डा० हरिवंश राय बच्चन की पंक्तियाँ है
"......किंतु इसका अर्थ क्या है,
खड्ग ले मानव खड़ा है,
स्वयं उर में घाव करता,
स्वयं घट में रक्त भरता,
और अपना रक्त अपने आप करता पान।
आज निर्मम हो गया इंसान।"
रश्मि प्रभा
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!! हमारा निर्णय !!
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वो एक निर्णय
क्या हमारा जीवन बदल देगा?
क्या हम अच्छे पड़ोसी नहीं रहेंगे?
क्या हमारी दोस्ती इसी एक निर्णय पर टिकी है?
क्या इस बार
दीवाली पर हम एक दूसरे के घर नहीं जाएंगे?
ईद में गले नहीं मिलेंगे?
अब अयोध्या में केवल शंख के स्वर सुनाई देंगे ?
केवल अज़ान गूंजेगी?
क्या होगा ?किसी को नहीं मालूम
लेकिन
हमें ये तो मालूम है कि
बचाने वाला मारने वाले से बड़ा होता है
हमें ये तो ज्ञात है कि
शांति ,अमन ,चैन
जीवन की महत्वपूर्ण आवश्यकताएं हैं
इन के बिना हमारा जीवन ही बेकार है
इस लिए
निर्णय कोई भी हो
किसी के पक्ष में हो
हमें आपा नहीं खोना है
वहां शंख के स्वर सुने जाएं
या
अज़ान गूंजे
होगी तो इबादत ही
भगवान राम तो सब के
हृदय में वास करते हैं
उन की महत्ता पर या
नमाज़ की पाकीज़गी पर
एक निर्णय का क्या प्रभाव
हो सकता है?
निर्णय
कुछ भी हो
हमें तो अपनी गंगा -जमनी संस्कृति
की रक्षा करनी है
क्योंकि
यही तो हमारी पहचान है
हमारे देश में शांति हो
सद्भावना बनी रहे
बस यही
हमारा निर्णय
होना चाहिये
इस्मत जैदी
वहां शंख के स्वर सुने जाएं
ReplyDeleteया
अज़ान गूंजे
होगी तो इबादत ही
बहुत ही मासूम अहसास पिरोते शब्द...अनुपम रचना प्रस्तुति के लिये आभार ।
वाह... इतनी सुन्दर कल्पना को तो सच में पूर्ण होना चाहिए...
ReplyDeleteऔर हरिवंश जी कि तो कोई बात ही नहीं है...
amazing...
धन्यवाद रश्मि जी अपने इस साहित्यिक ब्लॉग पर मुझे स्थान देने के लिये
ReplyDeleteहरिवंश जी के लिये कुछ कह सकूं इतनी सामर्थ्य नहीं है
सदा जी और पूजा जी धन्यवाद
अज़ान गूंजे
ReplyDeleteहोगी तो इबादत ही
भगवान राम तो सब के
हृदय में वास करते हैं
उन की महत्ता पर या
नमाज़ की पाकीज़गी पर
एक निर्णय का क्या प्रभाव
हो सकता है?
बहुत अच्छी सोचा को दर्शाती ....यह सब बातें सियासत तक ही हैं ....वर्ना राम और रहीम तो सबके दिल में हैं
धर्म कोई भी हो और धार्मिक ग्रंथो में कुछ भी लिखा हो ... हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि हम सबसे पहले इंसान हैं और इंसानियत ही हमारा धर्म है ... हिंदू, मुस्लमान या सीख इसी तो हम बाद में बने हैं ...
ReplyDeleteशांति का सन्देश देती रचना बहुत सुन्दर है ... अँधेरे को भूलकर हमें रौशनी की तरफ रुख करना चाहिए ... इसी बात को बड़ी सुन्दर ढंग से बताई गई है ...
कुछ भी होने से पहले हम अच्छे इंसान है ....
ReplyDeleteसार्थक सन्देश देती कविता ...
आभार !
मेम ,
ReplyDeleteप्रणाम !
बेहद ही सधे हुए शब्दों में अपनी काव्य अभिव्यक्ति हम तक पहुचाई , अच्छी रचना के लिए साधुवाद .
सादर
बड़ा अच्छा निर्णय लिया। बधाई!
ReplyDeleteहमारे देश में शांति हो
ReplyDeleteसद्भावना बनी रहे
बस यही
हमारा निर्णय
बस यही होना चाहिये ……………आम इंसान यही तो चाहता है……………।एक बेहद उम्दा अभिव्यक्ति।
बहुत सुन्दर संदेस देती कविता |
ReplyDeleteसदभावना से रची बसी कविता ..सही दिशा दिखाती हुई.बहुत सुन्दर.
ReplyDeleteसुन्दर सन्देश देती हुई लाजवाब कविता! बेहतरीन प्रस्तुती!
ReplyDeleteसाहित्य के पन्नों पर
ReplyDeleteस्वर्णिम शब्द .......
शुभ सन्देश ....
अनुपम,
संग्रहणीय कृति .
बहुत बढ़िया रचना। बधाई।
ReplyDeleteवहां शंख के स्वर सुने जाएं
ReplyDeleteया
अज़ान गूंजे
होगी तो इबादत ही
ज़ैदी जी ! अगर अक्ल के दुश्मन ये बात समझ जायें तो शायद सब झगडे मिट जायें। अधिकतर लोग ऐसा ही सोचते हैं। आनन्द आ गया ये पँक्तियाँ पढ कर मुझे भी कोई फर्क नही पडता। मेरे दिल मे तो अल्लाह भी है और राम भी। बधाई इस रचना के लिये।
एकता और भाईचारे के लिए बहुत अच्छा संदेश.
ReplyDeleteप्रोत्साहन के लिये आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया
ReplyDeletebahut pasand aayee mujhe.
ReplyDeleteसुन्दर!
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