
पाँव बढ़ाने की देर है
अकेले नहीं रहोगे
हिम्मत लाने की देर है
अकेले नहीं रहोगे ....

रश्मि प्रभा
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एकला चलो तो
तुम जो चलो तो
मैं भी चल ही दूँगी
हवा मंथर मंद सी
पुष्प संग सुगंध सी
कहीं यह पढ़ा था
दिल ने भी कहा था
एकला चलो रे
आकाश को बढ़ो रे
छू लिया गगन को
पा लिया सपन को
शून्य सा लगा था
मोती बिन बिंधा था
जब तलक चमक थी
हँसी थी खनक थी
सोचते रहे हम
परछाइयां रहेगी
पर धूप जब ढली तो
तन्हाईयाँ बची थी
एकला चलो तो
भाव संग रहे यह
अकेले चल पड़े हो
अकेले पर रहो न हों
शून्य से बढे तो
एक से जो दश हो
शत हो सहस्त्र हो
न छलना छल सकेगी
न प्रवंचना रहेगी
नेक जब चलन हों
कांटे या चमन हों
पग ये बढ़ चलेंगे
एकला चले तो हैं
मगर
ना रहेंगे एकले

वंदना
श्री गणेश उत्सव पर्व पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं...
ReplyDeleteसोचते रहे हम
ReplyDeleteपरछाइयां रहेगी
पर धूप जब ढली तो
तन्हाईयाँ बची थी
एकला चलो तो
यही है इंसानी नियति सबके साथ होते हुये भी उसे अकेला ही चलना पड्ता है…………बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
वाह!
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति /बहुत सुंदर शब्दों का चयन लिए हुए शानदार रचना /बधाई आपको /
ReplyDeleteसही लिखा है वंदना आपने.आपके इन विचारों का मैं उतना ही सम्मान करती हूँ जितना..........खुद अपना.हा हा हा
ReplyDeleteऐसे ही रस्ते जीवन में चुने पाँव ...मन दोनों लहुलुहान हो गए.मन मेरे साथ रहा.उसने सुकून पाया इसलिए ज़ख्मों को भूल गया.
लहुलुहान पांवों ने अपने निशाँ छोड़ दिए थे उन रास्तों पर.....देखा कई चले आ रहे हैं ...जो डरते थे इन रास्तों की ओर देखने से ही क्योंकि.....मानव प्रवृति सरलता,सहजता ढूढने की जो रही है.
और....खुश हूँ.जीवन से संतुष्ट भी.नही...नही...गलत न समझना.एक सीधीसादी औरत हूँ.यह आत्मश्लाघा भी नही...जीवन के पृष्ठ है जिन्हें खोल कर पद्धति हूँ और.....आप जैसे बच्चों को बताती हूँ दरों नही ...चलो..अकेले ही काफिले बन जायेंगे...आज नही...हमारे जाने के बाद ही सही एक पगडण्डी तो मिल जायेगी लोगों को बनी हुई. जियो और लिखा है उसे जी जाओ. प्यार
bahan ji mujhe aapne akelepn se bachne kaa farmula de diya hai shukriya bhtrin rchnaa ke liyen badhaai ...akhtar khan akela kota rajsthan
ReplyDeleteरश्मि जी! इमानदारी से कहूँ...पहली बार मैं किसी ऐसे ब्लॉग पर पहुंची हूँ जो सचमुच 'दिल को छू' जाने वाला लिखती है.वंदना से मिलाया.थेंक्स
ReplyDeleteप्रेरक रचना ...बहुत सुन्दर भाव .
ReplyDeleteबहुत खूब... श्री गणेश उत्सव पर्व पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं !
ReplyDeleteप्रेरक रचना....
ReplyDeletethanks rashmi ji
ReplyDeleteआपने मेरा हौसला बढ़ाया और पाठकों के परिवार में वृद्धि हुई जैसा कि कविता का भाव है आपका अनुगमन करते हुए शायद मंजिल तक पहुँच पायें
sunder..
ReplyDeleteBahut sunder bhav hen vandana ...har insaan akela hi aaya hei or akela hi jana hei ...saathi to yahi chut jaane hei ...
ReplyDeleteकाफिला बनता गया...
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