कहाँ से चले
रश्मि प्रभा
सुनील कुमार
क्या प्रश्न किया
क्या समा बंधा
क्या मुद्दा बना
हाय तौबा राम बचाए ऐसे लोगों से .... ( अब यह न पूछें कि राम कौन !)
रश्मि प्रभा
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एक हास्य कविता , शिव का धनुष
इंस्पेक्टर आफ स्कूल ने पूछा,
बच्चों यदि तुम्हें अपनी संस्कृति का ज्ञान है
तब यह प्रश्न बहुत ही आसान है |
सीधा सा प्रश्न है ना तोड़ा ना मरोड़ा है
यह बताओ शिव का धनुष किसने तोड़ा है
सामने बैठे बच्चे ने उत्तर दिया
अपने यह आरोप लगाकर मुझे कहीं का नहीं छोड़ा है
सत्य तो यह है शिव का धनुष मैंने नहीं तोड़ा है |
तभी पास खड़ा हिन्दी का अध्यापक सामने आता है |
और वह भी उसको निर्दोष बताता है |
मानता हूँ की यह बच्चा बहुत शैतान है ,
मग़र धनुष का तोड़ना इसका नहीं काम है |
उसका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया
इंस्पेक्टर सीधा प्रिंसिपल के रूम में घुस गया |
प्रिंसिपल ने प्यार से बिठाया और समझाया
खेल में तो बड़े बड़े रिकार्ड टूट जाते है ,
एक आप है जो एक धनुष के टूटने पे चिल्लाते है |
इसका उत्तर हम आपको अभी बताते है ,
अपने क्रीडा अध्यापक को अभी बुलाते है |
तभी एक व्यक्ति अंदर आता है |
अपनी उखड़ी हुई साँसों को लाइन से लगाता ,
और अपने को पी टी आइ बताता है |
उसका उत्तर था श्रीमान जी धनुष विद्या तो हमारे कोर्स में भी नहीं था |
और दावे से कहता हूँ की एक भी धनुष हमारे स्टोर्स में भी नही था |
इंस्पेक्टर सीधा शिक्षा मंत्री के पास गया
अपनी समस्या से अवगत कराया |
मंत्री जी बोले आप यह बात किसी को नहीं बताएँगे|
नहीं तो विरोधी दल ,चुनाव में इसको मुद्दा बनायेंगे |
हाँ अब अपनी संस्कृति का अपमान
अब और नहीं सह पाएंगे
जल्दी ही हर स्कूल में दो दो धनुष भिजवायेगे |
कल ही हम एक फाइल वित्त मंत्री को भिजवाएंगे
अगर आप कहें तो दो चार परसेंट कमीशन आपको दिलवा देंगे |
फाइल वित्त मंत्री के पास गयी
कुछ टिप्पणी के साथ वापस आयी
कृपया धनुष कि अनुमानित लागत बताएं |
और कृपया तीन कुटेशन भी भिजवायें
और साथ में तीन प्रश्नों का उत्तर बताएं
धनुष टूटा तो कब ,कहाँ और क्यों
यह देख कर इंस्पेक्टर ज़ोर से चिल्लाया |
और अपने आप पर झल्लाया
आखिर मैंने यह प्रश्न पूछा क्यों .........
(यह प्रसंग पूर्णतया काल्पनिक है मग़र इसके चरित्र हमारे समाज में हैं )
सुनील कुमार
हमने यह प्रश्न केवल इसे प्रिंसिपल तक ही सुना था ..आपने तो मंत्रियों तक को लपेट लिया .. :)
ReplyDeleteवाह ...बहुत खूब ।
ReplyDeletebohot sunder likha hai aapne
ReplyDeleteवाह ...बहुत खूब ।
ReplyDeletebahut sundar...
ReplyDeleteवाह बहुत सुन्दर...आप की सोच को नमन...
ReplyDeleteयही हाल तो सब जगह है !
ReplyDeleteअच्छा व्यंग्य!
बहुत सुदंर
ReplyDeleteकवि सम्मेलनों मे पहले भी सुन चुका हूं, जब सुनता पढता हूं, तब नई लगती है और भरपूर आनंद ।
आभार
यह किस्सा मैं तीस वर्ष से कविता रूप में पढ़ सुन रहा हूँ, अब तो यह लोककथा हो गई है।
ReplyDeletebahut bdiyaa hasya ke maadhyam se desh ki byvastha per achcha byang.
ReplyDeletebadhaai aapko .
बहुत खूब !
ReplyDeleteबढ़िया कल्पना है भाई ।
ReplyDeleteयही कल्पना शक्ति मनुष्य को एक अच्छा कवि बनाती है ।
लेकिन हमारीवानी पर फोटो किसी का , पोस्ट पर किसी और का , और रचयिता कोई और --यह माज़रा समझ नहीं आया ।
सुन्दर !
ReplyDeleteगनीमत है...इन्स्पेक्टर को उत्तर मालूम था...
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