मुस्कुराने का सबब जो खोजा
दर्द पास आकर सो गया
देता है चैलेन्ज तिरछी नज़रों से
पूछता है-
कब तक मुस्कुराने का सबब पाओगे !
रश्मि प्रभा
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!! जीने की हसरत !!
दबी दबी सी इक हसरत थी
मेरे जीने की
तेरी जुदाई में दम निकला और मर ही गयी
मौत शर्मिंदा हुई हर शक्स ने तनहा ही किया
बस एक तन्हाई थी जो मेरी
तनहा छोड़ गयी
दबी दबी सी इक हसरत थी ...
दर्द अब रोने लगा आंसू मेरे शर्माने लगे
जब आईने में खुद को ढूँढा
तेरी तस्वीर बनी
दबी दबी सी इक हसरत थी
मेरे जीने की ...
रसप्रीत आहूजा
खूबसूरत नज़्म
ReplyDeleteehsaasi rachna
ReplyDeletesundar
सचमुच खूबसूरत है यह अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteवाह ………बहुत ही सुन्दर भाव संजोये हैं।
ReplyDeleteबहुत ही भावपूर्ण रचना...
ReplyDeleteदबी दबी सी जीने की हसरत ...
ReplyDeleteअच्छी कविता ...
खूबसूरत भावपूर्ण अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबेहतरीन शब्द रचना ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत....
ReplyDeleteअच्छी कविता ...
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति !
ReplyDeletebahut khub Raspreet ...
ReplyDeleteachchhi rachna raspreet.........badhai:)
ReplyDeletedard to pyar se nikalta hai pyar kabhi marta nahi jeene ki hasrat deta hai yahi to jindagi hai .khobsurat
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