करता रहा समय
वो अकेला योद्धा
लड़ता रहा समय से ...
समय हारता नहीं है
सुना था उसने
फिर भी लड़ता रहा
ना होने दिया उसको अजनबी उसने
एक क्षण भी ना दिया समय को ...
मौका मिला नहीं समय को
अपने ज़हन को ऐसा बनाया
कि सारी इन्द्रियों में
जैसे ताला
समय थक गया
हार गया...
प्यार के आगे समय ने भी घुटने टेंक ही दिये...
भरत तिवारी
http://www.dastakaar.com
वो अकेला योद्धा
लड़ता रहा समय से ...
समय हारता नहीं है
सुना था उसने
फिर भी लड़ता रहा
ना होने दिया उसको अजनबी उसने
एक क्षण भी ना दिया समय को ...
मौका मिला नहीं समय को
अपने ज़हन को ऐसा बनाया
कि सारी इन्द्रियों में
जैसे ताला
समय थक गया
हार गया...
प्यार के आगे समय ने भी घुटने टेंक ही दिये...
भरत तिवारी
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पता : बी – ७१ , त्रिवेणी , शेख सराय – १, नई दिल्ली , ११० ०१७
ईमेल : mail@bharttiwari.com
दूरभाष : 011-26012386
अपने बारे में : माँ मेरी हिन्दी की अध्यापिका थीं और उनका साहित्य से लगाव काफी प्रभाव डाल गया बचपन से ही अमृता प्रीतम , महादेवी वर्मा , कबीर और साथ ही जगजीत सिंह के गायन ने निदा फाज़ली, ग़ालिब की ओर मोड़ा शायद वहीँ से चिंतन की उत्पत्ति हुई जो अब मेरे लेखन का रूप लेती है
प्यार के आगे समय ने भी घुटने टेंक ही दिये...
ReplyDeleteप्यार .. प्यार है समय से भा आगे
बहुत सुन्दर प्रस्तुति, बधाई स्वीकारें /
ReplyDeleteप्यार के आगे समय ने भी घुटने टेंक ही दिये...
ReplyDeletebahut achchi lagi......
सुंदर रचना
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति, बधाई
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteप्यार के आगे समय भी घुटने टेक देता है ...
ReplyDeleteभावपूर्ण!