माँ - तुम सबसे अनोखी क्यूँ होती हो
आँचल में तुम्हारे एक सोंधापन क्यूँ होता है
क्यूँ तुम्हारी चुप्पी बहुत बड़ी सजा होती है
कैसे तुम्हारी मुस्कान से गंगा झांकती है
कैसे तुम्हारी हथेलियाँ लोरी बन जाती हैं
कैसे माँ ?



रश्मि प्रभा
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पर... ... माँ

ग़लती करती
तो डाँट खाती
दीदी से भी
और बाबूजी से भी
सब सह लेती
पर
सह न पाती माँ
तुम्हारा एक बार
गुस्से से आँखें तरेरना
..........................
कई तरह की
सज़ाएँ पायीं
मार भी खायी
कई बार
पर
नहीं भूलती माँ
तुम्हारी वो अनोखी सज़ा
कुछ भी न कहना
सभी काम करते जाना
एक लम्बी
चुप्पी साध लेना
........................
बाबूजी का लाड़
अपने जैसा था
भाई का प्यार भी
अनोखा था
बहन के स्नेह का
कोई सानी नहीं
पर
इन सबसे बढ़कर था माँ
थपकी देकर
सुलाते हुये तुम्हारा
मेरे सिर पर
हाथ फेरना.
......................
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आराधना चतुर्वेदी ' मुक्ति '

14 comments:

  1. मां के खूबसूरत अहसास ... बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

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  2. कैसे माँ ?
    yahi to pata nahin chalta.......kavita bahut bhawpoorn hai........

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  3. बस यही तो होती है माँ ……………सुन्दर प्रस्तुति।

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  4. माँ ऐसी ही होती है ...
    इसलिए ही मुझे तब दुःख होता है जब किसी की माँ ऐसी नहीं हो पाती !
    भावनात्मक स्तर पर छूती है कविता!

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  5. माँ का स्नेह अद्वितीय होता है!

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  6. yesi hi hoti hai maa.maa ke prati bhaavnaaon ko ukerti kavita.bahut achchi.

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  7. माँ का स्नेह अद्वितीय होता है! बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।...

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  8. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

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  9. बहुत प्यारी रचना....
    मिक्ति जी को बधाई...
    सादर आभार...

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  10. मां का प्‍यार ऐसा ही होता है।

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  11. इन सबसे बढ़कर था माँ
    थपकी देकर
    सुलाते हुये तुम्हारा
    मेरे सिर पर
    हाथ फेरना.
    भावुक कर देने वाली रचना ..
    माँ तो बस माँ होती है

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  12. बहुत भावपूर्ण रचना !!
    आँखें नम हो गईं

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  13. माँ सा प्यारा कोई नहीं...

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  14. sach hi hai maa jaise koi nahi hai..

    i love my mom very much , jab unke pass thi to unko jada samjh na pai ab jab unse dur hu to unko samjhne ka dil chahta hai

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