ख़ुशी भी दुःख का कारण बनती है
आशीर्वाद भी बोझ बन उठता है
जीना मुझे है या उसे
बहुत बड़ा प्रश्न बनता है
रश्मि प्रभा





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बेबसी
एक दिन एक रोजगार बाप ,
अपने बेरोजगार बेटे की
किसी बात पर खुश हो गया
और अनजाने में अपनी उम्र
उसको लग जाने का ,
आशीर्वाद दे गया
जब उसे कुछ ध्यान आया
तब वह कुछ
सोच कर पछताया
अगर वह अपनी ,
उम्र से पहले मर जायेगा
तब उसका बेटा ,
भूख से मर जायेगा
सुनील कुमार
जन्म : बरेली , उत्तरप्रदेश
प्रकाशन : स्वतंत्र वार्ता, हैदरबाद पल्लव टाइम्स, चेन्नई कादम्बिनी , तथा गृह पत्रिका नाभकीय भारती में
कविताएँ प्रकाशित स्थानीय कवि सम्मेलनों में सक्रीय भागीदारी
सम्प्रति : नाभिकीय इधन समिश्र , हैदराबाद में कार्यरत
साहित्य और समाज सेवा में संलग्न हैदराबाद की संस्था अनुभूति सांस्कृतिक मंच के संस्थापक सदस्य
www.sunilchitranshi.blogspot.com

15 comments:

  1. उफ़! कितनी गहन अभिव्यक्ति……………निशब्द कर दिया।

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  2. छोटी मगर मन के भावों को तरंगित करने वाली कविता !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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  3. सोचने वाली बात है ... एकदम अलग सी रचना है ..!

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  4. जीवन के सच को कितने अच्छे से शब्दों में पिरोया है सुनील जी ने. आपको भी धन्यवाद आपने इसे हम लोगो के साथ साझा किया.

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  5. यही जिंदगी का विरोधाभास है।

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  6. hats off sunil ji....ज़िन्दगी के कडवे सत्य को दिखाती हुई रचना .......
    thanks रश्मि ji for sharing ...

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  7. बेहद मार्मिक प्रस्तुति ....गहरा असर छोड़ती है

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  8. मार्मिक प्रस्तुति

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  9. बढ़िया प्रस्तुति !

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  10. गहन उलझन , दर्द और मर्म भी फ़र्ज और शायद कर्म भी । अच्छी पोस्ट , शुभकामनाएं । पढ़िए "खबरों की दुनियाँ"

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  11. तब उसका बेटा ,
    भूख से मर जायेगा

    बाप आखिरी समय तक ज़िम्मेदारी निभाता रहता है ..और बेटा ?

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  12. गहन भावों के साथ सुन्‍दर शब्‍द रचना ।

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