ख़त लिखूं या लहरों का रुख मोड़ दूँ
तुमसे अनगिनत बातें जो कहनी हैं ...



रश्मि प्रभा


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और एक ख़त..

गीली रेत पर उभरे हैं लफ्ज
तो लहरों के आने से पहले
सोचा लिख डालूं
एक ख़त
तुम्हारे नाम।
उन्हीं झरनों
उन्हीं पहाड़ों
उन्हीं खेतों के पते पर
फिर भेजूं कोई पैगाम।

मन करता है,
सर्दियों की किसी
अलसाई सी दुपहरी में।
पत्तो से छनकर
आंगन में बिखरती धूप में।
तुम्हारे आंचल का कोना,
आंखों पर रखकर
फिर से सो जाऊं।
और अंदर तक उतरे
फिर उसी धूप की गरमी
कि ठंडा पड़ा हर कोना गरमा जाए

उस आंगन से
इस आंगन तक
एक उम्र का फासला है
पर तुम ही बताओ
कि क्या बदला है?
यहां भी खिलती है
जूही की बेल
अक्सर मिल जाते हैं
कुछ टुकड़े धूप के
झरोखों से छन छन कर
आती है जिंदगी।
शहर की भीड़ में भी
सूना सा कोई गांव पलता है।
जुगनुओं की तरह
अंधेरे में कोई
ख्वाब जलता है।

जमीं और आसमां वही है।
पर कुछ है, जो नहीं है।
हर दुपहर जो बस्ता
मेरे कंधों से
उतारा करती थीं तुम,
उन कंधों पर
आज भी एक बस्ता है।
पर उसमें जो किताब है
वो बहुत भारी है।
किसी दिन साफ दिखते
तो कभी धुंधलाते हैं हर्फ।
हर वक्‍त होते हैं
सर पर इम्तिहान।
हर वक्‍त
कोई सवाल
My Photoअनसुलझा होता है।
जिंदगी की पाठशाला में
कोई अवकाश नहीं होता...


दीपिका रानी
http://ahilyaa.blogspot.com/

14 comments:

  1. बहुत सुन्दर रश्मि दी..२ पंक्तियों से ही मन तृप्त हो गया..

    दीपिका रानी जी की कविता भी बहुत सुन्दर है.

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  2. जिंदगी की पाठशाला में
    कोई अवकाश नहीं होता...
    बिल्कुल सही कहा…………सुन्दर रचना।

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  3. बेहतरीन रचना

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  4. उस आंगन से
    इस आंगन तक
    एक उम्र का फासला है
    उम्र के इस फासले को लांघती हुई सुन्दर भावमय रचना ..

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  5. बहुत सुंदर कोमल सी रचना...

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  6. जिंदगी की पाठशाला में
    कोई अवकाश नहीं होता...

    satya vachan

    naaz

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  7. जिंदगी की पाठशाला में
    कोई अवकाश नहीं होता...
    sunder ehsaas ...sunder rachna ..

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  8. जिंदगी की पाठशाला में
    कोई अवकाश नहीं होता...
    निस्संदेह !

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  9. जिंदगी की पाठशाला में
    कोई अवकाश नहीं होता...
    निस्संदेह ! सच है

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  10. अतीत की बात हो गई है , चिठ्ठी लिखना और चिठ्ठी भेजना , पहले हम चिठ्ठी को अतीत का धरोहर समझते थे.... :)
    अतीत की याद दिलाती रचना.... :)

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  11. जिंदगी की पाठशाला में
    कोई अवकाश नहीं होता.

    सही कहा, सुन्दर भावमय रचना.
    vikram7: हाय, टिप्पणी व्यथा बन गई ....

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  12. अक्षरश: सही कहा है आपने ..बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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