यादें गिरे हुए पर्दों को हटाती हैं
और गुजरे कल को सिरहाने रख जाती हैं ....
रश्मि प्रभा
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ये यादें
मेरे जीवन की यादें!!!
प्रायः अर्धरात्रि में उठती हैं,
तो पीड़ा आकुल हो
प्रभंजन की भाति....
... नैनो में प्रवेश कर जाती है.
जब समस्त जग निद्रा में लीन होता है
मैं यादो के आलिंगन में बंदी बनी रहती हूँ,
जैसे "तुम" अपरिचित हुए,
ये यादें क्यों ना हुई अपरिचित?
अपने साथ पीड़ा की आयु भी बढ़ा रही है,
ये यादें!!!
कितनी धृष्ट हैं...ये यादें
सम्बंधित तुमसे हैं और,
परिचय मुझसे बढाती हैं....
इनको पोषण में,
आँखों का लवण..और जीवन का प्रत्येक क्षण
भोजन रूप में देती हूँ
क्या करूँ...जैसे तुम्हारा आना असंभव है,
वेसे ही इन यादों का जाना भी....
अब धरा भी भोर से भीग रही है,
यादें अब भी मेरे साथ लेटी,
मुस्काते हुए बीती विभावरी की लाश
निहार रही है.....प्रतीक्षा है उसे संभवता
एक और विभावरी की...
उफ़!! कितनी अविनीत है ये यादें..
मेरे जीवन की यादें
सोनिया बहुखंडी गौर
बहुत ही बढिया।
ReplyDeleteउफ़!! कितनी अविनीत है ये यादें ....
ReplyDelete(यादोंको)आँखों का लवण..और जीवन का प्रत्येक क्षण भोजन रूप में देती हूँ
(फिर भी उनकी क्षुधा शांत नहीं होती .... जीवन शांत न हो जाए जब तक .... !!)
यादें गुज़रे हुए कल को सिरहाने रख जाती हैं....
ReplyDeleteबहुत सुंदर दी....
और सोनिया जी की रचना भी बहुत अच्छी........
सादर.
अनु
यादें गुज़रे हुए कल को सिरहाने रख जाती हैं....
ReplyDeleteबहुत सुंदर दी....
और सोनिया जी की रचना भी बहुत अच्छी........
सादर.
अनु
यादें गुज़रे हुए कल को सिरहाने रख जाती हैं....
ReplyDeleteबहुत सुंदर दी....
और सोनिया जी की रचना भी बहुत अच्छी........
सादर.
अनु
Uff kitni avneet hain yaaden...:)
ReplyDeletebahut khub!
बहुत सुंदर
ReplyDeleteयादों का मौसम जब छाता है तो सब कुछ बहा ले जाता है...
ReplyDeleteयादों का द्वंद मेरे साथ अक्सर होता है.
ReplyDeleteमैं कितनी पुरजोर कोशिश करूँ हार जाती हूँ।
और पुनः यादों को अपने जीवन में पाती हूँ
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धन्यवाद कविता को शामिल करने के लिए
गज़ब का भाव संयोजन ………शानदार प्रस्तुतिकरण्।
ReplyDeleteउफ़!! कितनी अविनीत है ये यादें..
ReplyDeleteमेरे जीवन की यादें
sahi bat....
यादे हंमेशा साथ चलती है...बहुत कुछ दे जाती है यादें!...अति सुन्दर रचना!
ReplyDeleteYaden peecha nahi chodti ...
ReplyDeleteuff yah yaaden ....sunder bhi dard bhi nanek roopo ki ...hardik badhai .
ReplyDeleteएक और विभावरी की...
ReplyDeleteउफ़!! कितनी अविनीत है ये यादें..
मेरे जीवन की यादें
सही ये यादें.....
कितनी धृष्ट हैं...ये यादें
ReplyDeleteसम्बंधित तुमसे हैं और,
परिचय मुझसे बढाती हैं....
इनको पोषण में,
आँखों का लवण..और जीवन का प्रत्येक क्षण
भोजन रूप में देती हूँ
क्या करूँ...जैसे तुम्हारा आना असंभव है,
वेसे ही इन यादों का जाना भी....
वाह! कमाल की अभिव्यक्ति!
'कितनी धृष्ट हैं...ये यादें
ReplyDeleteउनको पोषण में,
आँखों का लवण..और जीवन का प्रत्येक क्षण
भोजन रूप में देती हूँ..'
- अभिव्यक्ति का सौंदर्य लोभनीय है !