प्रिज्म और ब्लैक होल
मैं तो घड़े का पानी हूँ
तेरी प्यास बुझाने को हर दिन भर जाती हूँ
सोंधी सोंधी खुशबू
सोंधे सोंधे स्वाद में डूबा तेरा सोंधा सोंधा चेहरा
इन्द्रधनुषी किरणें ही तो हैं ...
रश्मि प्रभा
======================
प्रिज्म और ब्लैक होल
======================
शक्सियत मेरी दुनिया में
किसी सूरज कि मानिंद थी
कि जिसमें आग थी केवल
दहकती,रूह झुलसाती...
तुम आई जो मेरे पास
कोई प्रिज्म हो जैसे ..
मेरे अंतस को सहलाया
तो कितने रंग बिखरे हैं
गुलों को बैगनी रंगत
लहर को नील बक्शा है
फलक है आसमानी सा
धनक धरती पे रखा है
फुलाई पीली सरसों का
हवाओं में घुला है रंग
वो रंगत केसरी सी है
जो बैठी है शफक के संग
हया ने जो चुना है रंग
वो लाली मुझसे बिखरी है
तेरी ही सादगी में घुल
ये रंगत मेरी निखरी है
मगर अब भी मेरी जाना
है दिल में आरज़ू बाकी
कि तुम न प्रिज्म सी होकर
उफक कि ब्लैक होल होती ...
मेरा रौशन हर एक कतरा
फकत तेरे लिए होता ..
मैं बस तुझसे गुजरता
और तेरी आगोश में सोता
रवि शंकर
http://mujhme-tera-hissa.blogspot.com
rsdivinedevil@gmail.cओम
एक आज़ाद रूह जो रवि शंकर नाम के एक ज़िस्मानी ढाँचे में कैद है। यूँ कहने को तो परास्नातक का छात्र हूँ computer applications में और आजीविका से एक web-designer पर साधक सदैव कला का ही रहा हूँ। कलम और कैनवास मेरे मित्र हैं जो मेरी अव्यवस्थित अभिव्यक्तियों को वर्षों से झेलते आ रहे हैं। एक फ़क्कड़ भारतवासी जो वर्तमान में पटना में डेरा डाले बैठा है। अर्जित उपलब्धियाँ नगण्य हैं, बस एक आशाओं और आशीषों कि पोटली रह्ती है साथ ।
गज़ब के भाव भरे हैं……………बहुत सुन्दर्।
ReplyDeletebahut sundar prastuti...aabhar
ReplyDeletetitle dekha tabhi lag gaya ki ravi hoga... ab aur kya kaha ja sakta hai is nazm ke bare me.... :)
ReplyDeleteवाह! क्या बात है ! बहुत सुन्दर कल्पना और तदोपरी खुबसूरत रचना ! प्यार है ही वो चीज़ जो आपके गुण को उभारे ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!
ReplyDeleteघुल रहे हैं रंग अनुभूतियों के शब्दों में भर कर
ReplyDeleteप्रिज्म और ब्लैक होल का प्रयोग अच्छा लगा !
बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
ReplyDelete