कर्म , उपदेश , परिणाम चीख चीख कर सत्य बताते हैं
रश्मि प्रभा
सुनते सभी हैं , पर करते वही हैं - जिसमें उनकी दिलचस्पी होती है !
रश्मि प्रभा
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अवैध
हर जगह हर गली हर मोड
बिना अपवाद
पसरी हुई अवैधता....
क़ानून की किताबों या फिर पावन किताबों के
किसी भी मानदंड के मुताबिक़ ....
अवैधता ही अवैधता...
फिर भी......
भाव भंगिमाओं की चुगली करते
'सब चलता है ' का इज़हार ..
न कोई पाप बोध न कोई कृतज्ञता ....
कुटिल निष्क्रियता...
मिथ्याबोध
नित प्रति बढ़ती जाती
अवैधता की अंतहीन सी लकीर
ऐसे में दर किनार होते रहते
मानवीय सत्कर्म ....
ऐसे परिदृश्य में
राजनीति के विदूषकों के हथकंडे
और घटिया कारनामें ...
नहीं छटेगा यह गहराता कुहासा
सब कुछ चलता है की मनोवृत्ति से
और खुद की भी अवैध संलिप्तताओं से ...
हर रोज कोई न कोई नया बखेड़ा
स्थितियों को और बिगाड़ता
फिजां को बर्बाद करता ....
और भी भ्रमित करता जाता है
फिर भी ,लोगों में संतुष्टि की अनुभूति
आखिर किस प्रकार और कैसे ?
अरे भद्रजनों ,आँखे खोलिए ..
कुछ तो महसूस कीजिये ...
परिवेश के बिगड़ते हालात पर
तनिक तो गंभीरता से सोचिये
हमारा दिमाग अब भी साथ है हमारे
नहीं हुआ है पूरी तरह से बर्बाद ...
हम अब भी छेड़ सकते हैं जिहाद
काबू कर सकते हैं हालात को
और हो सकते हैं फिर से आबाद |
~ ज्योति मिश्रा
behad achchi lagi.......
ReplyDeleteअतिउत्तम विवेचन युक्त और जाग्रति प्रेरक रचना।
ReplyDeleteगागर में सागर सम भाव संयोजन!!
बधाई ज्योति जी!! बेहद भाव प्रवण!!
उत्तम कृति की प्रस्तुति के लिए अनेकों आभार रश्मि जी!!
atiuttam atiuttam.....
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति.....
ReplyDeleteमेरी घरेलु भाषा भोजपुरी है.. इच्छा हुई की भोजपुरी में प्रतिक्रिया दूँ...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखले बनी.. आभार.. राउर प्रतिक्रिया के हमरो बा इंतिजार.. एक बेर जरूर आइब.. राउर स्वागत बा...
बहुत सुन्दर भावो को सहेजा है।
ReplyDeleteअवैध आज के परिवेश में वैधता पाता जा रहा है...अवैध खनन हो या निर्माण धडल्ले से चल रहा है, शिकायत भी किससे करें..फिरभी सजग तो रहना होगा हम सबको...
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना ,चेताती हुई..
ReplyDeleteभावों को सहेजती भावमयी सुंदर अभिवक्ती...
ReplyDeleteएक दमदार बात कहने के लिये चुने हुये शब्द, वाह! बहुत शानदार और दमदार बात! वाह!
ReplyDeletenice stork for benevolence by beautiful poem .... thanks .
ReplyDeleteखुबसूरत प्रस्तुती....
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति है...
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