बन्द हैं चौखट के उस पार
पलों के रत्न जड़ित
आभूषण
एक दबी सी आहट
सुनाती
एक दीर्घ गूंज
समय चलता
अपनी उलटी चाल
घिरता कल्पनाओं का लोक
लम्हों को परिचालित करता
अपने अक्ष पर
प्रतिध्वनित हो उठती
अनछुई छुअन
सरिता बन जाता
समुद्र का ठहराव
हरित हो उठती
पतझड़ की डालियाँ
लघु चिंतन में
सिमट जाता
पूरा स्वरूप
बन जाता
फिर......
एक रेत का महल
खुशियों का लबादा ओढ़े
दस्तक देता प्रलय
ढेर बन गए महल में
दब जाती
वो गूंज
रत्नों पर फन फैलाए
समय का नाग
डस लेता
देता एक सुलगता ज़ख्म
रिसता है जो
शाम ढले
उस चौखट को देखकर..........
सुमन 'मीत'
http://www.arpitsuman.blogspot.com/
रिसता है जो
ReplyDeleteशाम ढले
उस चौखट को देखकर....
बहुत ही बढि़या ...।
bahut sundar rachna...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ..समय की उलटी चाल पर सब कुछ वैसा ही सुनहरा और बाद में समय का नाग...उम्दा ..बहुत सुन्दर कविता
ReplyDeleteबेहद गहन भावो का समावेश्।
ReplyDeleteकुछ ज़ख्मो को कहीं पनाह नहीं मिलती।
ReplyDeleteएक रेत का महल
ReplyDeleteखुशियों का लबादा ओढ़े
दस्तक देता प्रलय
ढेर बन गए महल में
दब जाती
वो गूंज
बहुत ही खूबसूरत पंक्तियाँ हैं।
सादर
भावपूर्ण व उत्कृष्ट रचना,बधाई !
ReplyDeleteभावपूर्ण व सुन्दर रचना,.... दीपावली की शुभकामनाएं..
ReplyDeleteसमय का नाग
ReplyDeleteडस लेता
देता एक सुलगता ज़ख्म
सुन्दर बिम्ब .. भावपूर्ण रचना
behtarin najm...........
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण !!
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन पंक्तियां
ReplyDeleteprabhat ji bahut bahut aabhar..meri rachna ko prakashit karne ke liye..aur sabhi doston ka bahut bahut shukriya pasand karne ke liye...
ReplyDeleteगहन भाव!
ReplyDeleteअच्छी कविता..........
ReplyDeleteशूल की तरह चुभते भाव.......
लेकिन आप की ज्यादातर कवितायेँ नकारात्मक और विछोभ की क्यूँ.....?
शब्दों का खूबसूरत मायाजाल !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया !