अमृत की कई बूंदें थीं तेरे नाम में
रश्मि प्रभा
अंजू
जिसने तेरा नाम लिया - अमरत्व पा गया
रश्मि प्रभा
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समंदर का सूरज ( अमृता प्रीतम के नाम )
तीन बार
किनारों ने
सिर उठाया
तीनों बार
उनके वजूद को
चूर होते पाया ...
इसलिए
छोड़
किनारों को पीछे
नदी के बहाव को
लगाया गले ....
पर
जानती हो ...
किनारे
छूटते कहाँ है..!
चलते हैं वो तो
साथ ही
या
घुल जाते है
लहरों के आवेग से .....
आज 'तुम'
समंदर हो
और तुम्हारे
माथे पर
चमकता सूरज
कोई और नहीं
तुम्हारे
घुले हुए किनारे है........
अंजू
वाह ....बहुत खूब ।
ReplyDeletebehtreen kavita.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति....
ReplyDeleteवाह, क्या बात है !
ReplyDeleteवाह …………गहन भावो का समावेश्।
ReplyDeletebehad khoobsoorat
ReplyDeleteअमृत की कई बूंदें थीं तेरे नाम में
ReplyDeleteजिसने तेरा नाम लिया - अमरत्व पा गया
lovely lines...I post it today on mahh fb wall... lovely diii
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति....
ReplyDeletebhaut khubsurat...
ReplyDeletesundar rachna...
ReplyDeleteआज 'तुम'
ReplyDeleteसमंदर हो
और तुम्हारे
माथे पर
चमकता सूरज
कोई और नहीं
तुम्हारे
घुले हुए किनारे है........
वाह!
धन्यवाद रश्मि जी ,इस रचना को वट वृक्ष में स्थान देने पर .........अमृता जी के प्रति मेरी भावाव्यक्ति को आदर देने ,पाठकों तक पहुँचाने के लिए आभार
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