बांधो मत प्रकृति और प्राकृतिक चेतनाओं को
जड़ें स्वभाव से मजबूत होती हैं
जब मिलता है धरती का विस्तृत आँचल
और सुरक्षित आधार आकाश का ....
रश्मि प्रभा
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खुला आसमान ......
एक पेड़ में मात्र तीन पत्ते
फूल एक भी नहीं
गुच्छों में फूल देख कर लाया था उसे
तीन साल से ऐसा ही है
एकदम मरियल
खाद भी समय से
पानी भी भरपूर
मगर फूल एक भी नहीं
एक दिन उसे उखाड़ना ही था
उखाड़कर बाहर क्यारी में फेंक दिया
और गमले में गुलाब ने जगह ले ली
अंग्रेजी गुलाब में पीला फूल
जब झडा तो दूसरा नहीं उगा
अंतराल में वो गुलाब भी सूख गया
लगभग साल भर बीते
क्यारी में एक अजीब सा पेड़
पत्तियों से भरा हुआ जंगली सा
सोचा उखाड़कर फेंक दू
सोचा चलो हरयाली दे रहा है
यूं ही छोड़ देता हूँ बिना उखाड़े
समय बीता
पेड़ रेंगते हुए खड़ा हो रहा था
फुनगियों पर गुच्ची भर पीले फूल थे
मुझे याद आ गया वो मरियल सा पेड़
गमले में जिसे
तीसरी पत्ती नसीब नहीं थी
दिन प्रतिदिन मर रहा था वो
मर ही गया था लगभग
उखाड़कर खुले में पहुचा
उसे मिली
अपनी जमीन
अपना आसमान
गहरे तक जमा ली उसने जड़ें
खुशियों की पत्तियां फैला ली पंखों की तरह
पीले पीले फूल
बिखेर दिए आने जाने वालों के सर पर
पेड़ की खुशी देखते ही बनती थी
उसने धन्यवाद भी दिया उसको
जिसने गमले से उखाड़कर
जड़ें प्रदान की
और प्रदान किया विस्तृत आकाश
समेटने के लिए
कौन रहना चाहता है
एक संकुचित गमले में
जबकि प्रकृति का खुला आसमान
सबके लिए है .
-कुश्वंश
जबकि प्रकृति का खुला आसमान
ReplyDeleteसबके लिए है .
बिल्कुल सच .... बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
कौन रहना चाहता है
ReplyDeleteएक संकुचित गमले में
जबकि प्रकृति का खुला आसमान
सबके लिए है .
anoothi hai ye pangtiyan aur uspar
rashmijee ki baat.....wah....dil tak pahunch gayee.
रश्मि जी ..आपकी सदासयता का आभारी हूँ. आपकी पंक्तिया मुझे संबल प्रदान करती है ..आभार
ReplyDeleteआपको बधाई सुन्दर रचना के लिए..
ReplyDeleteक्या बात है,
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
सार्थक रचना...
ReplyDeleteबेहद सशक्त अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteप्रकृति का खुला आसमान
ReplyDeleteसबके लिए है ............
......बहुत सुंदर रचना
प्रकृति का खुला आसमान
ReplyDeleteसबके लिए है ............
......बहुत सुंदर रचना
प्रकृति का खुला आसमान
ReplyDeleteसबके लिए है ............
......बहुत सुंदर रचना
प्रकृति का खुला आसमान
ReplyDeleteसबके लिए है ............
......बहुत सुंदर रचना
प्रकृति का खुला आसमान सबके लिये है ...
ReplyDeleteगमले में सिकुडन है !
सुन्दर रचना, सशक्त अभिव्यक्ति।..आभार
ReplyDeletebahut hi sundar rachna...
ReplyDeleteवाह बहुत सुन्दर रचना |
ReplyDeleteSAHI KAHA AAPNE
ReplyDeletekhula asman to sabhi ka kahi
sunder kavita
badhai
rachana
वटवृक्ष के नीचे कुश्वंस जी की यह कविता पट्टी गमले जड़ें और पेड़ बहुत अच्छी लगी.. संकुचित दायरे से बाहर का खुला आस्मां किसे अच्छा नहीं लगता .. सन्देश देती ... कविता बहुत सुन्दर और भावों से भरी है पौधे के पेड़ के और कवि के.. आपका आभार रश्मि जी..
ReplyDeleteprabhaavshali rachna....
ReplyDeletehar koi khule aasman mei jeene ki icha rakhta hai behad sundar kavita
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