सपने खिलोने  होते है,
थोड़ी सी देर खेल लो,
फिर टूट जाते हैं,आँखों के खुलने पर
सपने पीडायें है,
दबी घुटन है मन की,
प्रस्फुटित होती है,नींद के आने पर
सपने आशायें है ,
जो चित्रित  होती है,
जब निश्छल और शांत,होते है तन और मन
सपने कुंठायें है,
जो पलती है मन में,
जब होती प्रतिस्पर्धा,या झगडा और जलन
सपने तो सेतु है,
बिछड़े हुए प्रेमियों का,
विरह की रातों में,मिलन का सहारा  है
सपने,पुनर्वालोकन,
बिसरी हुई यादों का,
फिर से दोहराने का,चित्रपट निराला  है
सपन तो मुसाफिर है,
आँखों की सराय में ,
केवल रात भर ही तो ,रुकने को आते है
सपने है बंजारे,
घुमक्कड़ है यायावर,
पल भर में दुनिया की,सैर करा लातें है
सपने तो दर्पण है,
जिसमे दिखलाता है,
अपना ही तो चेहरा,कल,आज और कल का
सपन संभावनायें है,
पूर्ण होगी निश्चित ही,
लगन और मेहनत से ,मूर्त रूप है कल का
सपने बेगाने है,
तब तक ही अपने है,
जब तक है बंद आँख,इन पर विश्वास करो
सपने अफ़साने है ,
अफ़साने ही रहते,
पर पूरे भी होते,सच्चा प्रयास  करो
सपन कल्पनायें है,
उड़ा तुम्हे ले जाती,
सात आसमानों पर,बिना पंख लगवाये
यदि आगे बढ़ना है ,
तो सपने देखो तुम,
सपनो से मिलती है,जीवन में उर्जायें
यह न कहो की सपने,
तो केवल सपने है,
कब होते अपने है,यूं ही टूट जाते है
श्रोत प्रेरणाओं का,
सपने ही होते है,
प्रगति के सब रस्ते,सपने दिखलाते है

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 मदन मोहन बाहेती'घोटू'
http://ghotoo.wordpress.com/

6 comments:

  1. प्रगति के सब रस्ते,सपने दिखलाते है

    ...गूढ़ भावार्थ छिपा होटा है हर सपने में!...बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

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  2. गहन भाव लिए बेहतरीन प्रस्‍तुति।

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  3. एक बेहतरीन प्रस्तुति।

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  4. सपने न हों तो जीवन व्यर्थ है ... बेहतरीन प्रस्‍तुति...

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  5. सपने न हो तो , जीवन में बहुत कुछ न मिल पाए . सुन्दर रचना !

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  6. सुन्दर सार्थक रचना...
    सादर आभार.

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