दोष इसका है या उसका है , इसको बताने से पहले
रश्मि प्रभा
इस्मत जैदी
अपने इस मुल्क के लिए कुछ तो कर जाओ लोगों ...
रश्मि प्रभा
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कुछ तो करो लोगों
अक्सर यहाँ वहां होने वाले दंगों के बाद लगी आग ने ये लिखने पर मजबूर किया मजबूरी इसलिए क्योंकि ऐसी ग़ज़लें खुशी में नहीं लिखी जातीं ।
आग ही आग है हर सिम्त बुझाओ लोगों
जल रहे बस्ती में इन्सान बचाओ लोगों
दुश्मनी खत्म हो और दोस्ती का हाथ बढे
हो सके गर तो ये एहसास जगाओ लोगों
दुश्मनी किस से है क्यों है ये अलग मसला है
नन्हें बच्चों पे तो मत दाओ लगाओ लोगों
टूटी ऐनक है जले बसते हरी चूड़ी है
जाओ बस्ती में ज़रा देख के आओ लोगों
बेखताओं को न मारो यही कहते हैं धरम
जो नहीं जानते ये उन को बताओ लोगों
जब के रावण था मरा , राम ने ये हुक्म दिया
साथ इज्ज़त के रसूमात निभाओ लोगों
दिल है बेचैन 'शेफा' मुल्क की इस हालत पर
अब भी खामोश हैं हम ख़ुद को जगाओ लोगों
इस्मत जैदी
दुश्मनी खत्म हो और दोस्ती का हाथ बढे
ReplyDeleteहो सके गर तो ये एहसास जगाओ लोगों
दुश्मनी किस से है क्यों है ये अलग मसला है
नन्हें बच्चों पे तो मत दाओ लगाओ लोगों
सार्थक व सटीक बात कही है आपने ...आभार ।
सार्थक चिन्तन को दर्शाती गज़ल्।
ReplyDeleteये एहसास सभी में जग जाएं, तो यह दुनिया जन्नत बन जाए..
ReplyDeleteदोष इसका है या उसका है , इसको बताने से पहले
ReplyDeleteअपने इस मुल्क के लिए कुछ तो कर जाओ लोगों ...
सत्य है यही,यही जगाना है।
सादर
बहुत खूब....
ReplyDeleteकाश कि ये बातें लोगों की समझ में आ जाती..
सार्थक गज़ल..
सार्थक आह्वान!
ReplyDeleteदुन्दुभी बन कर गूंजे यह आह्वान!
ReplyDeleteबहुत खूब!
bahut prerir karti hui behtreen ghazal.
ReplyDeleteसार्थक आह्वान!
ReplyDeleteसार्थक आह्वान!
ReplyDeleteदिल है बेचैन 'शेफा' मुल्क की इस हालत पर
ReplyDeleteअब भी खामोश हैं हम ख़ुद को जगाओ लोगों
सार्थक सन्देश देती अभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर सृजन , बधाई.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सोच
ReplyDeleteदुश्मनी खत्म हो और दोस्ती का हाथ बढे ,
ReplyDeleteदुश्मनी किस से है क्यों है ये अलग मसला है.... !!!
जब के रावण था मरा , राम ने ये हुक्म दिया
साथ इज्ज़त के रसूमात निभाओ लोगों.... !!!!!!!!!!!
काश ये बातें सभी के समझ आजाती ,धरती जन्नत बन जाती..... !!