एक ज़रूरत होना भी प्यार है
पर इज़हार आदत न होकर प्यार ही हो
तो थकी रूह को पंख मिल जाते हैं


रश्मि प्रभा
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आदत


गाल पर हाथ रख ,मुस्कुराते हुए ,
उसने कहा.......
अब तुम्हारी आदत सी हो गयी है
तो हमने भी मुस्कुरा कर यही कहा ...
न हूँ मैं सुबह की भाप उड़ाती एक प्याला चाय ,
न रबरबैंड में लिपटा बरामदे में फेंका अखबार ,
ऐसा भी तो कह सकते थे ....
अब तुम्हारा साथ अच्छा लगता है ,
बिन बात यूँ ही खिलखिलाना ,
कुछ कहते - कहते रुक जाना ,
एक साथ बोलना या ,
अचानक चुप हो जाना ,
बस एकटक देखना
क्या है जो यकायक ,
रोक देता है...
क्यों नहीं कह पाते,
मन की परतों मे है जो दबा ,
कुछ अनकहा - अनछुआ सा ,
जो हमेशा हवा में टंगा रह जाता है ,
या फिर अगली मुलाकात की ,
पृष्ठभूमि बन जाता है .....!!!!!!


पूनम जैन कासलीवाल

12 comments:

  1. भावों की गहराई में गोता!!

    शानदार प्रस्तुति

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  2. बहुत बढ़िया रचना |

    मेरी रचना देखें-
    मेरी कविता:सूखे नैन

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  3. बहुत सुन्दर भावो का समावेश्।

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  4. बहुत ही भावमय करते शब्‍दों का संगम ।

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  5. इज़हार आदत न होकर प्यार ही हो.......kya damdar soch hai,uspar ye khoobsurat kavita....kahoon to kya kahoon.....

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  6. man ke bhaavon ko badi khoobsurti ke saath bayan kiya hai.

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  7. भावमय करते शब्‍दों का सुन्दर संगम....

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  8. मेरी घरेलु भाषा भोजपुरी है.. इच्छा हुई की भोजपुरी में प्रतिक्रिया दूँ...

    बहुत बढ़िया लिखले बनी.. आभार.. राउर प्रतिक्रिया के हमरो बा इंतिजार.. एक बेर जरूर आइब.. राउर स्वागत बा...

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  9. मन कि भावनाओं से औतप्रोत सुंदर अभिवयक्ति ...

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  10. khoobsurat.. zazbaato se bheegi bheegi aur end.. toh gazab! :)

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