मन तो चिड़िया है
पंख खोले उड़ान भरता जाता है
चोच में भावनाओं के दाने लिए
घोसले में उतरता है
और तिनकों पर लिखता है - कविता
रश्मि प्रभा
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बहुत दिनों बाद मन है-
चलो लिख डालें एक कविता.
चलो लिख कर देखें
ढेर सारे सपने
सजाता है जिन्हें रोज मन
नींद आने के बस तुरंत बाद..
चलो पिरो दे पंक्तियों में
उन सारी पीडाओं को
व्यथाओं को
जो मन पर बोझ बन कर रहती हैं
और आत्मा जिन्हें न चाहते हुए भी सहती है...
चलो शब्द दे दें
भगवान से अपनी शिकायतों को...
चलो कह दें जग से
वो शिकवे
जो हैं हथेली की रेखाओं से...
चलो रचें वो सारे वाक्य
सुनना चाहते है जिन्हें कान
देखना चाहती है जिन्हें आँखे
अपने आगे सच होते हुए...
चलो उठाओ कलम और लिख डालो
या
रखो उँगलियाँ की-बोर्ड पर
और
छाप डालो वो सब कुछ
जो असल जिन्दगी में न सही
मगर कविता में तो जरूर हो सकता है सच.
मीनू खरे
असल जिंदगी से ही तो उपजती है कविता.. और कविता से असल यहाँ और कुछ है भी कहाँ ! सुंदर कविता!
ReplyDeleteमीनू जी की कविता और आपकी क्षणिका दोनों बेहतरीन है ! बहुत अच्छा लगा चिड़िया से तुलना ...
ReplyDeleteतीन क्षणिकाएं ... विभीषण !
खूबसूरत रचना ..
ReplyDeleteछाप डालो वो सब कुछ
ReplyDeleteजो असल जिन्दगी में न सही
मगर कविता में तो जरूर हो सकता है सच.
बिलकुल...यहाँ पर तो भावनाओं पर कोई बंदिश नहीं होती...बहुत सुन्दर
छाप डालो वो सब कुछ
ReplyDeleteजो असल जिन्दगी में न सही
मगर कविता में तो जरूर हो सकता है सच.
बिलकुल सच कहा आपने मन की उमंगों और भावों को तो हम अपनी रचना मैं डालकर अपनी इच्छाओं को पूरा कर ही सकतें हैं .बहुत ही जीवंत और सार्थक रचना बहुत बधाई आपको /
मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है /जरुर पधारें /
www.prernaargal.blogspot.com
सच, बहुत अच्छी कविता...
ReplyDeleteमैं भी कोशिश करता हूँ...एक कविता की. चलता हु दाने बीनने.....
बहुत खूबसूरत रचना ..
ReplyDeleteMeenu Khare Ji ko bahut-bahut badhai.. Bahut hi acchhi rachna...
ReplyDeleteख्वाब ही सही , कविताओं में उतारो इन्हें ..
ReplyDeleteसुन्दर!
छाप डालो वो सब कुछ
ReplyDeleteजो असल जिन्दगी में न सही
मगर कविता में तो जरूर हो सकता है सच
sahi likha aapne bahut achchhaa
अरे आप कैसे चुपके चुपके इतने नेक काम कर जाती हैं रश्मि जी!मेरी कविता को अपने ब्लॉग पर जगह देने के लिए मन की गहराइयों से धन्यवाद और अशेष शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteरवीन्द्र जी की pustak के लिए बधाई.
sundar rachna....
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