चाय की मिठास सुबह की अलसाई धूप को मीठा बनाती है
रश्मि प्रभा
तबीयत अपनी जगह है
पर फीकी पसंद .... चाय को चाय ही रहने दो
दवा न बनाओ ...
रश्मि प्रभा
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चाय
आज शक्कर अधिक हो गयी थी चाय में , बिलकुल सीरा लग रही थी ,चीनी जीभ पे कम होठों पर ज्यादा महसूस हो रही थी ,..सुबह की एक प्याली चाय में शक्कर अधिक मुझे भाई नहीं
मैं सोच रही थी की शक्कर तो मीठी है फिर ज्यादा होने पर भी क्यों अच्छा स्वाद नहीं आ पा रहा..
सही है, चाय में शक्कर का माप सभी के लिए अलग अलग है ..कोई ज्यादा ,कोई कम और कोई बिना शक्कर के ही चाय की चुस्की लेते है .
मुझे बराबर मात्रा ,पसंद है तो वहीँ मेरी कामवाली को दो चम्मच और...
मेरी सहेली तो बिना चीनी के ही पीती है .
यह मिठास तो ज़िन्दगी की मिठास की तरह है..
सो जोड़ दिया आज इस शक्कर का अनुपात ज़िन्दगी में घुली शक्कर से.
किसी किसी को मिठास ज्यादा अच्छी लगती है तो कोई खुश्क जीवन जिए जा रहा है , कहीं शक्कर का अनुपात बिलकुल राशन की दूकान पे चावल तौलते बनिए की तरह -न कम न ज्यादा ,तो कोई अपनी और दुसरे की आवश्यकता के अनुसार शक्कर की मात्रा घटा बढ़ा देता है और कहीं कहीं तो शक्कर के कई पर्याय है..
ज्यादा शक्कर से घुली ज़िन्दगी का अभिप्राय नहीं है ...वो अनावश्यक मिठास है जो मन के बाहर ही रह जाती है ...मिठास वो है जो तन और मन दोनों को छू जाए ..और फिर उसकी एक चुस्की ही सराबोर कर दे..
मिठास अथवा प्यार जीवन में शक्कर ही घोलते हैं ..
आज चाय के प्याले ने एक जीवन में शक्कर के महत्व को दर्शाया ..मेरा मार्गदर्शन हुआ ..
...मैंने अपनी कामवाली को एक कप चाय और बनाने के लिए बोला ,..इस बार शक्कर की मात्रा के बारे में उसे पता था ...
ऋतू
accha laga padhna ritu ji... :)
ReplyDeleteपसंद अपनी अपनी, ख्याल अपना अपना... चाय के बहाने जिंदगी की मिठास को करीब से महसूस कराती पोस्ट!
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteऋतु जी इसी बात पर एक-एक चाय हो जाए...
ReplyDeleteचाय को चाय ही रहने दो...
ReplyDelete:-)
अच्छी प्रस्तुति.
बहुत मीठा बोलने वाले इंसान भी अक्सर ऐसी ही कडुवाहट पैदा करते हैं!! चाय के माध्यम से जीवन दर्शन समझा दिया!!
ReplyDeleteआपके इस उत्कृष्ठ लेखन का आभार ...
ReplyDelete।। गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं ।।
चाय के माध्यम से ..जिंदगी के प्रति अपने अपने नज़रिए की खूबसूरती प्रस्तुति
ReplyDeleteचाय और शक्कर से जीवन दर्शन करा दिया।
ReplyDeletena jane kab kis cheej se kahan jeevan darshan ki shiksha mil jaaye .chaay se hi mithaas aur kuch gyaan mila...bahut badhia.sach me chaay ko chaay hi rahne do.
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी....
ReplyDeleteमिठास वो है जो तन और मन दोनों को छू जाए ..और फिर उसकी एक चुस्की ही सराबोर कर दे..
ReplyDeleteमिठास अथवा प्यार जीवन में शक्कर ही घोलते हैं ....sach kaha aapne..
sundar sarthak prastuti..
चाय के लिए हर किसी की चाहत अलग ही होती है. सही कहा है आपने कि चाय को दवा नहीं बनाना चाहिए.
ReplyDeleteचाय मोहक महक व मिठास के साथ
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.
vikram7: कैसा,यह गणतंत्र हमारा.........
चाय पर अपने विचार देने के पहले , चाय पीनी पड़ेगी (चाय का स्वाद नहीं पता).... ?
ReplyDeleteजिन्दगी का फलसफा समझ में आये , और बहुत अच्छे लगे.... :)
नाप तौल के जीना भी क्या जीना है।
ReplyDeleteमीठी पीना मीठा कहना खुश रहना है।