चाँद की तरह
सूरज से कुछ धूप मुट्ठी में चुरानी हैऔर तम को हटाना है ...
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एक किरण!
चुपचाप
थाह रहे थे हम
क्या कहता है तम
इस निस्तब्धता में
क्या रहस्य
खोज पायेंगे हम!
तभी
अँधेरा हुआ कम
कुछ वाचाल हुआ तम
और सहज ही कह चला
सकल प्रश्नों का हल है
एक किरण!
किरण-
जिसका मात्र आगमन
तोड़े अन्धकार का भरम
आबद्ध हो जाये श्रृंखला
प्रमुदित हो
झूमे सकल चमन!
किरण-
जो अंक में समेट ले तम
सुनहरा करे वातावरण
और समा जाए अंतस में
तो बन जाएँ स्वयं
किरण के वाहक हम!
ऐसे ही
बनें प्रकाशपुंज हम
लिए झोली में औरों के भी गम
और गतिमान रहे जीवन
फिर रहस्य
खोज लायेंगे हम!
अनुपमा पाठक
किरण-
ReplyDeleteजो अंक में समेट ले तम
सुनहरा करे वातावरण
और समा जाए अंतस में
तो बन जाएँ स्वयं
किरण के वाहक हम
सही कहा आपने, काश जीवन में ऐसा ही हो. सुन्दर प्रस्तुति
vikram7: जिन्दगी एक .......
बहुत सुन्दर...आशा की एक किरण ही तो दूर करती है मन का अंधेरा...
ReplyDeleteशुक्रिया रश्मि दी..
चोरी जब चाँद कर सकता है तो हम क्यों नहीं :-)
सादर.
वटवृक्ष की छाँव मिली...
ReplyDeleteआभार रश्मि जी!
किरण-
ReplyDeleteजो अंक में समेट ले तम
सुनहरा करे वातावरण
सुनहरी स्नेहिल किरणे ...
बहुत सुंदर प्रस्तुति ...!!
वाह ...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteअच्छी रचना है
ReplyDeleteएक किरण ही काफ़ी है हरने को तम जग का..मन का...उसी के सहारे सहारे एक दिन सूरज तक पहुंचना भी होगा..आभार!
ReplyDeleteअँधेरे में एक किरण ही काफी है !
ReplyDeleteWaah...!!
ReplyDeleteShaandaar prastuti.
Aabhaar...!!
ऐसे ही
ReplyDeleteबनें प्रकाशपुंज हम
लिए झोली में औरों के भी गम
वाह....बहुत खूब
वाह ...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव ..
ReplyDeleteलिए झोली में औरों के भी गम
ReplyDeleteऔर गतिमान रहे जीवन .waah.
बहुत ही सुन्दर रचना |
ReplyDeleteमेरे भी ब्लॉग में पधारें और मेरी रचना देखें |
मेरी कविता:वो एक ख्वाब था
वाह बहुत सुन्दर
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