चाँद की तरह
सूरज से कुछ धूप मुट्ठी में चुरानी है
और तम को हटाना है ...




रश्मि प्रभा
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एक किरण!

चुपचाप
थाह रहे थे हम
क्या कहता है तम
इस निस्तब्धता में
क्या रहस्य
खोज पायेंगे हम!

तभी
अँधेरा हुआ कम
कुछ वाचाल हुआ तम
और सहज ही कह चला
सकल प्रश्नों का हल है
एक किरण!

किरण-
जिसका मात्र आगमन
तोड़े अन्धकार का भरम
आबद्ध हो जाये श्रृंखला
प्रमुदित हो
झूमे सकल चमन!

किरण-
जो अंक में समेट ले तम
सुनहरा करे वातावरण
और समा जाए अंतस में
तो बन जाएँ स्वयं
किरण के वाहक हम!

ऐसे ही
बनें प्रकाशपुंज हम
लिए झोली में औरों के भी गम
और गतिमान रहे जीवन
फिर रहस्य
खोज लायेंगे हम!

अनुपमा पाठक

15 comments:

  1. किरण-
    जो अंक में समेट ले तम
    सुनहरा करे वातावरण
    और समा जाए अंतस में
    तो बन जाएँ स्वयं
    किरण के वाहक हम
    सही कहा आपने, काश जीवन में ऐसा ही हो. सुन्दर प्रस्तुति

    vikram7: जिन्दगी एक .......

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  2. बहुत सुन्दर...आशा की एक किरण ही तो दूर करती है मन का अंधेरा...
    शुक्रिया रश्मि दी..
    चोरी जब चाँद कर सकता है तो हम क्यों नहीं :-)
    सादर.

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  3. वटवृक्ष की छाँव मिली...
    आभार रश्मि जी!

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  4. किरण-
    जो अंक में समेट ले तम
    सुनहरा करे वातावरण

    सुनहरी स्नेहिल किरणे ...
    बहुत सुंदर प्रस्तुति ...!!

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  5. वाह ...बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

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  6. एक किरण ही काफ़ी है हरने को तम जग का..मन का...उसी के सहारे सहारे एक दिन सूरज तक पहुंचना भी होगा..आभार!

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  7. अँधेरे में एक किरण ही काफी है !

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  8. ऐसे ही
    बनें प्रकाशपुंज हम
    लिए झोली में औरों के भी गम
    वाह....बहुत खूब

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  9. वाह ...बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति

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  10. लिए झोली में औरों के भी गम
    और गतिमान रहे जीवन .waah.

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  11. बहुत ही सुन्दर रचना |

    मेरे भी ब्लॉग में पधारें और मेरी रचना देखें |
    मेरी कविता:वो एक ख्वाब था

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  12. वाह बहुत सुन्दर

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