Emily Brontë
AKA Emily Jane Brontë
Born: 30-Jul-1818
Birthplace: Thornton, Yorkshire, England
Died: 19-Dec-1848
वटवृक्ष में अभी तक केवल उन्हीं कविता,गीत,नज़्म,ग़ज़ल,संस्मरण और लघुकथा को स्थान दिया जाता रहा है, जिसकी ब्लॉग पर श्रेष्ठता के साथ उपस्थिति दर्ज होती रही है। अब चूँकि यह ब्लॉग परिवार अत्यंत विस्तृत और व्यापक होता जा रहा है इसलिए जरूरत महसूस हो रही है कि हम गैर हिंदी भाषाओं की श्रेष्ठ रचनाओं के अनुवाद भी प्रकाशित करें। इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि हम महीने में एक या दो बार गैर हिंदी भाषाओं की रचनाओं का अनुवाद भी प्रकाशित करेंगे "भाषांतर" स्तंभ के अंतर्गत ।
()रवीन्द्र प्रभात
"भाषांतर" में आज प्रस्तुत है एमली ब्रौन्ते (Emily Bronte) की कविता : प्यार और मित्रता (Love and Friendship)
प्यार
एक जंगली गुलाब है
लेकिन
मित्रता
एक सदाबहार पेड़ है
-- --
जंगलों के झुरमुट में
गुलाबी आभा लिए
जंगली गुलाब
खिलता है लगातार
तब ऐसा प्रतीत होता है
मानों मधुर मधुमास
हँस रहा हो
लेकिन
ग्रीष्म आते ही
यह मुरझा जाता है
इसकी गन्ध
विलीन हो जाती है
और इसे इन्तजार रहता है
सर्दियों के आने का
यह मूर्ख सुमन
दिसम्बर आते ही
अपना शृंगार सँवारेगा
और नये प्रेमियों को
फिर से पुकारेगा
-- --
किन्तु
मित्रता के
पवित्र पेड़ की
हरी-हरी पत्तियाँ
हमेशा स्थिर रहती हैं!
waah bahut sunder kavita ..aapka yah nirnay bhi sahi hai . har kisi ke liye manch uplabdh hona chahiye , rachna ki pahachaan rachnakar ke srajan se hotai hai .
ReplyDeleteaapki is pahal ke karan humen aur bhi jyada rachnaye padhne ko milengi .
badhai is pahal ke liye .
http://sapne-shashi.bligspot.com
एक और बढ़िया प्रस्तुति |
ReplyDeleteआभार |
बहुत बढ़िया प्रस्तुति..
ReplyDeleteयथार्थ की भीनी भीनी खुशबू!...बहुत सुन्दर रचना!...आभार!
ReplyDeleteबहुत सुंदर ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
ReplyDeleteएक अनूठी पहल.....
सादर.
कोई पांच दिन की जिंदगी में सौ काम करता है, किसी की सौ बरस की जिंदगी में कुछ नहीं होता !
ReplyDeleteमुझे तो आश्चर्य होता है कि आप कुछ विशेष मिट्टी के बने हैं, कभी ब्लॉगिंग में, कभी साहित्य में तो कभी पत्रिका में नयी-नयी पहल करके सबको चमत्कृत करते रहते हैं ....यह पहल अनूठा है ...बधाईयाँ !
आजकल रश्मि जी की सक्रियता नहीं दिख रही है, क्या वे अस्वस्थ हैं ?
बहुत सुन्दर रचना है ...बधाईयाँ !
ReplyDeleteनहीं मनोज जी, रश्मि जी आजकल पूर्णत: स्वस्थ और सानंद हैं, कुछ पारिवारिक व्यस्तताएं है जिसके कारण आजकल अंतरजाल पर उनकी सक्रियता कम हो गयी है !
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति |
ReplyDeleteबहुत अच्छी पहल...
ReplyDeleteदूसरी भाषाओं की उत्कृष्ट रचनाएँ पढ़कर बहुत अच्छा लगेगा|
यह कविता बहुत अच्छी लगी|
आभार...
बहुत ही बढि़या और सार्थक प्रस्तुति।
ReplyDeleteBahut hi achha,tatha pransniya nirnye.PEHLI HI MARTBA EK SUNDAR PRASTUTI
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