दो मिनट सालों पर भारी पड़े
रश्मि प्रभा
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मृदुला हर्षवर्धन
कहाँ मैं ख्यालों में थी
दो मिनट में तुमने उनको मिटा दिया
अच्छा हुआ ...
इसे मैंने खुद जाना
और भ्रम से बाहर खुली हवा में निकल आई
रश्मि प्रभा
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बस दो मिनट
तुमने पुछा था
बस दो मिनट के लिए आना चाहती हों
मैंने भी हाँ कह दी थी
यही सोच कर
की उस चेहरे को
जाने फिर कभी
देख भी पाऊँगी या नहीं
क्या सारी बातें
कह पाऊँगी
उन दो minute में
ये सोचा तक नहीं
बस तुम्हे देखना चाहती थी
एक बार तुम्हारी आँखों में देखना चाहती थी
वही प्यार मेरे लिए
जो पहली बार देखा था
अपनों के बीच से उठ कर
जाने क्या कह कर, कैसे आये थे तुम
मुझसे मिलने
उस भीड़ गर्मी शोर में
सिर्फ मेरे कहने पर
देखते ही लगा
तुम्हे बाहों में भर लूं
पर रोक लिया खुद को
तुम्हे लगातार
बिना पलक झपकाए
देखना चाहती थी
पर जी भर कर देख भी नहीं पाई
कुछ कहने की
ज़रुरत महसूस ही नहीं हुई
और फिर तुम चले गए
जी चाहा
तुम्हारा हाथ थाम कर
रोक लूं तुम्हे
पर मैंने खुद को रोक लिया
और तुम्हे जाने दिया
क्यूंकि
इस बार
तुम्हारी आँखों में मेरा अक्स नज़र नहीं आया
इस बार
तुम्हारे छूने में वो प्यार महसूस नहीं हुआ
या शायद ये सब कभी था ही नहीं
बस मेरा भ्रम था
जो मैंने तुम्हारी बातों से
उन सारी रातों से
अपने मन को दिखा रखा था
अच्छा हुआ जो इस बार
तुम
ये भ्रम
तोड़ गए
और मुझे भी
मृदुला हर्षवर्धन
अच्छा हुआ जो इस बार
ReplyDeleteतुम
ये भ्रम
तोड़ गए
और मुझे भी
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने ...।
भ्रम से बाहर निकालती एक मार्मिक अभिव्यक्ति दिल को छू गयी।
ReplyDeleteबहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति दिल को छू गयी।...आभार...
ReplyDeleteमैं सोच में रह जाती हूँ क्या ठीक है , भ्रम में बने रहना या भ्रम का मिट जाना ...
ReplyDeleteदोनों हालत में ही कुछ टूटता तो है ही !
मार्मिक !
मार्मिक अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत खूब...
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeletebahut sundar abhivyakti
ReplyDeleteaap sab ki saraahna ne fir se dil tatol kar aur behtar likhne ko prerit kiya hai
ReplyDeleteabhaar
Naaz
बहुत ही बढ़िया अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteमार्मिक अभिव्यक्ति...आभार...
ReplyDeleteohh bahaut sunder
ReplyDeleteलाजवाब रचना ...
ReplyDeleteबहुत भावनाओं से भरी मार्मिक अभिब्यक्ति /इतनी शानदार प्रस्तुति के लिए बधाई /
ReplyDeletemere blog per aane ke liye thanks.
बहुत संवेदनशील रचना
ReplyDeleteप्रभावी रचना
ReplyDeletesamvedansheel..............badhiyaa rachnaa.
ReplyDeleteजो मैंने तुम्हारी बातों से
ReplyDeleteउन सारी रातों से
अपने मन को दिखा रखा था
अच्छा हुआ जो इस बार
तुम
ये भ्रम
तोड़ गए
और मुझे भी |
अपनी भावनाओं को बहुत खूबसूरती से व्यक्त करने में सफल रचना |
सुन्दर रचना |
behad khoobsurat
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