कभी मैं ग़ज़ल
रश्मि प्रभा
समीर लाल ’समीर’
कभी तुम ग़ज़ल
उम्र का यही इक सफ़र
फिर भी ... अजनबी से तुम
अजनबी से हम
आओ कुछ यादें पिरो लें ....
रश्मि प्रभा
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मीर की गज़ल सा.......
गांव की
गली के उस नुक्कड पर
बरगद की छांव तले
माई बेरी की ढ़ेरी लगाती थी
हम सब उसे नानी कहते थे.
सड़क पार कोठरी मे रहती थी
कम पैसे रहने पर भी
बेर न कम करती....
हमेशा मुस्कराती.
पिछली बार जब भारत गया
तब कहानियां हवा में थी..
सुना है वो पेड़ कट गया
उसी शाम
माई नही रही.....
अब वहाँ पेड़ की जगह मॉल बनेगा
और सड़क पार माई की कोठरी
अब सुलभ शोचालय कहलाती है.
-मेरा बचपन खत्म हुआ!!!!!!
कुछ बुढ़ा सा लग रहा हूँ मैं!!
मीर की गज़ल सा................
समीर लाल ’समीर’
bhaut hi sundar....
ReplyDeleteaisa laga jaise koi pal wahi ruk gaya ho...
ReplyDeletemai sadak ke is paar... aur Sameer Uncle ye sab khud hi dikha ke suna rahe hon...
बहुत सुन्दर भाव संजोये हैं।
ReplyDeleteभावमय करते शब्दों का संगम ...इस अभिव्यक्ति में ।
ReplyDeletevaqt ki badalti tsveer bahut khoob.
ReplyDeletewah...sundar abhivyakti..
ReplyDeleteवक़्त के साथ होने वाले बदलाव कितना कुछ छीन लेते हैं...!
ReplyDeleteइश्क-ओ-हुस्न के नमक से शेर बनते तो हैं,
ReplyDeleteदर्द के आँसू मगर मीर की गज़ल का नमक हैं!
सुन्दर भाव.....
ReplyDeleteकभी मै गज़ल कभी तू गज़ल--- वाह
ReplyDeleteऔर समीत्र जी ने दिल के भावों को ऐसे पिरोया कि आँख नम हो गयी और गाँव याद आ गया। शुभकामनायें
आनंद आ गया
ReplyDeleteआज के आनंद की जय।
वाकई विकास के दुसरे पहलू मानवीयता के कई महलों को ध्वस्त कर रहे हैं....थैंक्स दी इतनी मानवीय कविता को ढूंढ़ के लाने के लिए....आपको दिवाली की बहुत बहुत शुभकामनाये....
ReplyDeleteआओ कुछ यादें पिरो लें ....
ReplyDeleteaur uspar ye kavita......anayas hi munh se nikl gaya wah.......
संवेदनाओं की चादर सी ये कविता स्पर्स कर गयी मन को ...
ReplyDeleteबहुत -२ शुक्रिया जी /
बड़ों का साथ छूटता जाता है , हम बड़े होते जाते हैं !
ReplyDeleteबचपन की सुखद यादों के साथ जीना आसन है...बदलते परिदृश्य में हम सालों बाद जब लौट के जाते हैं...तो ये बदलाव एक टीस देता है...पड़ोस के चाचा-चाची...अंकल-आंटी में बदल गये...हम अपनी धरोहर सँभालने में नाकाम रहे...बच्चे अब बेर भी तो नहीं खाते...
ReplyDeletebahut bahut sundar bhav........aabhar
ReplyDeleteवाह! अनुपम...
ReplyDeleteसादर...