चित्रित तू मैं हूँ रेखा क्रम,
मधुर राग तू मैं स्वर संगम
तू असीम मैं सीमा का भ्रम
काया-छाया में रहस्यमय
प्रेयसी प्रियतम का अभिनय क्या?
महादेवी वर्मा
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मेरे जीने का थोड़ा सा, सामान कर दिया...
उनकी नज़रों ने मुझे फिर से जवाँ कर दिया,
मुझे छू कर मुझ पर, एहसान कर दिया...
कब से बैठी थी मैं, गुमसुम सी यूँ ही,
दिल में मिरे, इक तूफान कर दिया...
मेरा अब कुछ भी रहा नहीं मेरा,
नाम उसके मैंने जिस्म-ओ-जान कर दिया...
उसकी आँखों ने कुछ ऐसे देखा,
हाल-ए-दिल उसको बयान कर दिया...
वादा जब से किया उसने मिलने का,
मेरे जीने का थोड़ा सा, सामान कर दिया...
वादा जब से किया उसने मिलने का,
ReplyDeleteमेरे जीने का थोड़ा सा, सामान कर दिया...
सच कहा कभी कभी एक छोटा सा वादा भी जीने का सबब बन जाता है।
कब से बैठी थी मैं, गुमसुम सी यूँ ही,
ReplyDeleteदिल में मिरे, इक तूफान कर दिया..
बहुत सुन्दर ... शांत सतह के नीचे ही तो तूफ़ान होता है ...
अच्छी कविता है.. प्रेम का एक और आयाम..
ReplyDeleteकब से बैठी थी मैं, गुमसुम सी यूँ ही,
ReplyDeleteदिल में मिरे, इक तूफान कर दिया...
बहुत बढ़िया .....शुक्रिया
... bahut badhiyaa ... shaandaar gajal !!!
ReplyDeletesundar gazal......thanx 4 sharing.
ReplyDeletebahut sundar abhivyakti.
ReplyDeletenice one
ReplyDeleteक्या बात है बहुत सुन्दर ....मानव जी बहुत बधाई
ReplyDeleteवादा जब से किया उसने मिलने का,
ReplyDeleteमेरे जीने का थोड़ा सा, सामान कर दिया...
नितांत ही सही बात कही है आपने . आश इन्सान को जीने का संबल प्रदान करती है .रश्मि जी का आभार इस रचना को हमारे समक्ष रखने के लिए .
वादा जब से किया उसने मिलने का,
ReplyDeleteमेरे जीने का थोड़ा सा, सामान कर दिया...
अगर ये वादा वफ़ादारी भी साथ है तो मैं इस वादे के हक़ में हूँ
बहुत सुन्दर रही आपकी रचना!
ReplyDeleteआज के चर्चा मंच पर इस पोस्ट को चर्चा मं सम्मिलित किया गया है!
http://charchamanch.uchcharan.com/2010/12/376.html
Beautiful piece !
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति!
ReplyDeleteवादा जब से किया उसने मिलने का,
ReplyDeleteमेरे जीने का थोड़ा सा, सामान कर दिया...।
बहुत ही सुन्दर शब्द एवं भावमय प्रस्तुति ।
खूबसूरत कविता..
ReplyDeleteप्रेम को समझने का एक और प्रयास..
आभार
मेरे जीने का थोडा सा सामान कर दिया ...
ReplyDeleteवाह ..!