रिमझिम बारिश
कुछ सोंधी खुशबू
गर्म चाय की प्याली से उठता सिहरता धुंआ
और एक बूंद बारिश का गले लगना
अब तो बस यादों के बादल हैं हर तरफ
और गुफ्तगू चाय और नन्हीं बूंद की ....
रश्मि प्रभा
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चाय की प्याली में....बारिश की बूँदें
चाय की टपरी
और उसकी छत पर रिमझिम बारिश
मेरी चाय की प्याली में भी
कुछ बूँदें आ गिरी
मीठी चाय में जैसे
नमक-सा घुल गया
फिर एक बार ज़िन्दगी का भूला हुआ
स्वाद याद आ गया
तुम्हारे प्यार की मिठास
मेरे नखरों का नमक
तुम्हारे सपनों की मिठास
मेरे सच का नमक
तुम्हारी क्षणिक-सी मिठास
मेरा शाश्वत-सा नमक
मेरी तत्परता की मिठास
तुम्हारे धैर्य का नमक
तुम्हारी हँसी की मिठास
मेरे आंसुओं का नमक
हमारे रिश्तों की मिठास
मेरे अकेलेपन का नमक
हमारे मिलन की मिठास
तुम्हारी जुदाई का नमक
हमारे झगड़ों की मिठास
हमारे द्वंद्व का नमक
तुम्हारी आहट की मिठास
तुम्हारे इंतज़ार का नमक
बेस्वाद-सी ज़िन्दगी में
फिर से स्वाद भर दिया
आज की चाय की प्याली में
बारिश की बूँदों ने
मृदुला हर्षवर्धन
bahut sundar rachna..
ReplyDeletemere bhi blog me aayen.
मेरी कविता
काव्य का संसार
वाह बहुत ही सुन्दर अहसासो को पिरोया है।
ReplyDeleteek shabd "wah"
ReplyDeleteek wakya...
"khubsurat rachna hai!"
hai na.........:)
bahut khoobsurat likhi hain.....
ReplyDeleteवाकई बहुत खुबसूरत थी वो जिंदगानी.
ReplyDeleteचाय के मीठे स्वाद के साथ नमकीन यादें ...
ReplyDeleteसुन्दर !
वाह बेहतरीन ....बहुत सही
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteबारिश की बूँदों में स्वाद लेने के लिए
ReplyDeleteआप सब का धन्यवाद
आभार
नाज़
वाह ...बहुत बढि़या ।
ReplyDeletebehad khub mridula ji.. acchi lagi rachna...
ReplyDeletezindgee namkeen honee chhahiye
ReplyDeletejee rahe hein nirantar ahsaas honaa chaahiye
sundar kavita
badhaayee
गर्मा गर्म चाय के साथ मीठी मीठी यादें...
ReplyDeletebahut khoobsurat..
ReplyDeleteबेस्वाद-सी ज़िन्दगी में
ReplyDeleteफिर से स्वाद भर दिया
आज की चाय की प्याली में
बारिश की बूँदों ने
....भावों और शब्दों का बहुत खूबसूरत संयोजन...बहुत सुंदर।
हक़ीकत और सपने मिलते हैं तो एक अलग अनुभूति होती है ...सत्य और भ्रम मिलें तो भी एक अलग आनंद है ....
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना ...मृदुला जी ...
wow..... बहुत ही खूबसूरती से आपने रिश्तों में आने वाली मीठास और खारे पन को व्यक्त किया है। कभी समय मिले तो आयेगा मेरी भी पोस्ट पर आपका सवागत है।
ReplyDeletehttp://mhare-anubhav.blogspot.com/
और एक विनम्र विनती भी है। आपने मेरे mail का reply नहीं दिया है,अब तक यदि समय मिले तो वो भी देखलें ....धन्यवाद
हर चीज़ का अपना मज़ा होता है...और नजरिया भी...आम आदमी ऐसी चाय छोड़ भी सकता है...बहुत खूब...
ReplyDeleteकमाल अभिव्यक्ति , अभिनव प्रयोग है कविता के शब्द बधाई
ReplyDeleteखुबसूरत प्रस्तुती....
ReplyDeleteबारिश!!जब भी आती है,सुकूँ ही देती है,अब चाहे मरुस्थल की तपती रेत हो या,बेस्वाद चाय की प्याली!
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