फिर आ गया
गणतंत्र दिवस
दिखलाने, बतलाने
सुनने-सुनाने
हालात, समस्यायें
उपलब्धियां गिनाने।
देखो… सुनो… पढ़ो… जांचो…
मगर
कुछ कहना मत।
सच!
क्योंकि सच कह दिया तो
गणतंत्र दिवस का अपमान हो जाएगा।
पड़ जाएगी मंद
मधुर ध्वनियां ढोलों की।
खुल जाएंगी गुत्थियां
नेताओं की पोलों की।
अपने ढोलों की पोल खोलना
किसने चाहा
कौन चाहेगा
अपनी खामियां
हर भ्रष्ट यहां छिपायेगा।
इसी छुपा-छुपी में इक दिन
सचमुच गणतंत्र छुप जाएगा।
इसलिए…
सुनो, पढ़ो और देखो
कुछ मत बोलो
एक बार फिर
गणतंत्र दिवस को।
कृष्ण कुमार भारतीय
शोधार्थी, हिन्दी विभाग,कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र,हरियाणा
अनाज मण्डी, कलायत, कैथल (हरियाणा)
Sashakt rachana!
ReplyDeleteसभी को गणतन्त्र दिवस पर हार्दिक बधाई
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामना
ReplyDeleteसार्थक रचना..
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की शुभकामनाये
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामना
ReplyDeleteहार्दिक बधाई
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं
ReplyDeleteव्यंग बहुत अच्छा है ......