मैं एक शब्द हूँ चाहो तो नज़्म बना लो
बना लो अपनी ग़ज़ल कोई गीत कोई आह्लादित सोच कोई दुखद कहानी....
यकीन रखो मैं साथ रहूंगी


रश्मि प्रभा




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इक तारा

मैं इक तारा हूँ और टूटकर बिखर गया हूँ
कभी चमका करता था
हँसता था आसमां मे
आज किसी की ख़ुशी के लिए
अपना वजूद खोकर
जमीं पर उतर गया हूँ
टूटकर बिखर गया हूँ

दे दिया हैं सब कुछ
पर मिला तो कुछ नही है
उसकी तमन्ना पूरी करने
आसमां से गिर गया हूँ
टूटकर बिखर गया हूँ

जब देखा था उसने
कुछ उम्मीद लिए मुझे
आंसू जो बह रहे थे उसके
उन आंसू की खातिर
मे जमीं से मिल गया हूँ
टूटकर बिखर गया हूँ

दीप्ती शर्मा
http://www.deepti09sharma.blogspot.com/

18 comments:

  1. आंसू जो बह रहे थे उसके
    उन आंसू की खातिर
    मे जमीं से मिल गया हूँ
    टूटकर बिखर गया हूँ

    बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों के साथ ...उपरोक्‍त पंक्तियां भावमय कर गई ....आभार

    मैं एक शब्‍द हूं ...यकीन रखो मैं साथ रहूंगी ..

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  2. बहुत सुन्दर कविता ! भावनाएं अच्छी तरह से उभरे गए हैं ...

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  3. अरे दीप्ती जी इस उम्र मे निराशा अच्छी नही होती--- ये उम्र टूटने की नही जुडने की है। वैसे रचना मे भाव संप्रेशण अच्छा है। शुभकामनायें।

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  4. बेहद गहन अभिव्यक्ति।

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  5. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (9/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा।
    http://charchamanch.blogspot.com

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  6. बहुत खूब... भाव छू गए दिल को...

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  7. सुन्दर अभिव्यक्ति !

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  8. dil ko chhu lene vali rachna badhai

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  9. मैं एक शब्द हूँ चाहो तो नज़्म बना लो...
    वाह रश्मि जी, उम्दा.
    दे दिया हैं सब कुछ
    पर मिला तो कुछ नही है
    उसकी तमन्ना पूरी करने
    आसमां से गिर गया हूँ
    टूटकर बिखर गया हूँ...
    दीप्ति जी की रचना बहुत अच्छी है...बस उदास कर रही है, निराशा का भाव है.

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  10. आज किसी की ख़ुशी के लिए
    अपना वजूद खोकर
    जमीं पर उतर गया हूँ
    टूटकर बिखर गया हूँ

    दूसरों के लिए टूटकर बिखरने वाला अपना वजूद खोता नहीं , अपने वजूद को दृढ़ता के साथ स्थापित करता है......कोई चाहे जितना भी कृतघ्न क्यों नहीं हो उसकी नजरें तो झुक ही जायेंगी.....इसीलिए दोस्ती में तो इसे निभाना ही चाहिए, दुश्मनी में भी निभाना चाहिए कुछ यू ....'दुश्मनी करो ..जम के करो लेकिन इतनी गुंजाइश जरूर रखो गर आँख मिल जाए झुकाना न पड़े.....

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  11. दे दिया हैं सब कुछ
    पर मिला तो कुछ नही है
    उसकी तमन्ना पूरी करने
    आसमां से गिर गया हूँ
    टूटकर बिखर गया हूँ
    xxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
    क्या कहें ....जीवन की वास्तविकता यही है दूसरों के लिए जीना ...शुक्रिया

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  12. बहुत सुन्दर और गहन अभिव्यक्ति ...

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  13. हँसता था आसमां मे
    आज किसी की ख़ुशी के लिए
    अपना वजूद खोकर
    जमीं पर उतर गया हूँ
    टूटकर बिखर गया हूँ

    बहुत सुन्दर !

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  14. aapka dhanyvad
    jo apne mujhe yaha sthan diya
    apka
    aabhar

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  15. दे दिया हैं सब कुछ
    पर मिला तो कुछ नही है
    उसकी तमन्ना पूरी करने
    आसमां से गिर गया हूँ
    टूटकर बिखर गया हूँ

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति...भावों को बड़ी सुंदरता से उकेरा है..बधाई..

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  16. दीप्ती की कविताओं में नयापन है, वे अपनी ही उर्वरा से खिली हुई लगती हैं.

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