सफ़र जब शुरू होता है
रश्मि प्रभा
सूरज अपनी मुट्ठी में होता है
जब हथेलियाँ पसीजने लगती हैं
तब कई एहसास साथ हो लेते हैं ....
रश्मि प्रभा
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लम्हों का सफर
शुरू हुआ सफर गुनती हुई सी यादों संग
सहलाती नरम सुबह के साथ .....
बरसों बरस बाद मिलन के सुख जैसा !
मन को खंगालता हुआ सा दिन
बीते दिनों की चिपकी धूल और गर्द को
बुहारता
साफ करता हुआ सा.....!
जहाँ जाकर कुछ लम्हे
हमेशा के लिए अमर हो जाते है.......
कुछ वैसा वैसा ही !
इन्तजार के दिनों को जीना
आसां नहीं ...समझ आता है !
सबकुछ अचानक ही लुटता हुआ सा महसूस होता है
.और तब पकड़ कर यादों की चादर का एक कोना
अकेले जा बैठना ...
हिचकियाँ भर भर कर रोना ...
और बस रोना सा ही रह जाता है ...
हथेलियों पर सब कुछ कह जाता सा
स्पर्श तुम्हारा
देखो कैसे ....
दिल का हर दर्द
आसुओं से धुलता जाता है
विभा
सुन्दर अभिव्यक्ति...
ReplyDeletewow... bwautiful...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसुन्दर!
ReplyDeleteवहा बहुत ख़ूब.... हमेशा की तरह अहसासों को समेटती हुई भावपूर्ण सुंदर अभिवक्ती...
ReplyDeletesunder bhaavpoorn abhivyakti.
ReplyDeleteसुन्दर अहसासों को सहेजती समेटती एक कोमल सी प्रस्तुति
ReplyDeletekhubsurat ehsaas...
ReplyDeletesunder rachna ..
ReplyDeleteMan ko ruchikar ....
ReplyDeleteकोमल भावों की कविता
ReplyDeleteहथेलियों पर सब कुछ कह जाता सा
ReplyDeleteस्पर्श तुम्हारा
वाह, क्या बात है ... बहुत सुन्दर पंक्तियाँ !
बढ़िया अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteसादर बधाई...
धन्यवाद रश्मि जी ..
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