
जब तक सच नवाबों की तरह नफासत में
अपने पैरों में जूते डालता है
झूठ दुनिया की सैर कर आ जाता है ...
रश्मि प्रभा
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मैंने झूठ के पैर देखे है...
मैंने झूठ के पैर देखे है
सत्य के नकाब में
चलते देखा है झूठ को दौड़ते देखा है।
खुदा की बेकुसूरी पर
मस्जिदों की दीवारों को
फकीरों ने सिसकते देखा है।
मैंने साँझ के वक़्त
कसमों की फटी चादर में
बुढ़िया को ठण्ड से ठिठुरते देखा है।
पुजारीओं की प्रार्थनाओं में

बेबस कुचलते देखा है ।
मैंने झूठ के पैर देखे है
सत्य के नकाब में
चलते देखा है झूठ को दौड़ते देखा है....।
हरीश जयपाल माली
http://harishjaipalmali.blogspot.com/
जब तक सच नवाबों की तरह नफासत में
ReplyDeleteअपने पैरों में जूते डालता है
झूठ दुनिया की सैर कर आ जाता है ...
वाह ...बहुत खूब कहा है ...बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आभार ।
aaj maine jhooth ke pair pahli baar dekhe.sundar rachana accha laga padhkar
ReplyDeletevery nice...
ReplyDeleteइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - आखिर हम जागेंगे कब....- ब्लॉग बुलेटिन
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!!
ReplyDeletebahut sundar...
ReplyDeleteसार्थक, बेहतरीन प्रस्तुति.
ReplyDeleteवाह क्या बात कही है...
ReplyDeleteरश्मि जी you are too good :-)
झूठ के पाँव नहीं होते...आप भाग्यशाली हैं...जो उसे ताड़ लिया...
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