रामभरोसे दुनिया
जिसकी लाठी .... अक्ल की क्या बिसात !
रश्मि प्रभा
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एक गीत-मुल्क हमारा रब ही सिर्फ़ चलाता है
राजा
करता वही
उसे जो भाता है |
कवि
कविता लिखता
जनगीत न गाता है |
कविता लिखता
जनगीत न गाता है |
राजधर्म के
सब दरवाजे
बन्द मिले ,
सरहद के
भीतर कसाब -
जयचन्द मिले ,
बन्दी
पृथ्वीराज
सिर्फ़ पछताता है |
गोदामों
के बाहर
गेहूँ सड़ता है ,
नेता
रोज तिलस्मी
भाषण पढ़ता है ,
कर्ज
चुकाने में
किसान मर जाता है |
उनकी
दूरंतो
अपनी नौचन्दी है ,
संसद से
मत सच
कहना पाबन्दी है ,
संविधान
बस अपना
भाग्यविधाता है |
पौरुष है
लड़ने का पर
हथियार नहीं है ,
सिर पर
पगड़ीवाला
अब सरदार नहीं है ,
मुल्क
हमारा रब ही
सिर्फ़ चलाता है |
उनकी
ReplyDeleteदूरंतो
अपनी नौचन्दी है ,
संसद से
मत सच
कहना पाबन्दी है ,
संविधान
बस अपना
भाग्यविधाता है |
वाह! प्रभावी कटाक्ष! वाह!
वाह!
ReplyDeleteगज़ब्…………शानदार कटाक्ष्।
ReplyDeleteनवगीत के मामले में तुषार जी का कोई सानी नहीं दिखता ब्लॉग जगत में। बेहतरीन गीत है।
ReplyDelete...
संसद में
मत सच कहना
पाबंदी है
...
..ऐसे लिखा जाना था क्या?
बहुत दिनों के बाद इस तरह की व्यंग्यपूर्ण प्रस्तुति पढने मिली . शानदार और जानदार कविता
ReplyDeletebahut hi accha geet...:)aj se aapka blog follow kar rahi hu
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