एक ज़िन्दगी है शाख पर
एक घर के आँगन में
एक बेख्याल जमीन पर
एक पसीजती हथेलियों में ... तू मिल तो कुछ और तलाशें ...

रश्मि प्रभा




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सांसों के इर्द गिर्द घुमती जिंदगी

जिन्दगी कई तरह से
घूमती रही चबुतरे पर
रखे सांसों के इर्द-गिर्द
पनाह चाहिये उसे
तेरी तीखी तल्ख
शिकायतों से बचने के लिये

चलता उगता बढ़ता वक्त
कभी भी नहीं रुका
छिले जख्म सुखे नहीं कभी
नम सांसो से
जिंदगी पिघलती रही

शिकायते तेरी जायज़ रही
पहचान तो मुक्कमल हुई
करीब आते गये और
दो गज जमीन नसीब ना हुई
रुह को

जिंदगी अपने लिबास में
खाक छानती रही
दरख्त की
दर्द को नंगे हाथो में लिये
फिरती रही वो
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यह सच है कि
अभी एक ख्याल बाकि है
तू मिल तो सही !!



संध्या आर्य
http://shefilipi.blogspot.com/

14 comments:

  1. तू मिल तो कुछ और तलाशें ......uspar ye kavita......jaise sone men suhaga.

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  2. चलता उगता बढ़ता वक्त
    कभी भी नहीं रुका
    छिले जख्म सुखे नहीं कभी
    नम सांसो से
    जिंदगी पिघलती रही
    .....
    एक पसीजती हथेलियों में ... तू मिल तो कुछ और तलाशें ...
    बहुत खूब जिनमें इन पंक्तियों ने एक पूर्णता दी है ..

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  3. ... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।

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  4. जिंदगी भर यही तलाश जारी रहती है न शिकायतें कम होती हैं न उससे सामना होता है..

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  5. ज़िन्दगी ही तो नही मिलती।

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  6. gr8 emotions .
    .
    .
    .
    जो विचलित न कर दे वह स्त्री नहीं है
    और जो विचलित हो जाए वह पुरूष नहीं है

    लिखते जाओ और लिखते ही चले जाओ
    नया वर्ष यही कहता है मुझसे और आपसे

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  7. कल 04/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है, 2011 बीता नहीं है ... !

    धन्यवाद!

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  8. जिन्दगी की सहज अभिव्यक्ति!!

    एक सार्थक प्रस्तुति!! आभार

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  9. वाह
    बहुत सुन्दर...
    अच्छी प्रस्तुति.

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  10. बहुत प्रभावशाली.............................. शुभकामनाएं !

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  11. बढ़िया है...तेरे मिलने के ख्याल में...सब ठहरा है

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  12. बहुत ही संजीदा नज़्म... कहीं कहीं कुछ खटकता है, मगर कुल मिलाकर बेहतरीन!!

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  13. यह सच है कि
    अभी एक ख्याल बाकि है
    तू मिल तो सही !!
    behad khoob..

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  14. बहुत खुबसूरत रचना....

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