प्रलाप करती जाती है समुद्र की लहरों की तरह - उस रहस्य का सामना ना करो तो ही बेहतर है .....रश्मि प्रभा
लड़कियां जब हो जाती हों अचानक से चुप .... () वाणी शर्मा |
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लड़कियां जब हो जाती हैं
अचानक से चुप ...
उन्हें कुरेदना
ठीक नहीं समझती हूं मैं
डरती हूं मैं
कि वो बोल देंगी तो
कोइ आस ना खो जाये
कहीं मेरा विश्वास
धूमिल ना हो जाये ...
मैं जो लगी हूं
रिश्तों के पुल बनाने में
उन रिश्तों से कहीं
खुद मेरा ही
विश्वास ना उठ जाये ...
लड़कियां जब बात कर रही हों
बहुत ज्यादा
तो उन्हें चुप हो जाने को कहना भी
नहीं लगता ठीक मुझे
डरती हूं मैं
कि अगर वो हो जायेंगी
अचानक से चुप
कितना कुछ पी जायेंगी
अमाशय में घुलकर
विष न हो जाये कहीं
और फ़ट पड़े एक दिन
चिंथड़े ना उड़ जाये
उनके दिमाग के
कहीं चिंदियों मे
बिखरा रहे कलेज़े का
टुकड़ा -टुकड़ा ...
इसलिये
लड़कियों को
बोलने दो
जब वो कुछ कहना चाहें
और
हो जाने दो चुप
जब वो कुछ ना कहना चाहें....
नाम .... ...वाणी शर्मा
परिचय .....एक आम भारतीय गृहिणी
ब्लॉग ....... ज्ञानवाणी एवं गीत मेरे ...!
लड़कियों को
ReplyDeleteबोलने दो
जब वो कुछ कहना चाहें
और
हो जाने दो चुप
जब वो कुछ ना कहना चाहें..
सटीक बात कही है .....सुन्दर अभिव्यक्ति
इसलिये
ReplyDeleteलड़कियों को
बोलने दो
जब वो कुछ कहना चाहें
और
हो जाने दो चुप
जब वो कुछ ना कहना चाहें....
बहुत सुन्दर रचना है वाणी जी हमेशा संवेदनात्मक रचने लिखती है। उनकी फैन हूँ। बधासी वाणी और धन्यवाद रश्मि जी। सब कोगणेश चतुर्थी और ईद की शुभकामनायें
लड्कियों की भावनाओ को शब्द दे दिये वाणी जी ने………………बेहतरीन अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteese laga jese mere jazbaat ko yaha shabd mile...
ReplyDeleteमैं जो लगी हूं
रिश्तों के पुल बनाने में
उन रिश्तों से कहीं
खुद मेरा ही
विश्वास ना उठ जाये ...
bahut sahi kaha... har rishte ki neev "VISHWAS" hi to hai.
इसलिये
लड़कियों को
बोलने दो
जब वो कुछ कहना चाहें
और
हो जाने दो चुप
जब वो कुछ ना कहना चाहें.... Very very true...!
per kaha kar paate hai log yeh ?
bilkul sahi kaha, unhen bhi vani mili hai to unaka bhi haq hai ki ve bolen aur ham usako sunkar jaanchen akhir ve bhi to kal hamari tarah isa srishti ka bojh dhone vali hain.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना है,बेहतरीन अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteअच्छी पंक्तिया लिखी है आपने ...
ReplyDeleteमजबूत भावनाओं की संवेदनात्मक अभिव्यक्ति
ReplyDeletebahut si savdedanshil rachna mam .....
ReplyDeleteएक गृहणी की सशक्त अभिव्यक्ति । अभिव्यक्ति एक मां की जो आज की नब्ज को पहचानती है। अभिव्यक्ति एक नारी की जो कभी लड़की थी।
ReplyDeleteवाणी जी की कविता पढ़ने का पहला अवसर है। प्रभावित किया उन्होंने।
पर एक कवि के रूप में मुझे लगता है वाणी जी कविता को कसने की जरूरत है। दो उदाहरण देखें- 'लड़कियां जब बात कर रही हो ज्यादा' में 'बात' के स्थान पर अगर 'बोल रही हों' तो बेहतर होगा। इसी तरह अंत में 'हो जाने दो चुप' में अगर 'रह जाने दो चुप' होगा तो ज्यादा प्रभावशाली होगी। शुभकामनाएं।
एक बहुत अच्छी कविता के गुण हैं इस रचना में।
ReplyDeleteप्रमोद ताम्बट
भोपाल
www.vyangya.blog.co.in
http://vyangyalok.blogspot.com
आपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें ! भगवान श्री गणेश आपको एवं आपके परिवार को सुख-स्मृद्धि प्रदान करें !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर !
sahi
ReplyDelete@ रश्मि जी ,
ReplyDeleteकविता की भूमिका इससे बेहतर नहीं हो सकती थी ...इसके अर्थ को विस्तार दिया आपने
@ आप सबका बहुत आभार ...
@ राजेश जी ,
कविता पर आपकी निष्पक्ष और सार्थक टिप्पणी और सुझाव के लिए बहुत आभार ...
mujhey kaha gaya tha
ReplyDeleteshareef larkiyaan
oonchi aawaz main
qehqahey naheen lagateen
naa mehram sey
haath naheen milateen
apney naam ke saath
begam ka laqab laga kar
shahadat deti hain
ke wo mankooha hain
mujhey pehley
Khuda sey daraya gaya
phir mard sey
kabhi kisi ko
dost samajhney ki
tarbiyat naheen di gai
mairey galey main
khauf ka taweez hey
main ney
ghuroob hotey hoey
sooraj ki thaali main
apney khwab daal diye hain
shaayed
agli subh
mujhey woh farmaan mil jaaey
jis sey
main apney
khwab bayaan kar sakoon............. by sahar suhani
ek maa ka dristicon sahi rakha yaha
ReplyDeleteवाह! मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteअभी कुछ दिनों पूर्व एक शब्द रचना मैंने भी की थी, इस संदर्भ में एक और भाव देती हुई!
आदरनीय रश्मि प्रभा जी को प्रेशित कर रहा हूँ, यदि अच्छी लगे तो प्रकाशित करें।अभी अपने Blog पर भी नहीं प्रस्तुत की है।
आपको सुन्दर भावाव्यक्ति के लिये बधाई!