माँ - तुम सबसे अनोखी क्यूँ होती हो
रश्मि प्रभा
आराधना चतुर्वेदी ' मुक्ति '
आँचल में तुम्हारे एक सोंधापन क्यूँ होता है
क्यूँ तुम्हारी चुप्पी बहुत बड़ी सजा होती है
कैसे तुम्हारी मुस्कान से गंगा झांकती है
कैसे तुम्हारी हथेलियाँ लोरी बन जाती हैं
कैसे माँ ?
रश्मि प्रभा
==============================================================
पर... ... माँ
ग़लती करती
तो डाँट खाती
दीदी से भी
और बाबूजी से भी
सब सह लेती
पर
सह न पाती माँ
तुम्हारा एक बार
गुस्से से आँखें तरेरना
..........................
कई तरह की
सज़ाएँ पायीं
मार भी खायी
कई बार
पर
नहीं भूलती माँ
तुम्हारी वो अनोखी सज़ा
कुछ भी न कहना
सभी काम करते जाना
एक लम्बी
चुप्पी साध लेना
........................
बाबूजी का लाड़
अपने जैसा था
भाई का प्यार भी
अनोखा था
बहन के स्नेह का
कोई सानी नहीं
पर
इन सबसे बढ़कर था माँ
थपकी देकर
सुलाते हुये तुम्हारा
मेरे सिर पर
हाथ फेरना.
......................
आराधना चतुर्वेदी ' मुक्ति '
मां के खूबसूरत अहसास ... बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteकैसे माँ ?
ReplyDeleteyahi to pata nahin chalta.......kavita bahut bhawpoorn hai........
बस यही तो होती है माँ ……………सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteमाँ ऐसी ही होती है ...
ReplyDeleteइसलिए ही मुझे तब दुःख होता है जब किसी की माँ ऐसी नहीं हो पाती !
भावनात्मक स्तर पर छूती है कविता!
माँ का स्नेह अद्वितीय होता है!
ReplyDeleteyesi hi hoti hai maa.maa ke prati bhaavnaaon ko ukerti kavita.bahut achchi.
ReplyDeleteमाँ का स्नेह अद्वितीय होता है! बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।...
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना....
ReplyDeleteमिक्ति जी को बधाई...
सादर आभार...
मां का प्यार ऐसा ही होता है।
ReplyDeleteइन सबसे बढ़कर था माँ
ReplyDeleteथपकी देकर
सुलाते हुये तुम्हारा
मेरे सिर पर
हाथ फेरना.
भावुक कर देने वाली रचना ..
माँ तो बस माँ होती है
बहुत भावपूर्ण रचना !!
ReplyDeleteआँखें नम हो गईं
माँ सा प्यारा कोई नहीं...
ReplyDeletesach hi hai maa jaise koi nahi hai..
ReplyDeletei love my mom very much , jab unke pass thi to unko jada samjh na pai ab jab unse dur hu to unko samjhne ka dil chahta hai