दो क्षणिकाएं
एक एक क्षण कीमती होते हैं
क्षण में साज बजते हैं
क्षण में प्रश्न उठते हैं
क्षण में अर्थ
क्षण में अर्थहीन
क्षण में .............. बस एक क्षण में
रश्मि प्रभा
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एक बूंद
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बारिश की एक बूंद
गिरी टप
गुलमेहंदी के
फ़ुल पर
स्थिर हुई कुछ
चमकी
सागर के मोती सी
हवा चली
फ़ूल हिला
बूंद फ़िर गिरी
टप
प्यासी सी भूमि पर।
जिन्दगी और मौत
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जिन्दगी
एक सोया हुआ आदमी
मौत
कच्चे सूत सी लटकती
कटार
कब टूटे
कब गिर पड़े
किसे पता।
पूनम श्रीवास्तव
एक सामान्य गृहणी। देश ,समाज,परिवार, प्रकृति को देखकर अपने अंदर महसूस करके मन में होने वाले मंथन को अक्सर कागज पर कुछ शब्दों का आकार देने की कोशिश करती हूं…।इन्हीं कोशिशों में कभी कविता,कभी गजल तो कभी गीत बन जाते हैं। कुछ कवितायें एवं गीत देश की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में भी प्रकाशित। इन्टरनेट पर मेरी कवितायें मेरे ब्लाग पर भी पढ़ी जा सकती हैं। ब्लाग का पता है;
http://jharokha-jharokha.blogspot.com/
e mail: ladali1502@gmail.com
जिन्दगी
ReplyDeleteएक सोया हुआ आदमी
मौत
कच्चे सूत सी लटकती
कटार
जीवन का ऐसा सच जिसे झुठलाया नहीं जा सकता ...भावमय करते शब्द, प्रस्तुति के लिये आभार ।
जिन्दगी
ReplyDeleteएक सोया हुआ आदमी
मौत
कच्चे सूत सी लटकती
कटार
कब टूटे
कब गिर पड़े
किसे पता।
यही ज़िन्दगी का सबसे बडा सत्य है जिसे कोई याद नही रखना चाहता यदि याद रखे तो बुरे काम ना करे…………क्षणभगुर जीवन ्है बस इतना ही तो याद रखना है…………दोनो शानदार्।
sabhi kshanikayen acchi lageen....
ReplyDeleteये दो क्षनिकाएं मैंने पूनम जी के ब्लॉग पर भी पढ़ा है ... आज फिर पढ़ा .. बहुत अच्छा लगा ...
ReplyDeleteदोनों क्षणिकाएं काफी गंभीर..
ReplyDeleteमौत
ReplyDeleteकच्चे सूत सी लटकती
कटार..
हम जानते हुए भी इस सच को नकारने की कोशिश करते रहते हैं..बहुत ही गंभीर भाव..सुन्दर अभ्व्यक्ति...आभार
Poonam jee ,
ReplyDeletejeevan ki kshanbhangurata ko kshanikaon mein samet kar aapne use vistar de diya.achchi rachna ke liye badhai.
सुन्दर अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteजीवन और मौत में सिर्फ एक सांस का ही अंतर है ...
ReplyDeleteपल भर के जीवन में एक पूरी उम्र की कहानी है ...
सुन्दर अभिव्यक्ति !
रश्मि जी, ये क्षण के बारे में कितना सुन्दर लिखा है आपने...वाह
ReplyDeleteपूनम जी की दोनों क्षणिकाएं बहुत अच्छी लगी, बधाई.
सही है... एक पल, एक क्षण...
ReplyDeleteक्या हो जाए... पता नहीं...
दोनों ही रचनाएं बहुत ही प्यारी हैं...