लडकियाँ और आदमी!
एक लड़की-
पुरवा का हाथ पकड़
दौड़ती है खुले बालों मे
नंगे पाँव....
रिमझिम बारिश मे !
अबाध गति से हँसती है
कजरारी आंखो से,
इधर उधर देखती है...
क्या खोया? - इससे परे
शकुंतला बन
फूलों से श्रृंगार करती है
इस सौन्दर्य को बरक़रार रखो, वरना प्रकृति तुम्हारा साथ नहीं देगी ...
रश्मि प्रभा
=====================================================
लडकियाँ और आदमी!
लडकियाँ कितनी ,
सहजता से,
बेटी से नानी बन जातीं है!
लडकियाँ आखिर,
लडकियाँ होती हैं!
शिव में ’इ’ होती है,
लडकियाँ,
वो न होतीं तो,
’शिव’ शव होते!
’जीवन’ में ’ई’,
होतीं हैं लडकियाँ
वो न होतीं तो,
वन होता जीव-’न’ न होता!
या ’जीव’ होता जीव-न, न होता!
और ’आदमी’ में भी,
’ई’ होतीं हैं,यही लडकियाँ!
पर आदमी! आदमी ही होता है!
और आदमी लडता रह जाता है,
अपने इंसान और हैवानियत के,
मसलों से!
आखिर तक!
फ़िर भी कहता है,
आदमी!
क्यों होती है?
ये ’लडकियाँ’!
हालाकि,
न हों उसके जीवन में,
तो रोता है!
ये आदमी!
है न कितना अजीब ये,
आदमी!
_By 'Ktheleo'
"सच में" http://www.sachmein.blogspot.com/
वो न होतीं तो,
ReplyDelete’शिव’ शव होते!
बहुत गहन वक्तव्य ....
फ़िर भी कहता है,
ReplyDeleteआदमी!
क्यों होती है?
ये ’लडकियाँ’!
बहुत खूब ई की महत्ता को कौन मिटा सकता है। शिव भी शव हो जाते हैं इसके बिना। धन्यवाद सुन्दर कविता पढवाने के लिये।
क्या बात कही है ………………गज़ब की रचना है………………आभार्।
ReplyDeleteलड़कियों की महत्ता पर नया नजरिया।
ReplyDeleteवाह... मज़ा आ गया पढ़कर...
ReplyDeleteपर लोगों को अभी भी ई की महत्वता पर ऐतराज़ है...
बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteआप सब का आभार, मेरी भावनाओं के साथ, इत्तेफ़ाक रखने के लिये!
ReplyDeleteशिव भी शव हो जाते हैं इसके बिना |
ReplyDeleteसुन्दर कविता......
बहुत अच्छी रचना है.
ReplyDeletebahut achhi prastuti.
ReplyDeleteगहन भाव लिये ...बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteवो न होतीं तो,
ReplyDelete’शिव’ शव होते!
बहुत शानदार...
गहरी अभिव्यक्ति ... मुझ से पूछो तो इश्वर का रूप होती हैं लडकियां ...
ReplyDeleteखूब लिखा है - ई / लड़की के महत्व को बताती ये कवी खूब भायी ... शुभकामनायें
ReplyDeleteआप सब का ह्रदय से आभार, मेरी भावनाओं से इत्तेफ़ाक रखने के लिये व प्रशसां के लिये धन्यवाद!
ReplyDeleteवाह वाह वाह
ReplyDelete'इ' और 'ई' की क्या विवेचना की है आपने क्थेलिओ जी| और रश्मि जी को भी बहुत बहुत आभार फिर से कुछ नया पढ़वाने के लिए| आदमी का आदम रह जाना, ओहोहोहो............ बहुत खूब|
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteशिव में ’इ’ होती है,
ReplyDeleteलडकियाँ,
वो न होतीं तो,
’शिव’ शव होते!
बहुत गहन चिंतन से परिपूर्ण समसामयिक अभिव्यक्ति...लडकियां वास्तव में ईश्वर की सर्वश्रेष्ट देन हैं..बधाई..
ये "ई" वाली approach तो कमाल की है.वाह जी वाह ,खूब लिखा है
ReplyDeleteशिव में ’इ’ होती है,
ReplyDeleteलडकियाँ,
वो न होतीं तो,
’शिव’ शव होते!
गजब की अभिव्यक्ति.