ख़ुशी भी दुःख का कारण बनती है
आशीर्वाद भी बोझ बन उठता है
जीना मुझे है या उसे
बहुत बड़ा प्रश्न बनता है
रश्मि प्रभा
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बेबसी
एक दिन एक रोजगार बाप ,
अपने बेरोजगार बेटे की
किसी बात पर खुश हो गया
और अनजाने में अपनी उम्र
उसको लग जाने का ,
आशीर्वाद दे गया
जब उसे कुछ ध्यान आया
तब वह कुछ
सोच कर पछताया
अगर वह अपनी ,
उम्र से पहले मर जायेगा
तब उसका बेटा ,
भूख से मर जायेगा
सुनील कुमार
जन्म : बरेली , उत्तरप्रदेश
प्रकाशन : स्वतंत्र वार्ता, हैदरबाद पल्लव टाइम्स, चेन्नई कादम्बिनी , तथा गृह पत्रिका नाभकीय भारती में
कविताएँ प्रकाशित स्थानीय कवि सम्मेलनों में सक्रीय भागीदारी
सम्प्रति : नाभिकीय इधन समिश्र , हैदराबाद में कार्यरत
साहित्य और समाज सेवा में संलग्न हैदराबाद की संस्था अनुभूति सांस्कृतिक मंच के संस्थापक सदस्य
www.sunilchitranshi.blogspot.
उफ़! कितनी गहन अभिव्यक्ति……………निशब्द कर दिया।
ReplyDeleteछोटी मगर मन के भावों को तरंगित करने वाली कविता !
ReplyDelete-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
सोचने वाली बात है ... एकदम अलग सी रचना है ..!
ReplyDeletekavita soch men dalne wali hai....
ReplyDeleteजीवन के सच को कितने अच्छे से शब्दों में पिरोया है सुनील जी ने. आपको भी धन्यवाद आपने इसे हम लोगो के साथ साझा किया.
ReplyDeleteयही जिंदगी का विरोधाभास है।
ReplyDeletehats off sunil ji....ज़िन्दगी के कडवे सत्य को दिखाती हुई रचना .......
ReplyDeletethanks रश्मि ji for sharing ...
बेहद मार्मिक प्रस्तुति ....गहरा असर छोड़ती है
ReplyDeleteमार्मिक प्रस्तुति
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति !
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteगहन उलझन , दर्द और मर्म भी फ़र्ज और शायद कर्म भी । अच्छी पोस्ट , शुभकामनाएं । पढ़िए "खबरों की दुनियाँ"
ReplyDeleteadbhut
ReplyDeleteतब उसका बेटा ,
ReplyDeleteभूख से मर जायेगा
बाप आखिरी समय तक ज़िम्मेदारी निभाता रहता है ..और बेटा ?
गहन भावों के साथ सुन्दर शब्द रचना ।
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