सच और झूठ के बीच भ्रमित मन
रश्मि प्रभा
निशा महाराणा
यथार्थ के स्वाद से दूर होता है ...
रश्मि प्रभा
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प्रतिच्छाया
झूठ मैं कह नहीं सकती
सच्चाई तुम सुन नही सकते
विश्वास से भरे सतरंगी सपने
बुन नही सकते।
गलती है तुम्हारी या फिर ?
दिल तुम्हारा किसी अपनों ने ही
भरमाया है
आश औ विश्वास से बुने
संबंधों को
बार-बार चटकाया है ?
शायद यही वजह है कि
तुम्हें किसी का एतबार नहीं
तुम्हारे अपनों ने शायद
तुम्हे बहुत सताया है
दुःख है कि तुमने
ये कभी नहीं बताया है।
पता चल गया है मुझे कि
तुम्हारी सोच के पीछे
तुम्हारे अतीत का ही हमसाया है
तूँ उन्हीं परिस्थतियों की उपज मात्र
नकारात्मक प्रतिच्छाया है।
निशा महाराणा
बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteआपको और आपके समस्त परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना...बधाई एवं शुभकामनाएँ|
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति |
ReplyDeleteदिवाली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ|
बहुत सुन्दर प्रभावी रचना...
ReplyDeleteनिशा जी को सादर बधाई.....
दीप पर्व की सादर शुभकामनाये...
दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteअच्छी रचना,सुन्दर प्रस्तुति, दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteदीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएं