आज यूँ ही एक ख्याल
गुजरा मेरे रास्ते से,
शायद क्यूंकि
तुम मेरे साथ नहीं आज!
ख्याल ने झाँका मेरे अंतर्मन में
पढ़ा मेरी बेचैनी को
और सोचा
क्या यह मुमकिन है
कि छूकर किसी याद को
ऐसा लगे कि जैसे मैंने छुआ हो तुम्हें ?
जब तुम्हारी कमी खलने लगती है
दुनिया अजीब सी लगती है मुझे
शायद क्यूंकि हर शख्स में तुम ही नजर आते हो
हर आवाज में तुम्हारी ही खनक होती है
और हर धड़कन में तुम्हारे नाम की ही दुआ !
क्या छूकर किसी किताब
या पन्ने को,
या तुम्हारे छोड़े गए ग्लास को
या फिर तुम्हारी किसी तस्वीर को
क्या कम लगेगी मुझे तुम्हारी कमी,
क्या लगेगा जैसे मैंने छुआ हो तुम्हे
और तुमने भी बालों में मेरे उंगलिया फिराई हो जैसे?
नादान ख्याल है
मगर सच में सोचती हूँ ऐसा
काश किसी याद को सिरहाने रख कर सो जाऊं
और पा जाऊं तुम्हे तब
जब तुम्हारी कमी पूरी दुनिया
की लम्बाई, चौडाई, गहराई
से भी ज्यादा लगने लगे मुझे !
नादान ख्याल है
ReplyDeleteमगर सच में सोचती हूँ ऐसा
काश किसी याद को सिरहाने रख कर सो जाऊं
और पा जाऊं तुम्हे तब
जब तुम्हारी कमी पूरी दुनिया
की लम्बाई, चौडाई, गहराई
से भी ज्यादा लगने लगे मुझे !
बहुत बढि़या।
बेहद खूबसूरत ख्याल्।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ख्याल ......
ReplyDeleteखूबसूरत भाव खूबसूरत ख्याल...
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा भाव हैं इस कविता के, धन्यवाद !
ReplyDeleteबहुत बढि़या।
ReplyDeletebahut badiya rachna...
ReplyDeleteprastuti hetu dhanyavad!
आपकी पोस्ट कल 5/4/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
http://charchamanch.blogspot.com
चर्चा - 840:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
सुंदर रचना ...
ReplyDeleteशुभकामनायें ...
नादान ख्याल है
ReplyDeleteमगर सच में सोचती हूँ ऐसा
काश किसी याद को सिरहाने रख कर सो जाऊं
और पा जाऊं तुम्हे तब
जब तुम्हारी कमी पूरी दुनिया
की लम्बाई, चौडाई, गहराई
से भी ज्यादा लगने लगे मुझे !
खूबसूरत भावसे युक्त अति सुन्दर रचना
बहुत बढि़या लिका हें ।
ReplyDeleteखूबसूरत और सुन्दर रचना
ReplyDeleteनादान ख्याल है
ReplyDeleteख्याल कब नादाँ हुए हैं भला
बहुत खूब
उम्दा !!
ReplyDeleteकवितायें तो बहुत पढने को मिलती हैं पर कम ही ऐसा होता है की पढने के बाद मैं वाकशून्य हो जाऊं| बहुत देर तक सोचता रहा मैं |आप ऐसे ही लिखती रहें |
ReplyDeleteदिल से लिखी दिल को छूती रचना ! सचमुच कहने को शब्द नही बचे ..............शुक्रिया
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